Author : Atul Kumar

Expert Speak Raisina Debates
Published on May 28, 2025 Updated 0 Hours ago

चीन की सेना लड़खड़ा रही है. एक ओर जहां पाकिस्तान में उसके वेपंस सिस्टम यानी हथियार व्यवस्था विफ़ल रही है, वहीं दूसरी ओर उसके शीर्ष जनरलों को निकाला जा रहा है. ऐसे में बीजिंग की वैश्विक सत्ता बनने की महत्वाकांक्षा में कमियां उजागर होने लगी हैं.

चीन की सैन्य ताकत पर दोहरा संकट: तकनीक नाकाम, अफसर सलाखों के पीछे

Image Source: Getty

9 मार्च 2022 को एक ब्रह्मोस मिसाइल, जो अंबाला के पास तकनीकी कमी की वजह से गलती से चल गई थी, पाकिस्तान के खानेवाल जिले में मियां चन्नू में गिरी थी. हालांकि मिसाइल सशस्त्र नहीं थी, लेकिन इस घटना ने एक अहम कमज़ोरी को उजागर कर दिया था. यह विशिष्ट कमज़ोरी पाकिस्तान में चीन की ओर से हासिल किए गए एयर-डिफेंस सिस्टम की विफ़लता से संबंधित थी. पाकिस्तान ने यह दावा किया था कि उसके रडार ने इस मिसाइल को उसके लांच से इम्पैक्ट तक ट्रैक किया था. इसके बावजूद पाकिस्तान की ओर से इस मिसाइल को इंटरसेप्ट करने यानी रोकने की कोशिश नहीं की गई थी. इस विफ़लता की वजह से चीन के सरफेस-टू-एयर मिसाइल (SAM) HQ-9 तथा HQ-16 की कुशलता को लेकर आरंभिक चिंताएं पैदा हो गई थी. इन चिंताओं की अब पुष्टि हो गई है. हाल ही में संपन्न हुए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान चीनी एयर डिफेंस मंचों को पाकिस्तान के सैन्य ठिकानों की सुरक्षा करने में सफ़लता नहीं मिली. अनेक एयरबेस को काफ़ी ज़्यादा नुक़सान पहुंचा और अब ये काम में आने के लायक नहीं रहे. यहां तैनात चीनी सिस्टम्स इनके पुख़्ता और मजबूत होने के दावों के बावजूद विफ़ल साबित हुए.

चीन के भीतर पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) भी घटे हुए आत्मविश्वास के संकट का सामना कर रही है. वरिष्ठ अधिकारियों को हटाया और गिफ्तार किया जा रहा है.

इस विफ़लता का प्रभाव पाकिस्तान से परे भी दिखाई दे रहा है. चीन के भीतर पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) भी घटे हुए आत्मविश्वास के संकट का सामना कर रही है. वरिष्ठ अधिकारियों को हटाया और गिफ्तार किया जा रहा है. यह कार्रवाई करने की रफ़्तार बेहद तेज है. चीनी जनरल हे होंगजुन इस सूची में जुड़ा ताजा नाम है. उनकी मौत के कारण चीन में गायब हो रहे आला अधिकारियों की सूची में एक नाम और जुड़ गया है. हथियारों की विफ़लता और कमांडर्स के पतन के कारण PLA तेजी से नाजुक होती जा रही है. वह अब चाइनीज कम्युनिस्ट पार्टी (CCP) नेतृत्व के लिए नियंत्रण या दादागिरी स्थापित करने का एक गैर भरोसेमंद साधन बनती जा रही है. इसका कारण यह है कि CCP नेतृत्व को अपनी सैन्य क्षमताओं पर बहुत ज़्यादा भरोसा था. अब सटीकता और नियंत्रण को लेकर तैयार किया गया नैरेटिव तड़क/भुरभुरा रहा है. और इसके साथ ही चीनी सैन्य महत्वाकांक्षा की साख भी तड़कती जा रही है.

पाकिस्तान को हस्तांतरित चीनी वेपंस सिस्टम यानी हथियार प्रणाली

चीन ही पाकिस्तान का सबसे बड़ा हथियार आपूर्तिकर्ता बनकर उभरा है. इस्लामाबाद के पास मौजूद स्टॉक में चीन के हथियारों की हिस्सेदारी 81 प्रतिशत है. यह मात्रा और विविधता के हिसाब से प्रत्येक पहलू में चौंकाने वाला है. 2000 से चीन ने पाकिस्तान की वायु और थल सेना को जो उन्नत हथियार हस्तांतरित किए है उसकी एक विस्तृत सूची टेबल 1 में दी गई है. इस सूची में शामिल लगभग सभी प्रणालियों ने मई 2025 में इस्लामाबाद की नई दिल्ली के साथ हुई भिड़ंत में अहम भूमिका अदा की है.

टेबल 1 : 2000-2025 के बीच पाकिस्तान को हस्तांतरित चीनी हथियार (हवाई और थल युद्ध के लिए)

 

हथियार का नाम

हथियार का प्रकार

ऑर्डर किया गया वर्ष 

कुल संख्या

J-10C

लड़ाकू विमान 

2021

36

FN-6 मिसाइल 

पोर्टेबल SAM

2020, 2017, 2015, 2009

1997

HQ-9 SAM

SAM सिस्टम 

2019

1

HQ-9

SAM – मिसाइल

2019

70

CH-4A

MALE ड्रोन 

2019

10

PLC-181

155 mm SPG

2018

236

Wing Loong 2

आर्मेड UAV

2018

48

Wing Loong 1

आर्मेड UAV

2015

5

JF-17

लड़ाकू विमान

2018, 2017,2012, 2011, 1999

188

YLC-18A गैप फिलर  

एयर सर्च रडार 

2018

5

JY-27A

एयर सर्च रडार 

2018

1

LY-80 (HQ-16)

SAM -मिसाइल 

2017,2014

500

LY-80 SAM सिस्टम (HQ-16)

SAM सिस्टम 

2014

3

IBIS 150

एयर सर्च रडार 

2014

8

FM-90 SAMS

SAM सिस्टम

2013

10

FM-90

SAM Missile

2013

400

CH-3

Armed UAV

2011

50

HQ-7 (Crotale)

SAM मिसाइल

2005

100

YLC-2A रडार

L-बैंड  एयर सर्च रडार 

2003

1

YLC-6 रडार

एयर सर्च रडार 

2003

10

 

स्रोत : SIPRI आर्म्स ट्रांसफर डाटाबेस/शस्त्र स्थानांतरण डेटाबेस

पाकिस्तानी शस्रशाला में इन प्रमुख हथियार प्रणालियों की मौजूदगी चीन के साथ गहराती कूटनीतिक साझेदारी को दर्शाती है. 2019 में इस्लामाबाद ने अपने मियांवाली एयरबेस पर JY-27A 3D काउंटर-वेरी-लो ऑब्जर्वेबल (CVLO) रडार को स्थापित किया था. यह लांग-रेंज एयर सर्विलांस एंड गाइडेंस रडार (लंबी दूरी का हवाई निगरानी एवं मार्गदर्शन रडार), वेरी हाई फ्रीक्वेंसी (VHF) बैंड पर काम करता है और 500 किमी की रेंज यानी दायरे में स्टेल्थ एयरक्राफ्ट को भी ट्रैक कर सकता है. चीन का दावा है कि यह रडार जैमिंग-रेजिस्टेंट है यानी इसे जैम नहीं किया जा सकता. चीन का यह भी दावा है कि यह आने वाले हवाई जहाज को निशाना बनाने के लिए सरफेस-टू-एयर मिसाइल यानी सतह से हवा में प्रहार करने वाली मिसाइल को गाइड कर सकता है. इस रडार की यही विशेषताएं इसे पाकिस्तान के एकीकृत एयर डिफेंस का कोर एलिमेंट बनाती हैं. पाकिस्तान ने लांग और शार्ट यानी लंबी और छोटी दूरी तय करने वाले अनेक एयर सर्च रडार्स भी हासिल किए हैं. इसमें YLC 2, YLC 6, and YLC 18 गैप फिलर रडार्स का समावेश है. इन सभी को कूटनीतिक/सामरिक दृष्टि से अहम सभी सैन्य ठिकानों के आसपास तैनात किया गया था ताकि मजबूत एयरस्पेस सर्विलांस सुनिश्चित किया जा सके.

चीन का दावा है कि यह रडार जैमिंग-रेजिस्टेंट है यानी इसे जैम नहीं किया जा सकता. चीन का यह भी दावा है कि यह आने वाले हवाई जहाज को निशाना बनाने के लिए सरफेस-टू-एयर मिसाइल यानी सतह से हवा में प्रहार करने वाली मिसाइल को गाइड कर सकता है.

इन रडार्स के अलावा पाकिस्तान ने चीन से अनेक SAM सिस्टम्स हासिल किए थे, ताकि एक लेयर्ड यानी वर्गीकृत एयर डिफेंस प्रणाली स्थापित की जा सके. इसकी जानकारी टेबल 1 में दी गई है. मई 2025 में हुए संघर्ष के दौरान HQ-9 लांग रेंज और HQ-16 मीडियम-रेंज SAM सिस्टम्स को लेकर मीडिया में काफ़ी चर्चा हुई. हालांकि पाकिस्तान का शॉर्ट-रेंज एयर डिफेंस नेटवर्क भी काफ़ी घना है. इसमें HQ-7 SHORAD जैसे अनेक सिस्टम्स, FM-90 लांचर्स और आधुनिकतम FN-6 मैन-पोर्टेबल एयर डिफेंस सिस्टम्स (MANPADS) का समावेश है.

पाकिस्तान के पास उपलब्ध ड्रोन शस्रशाला में भी बीजिंग की अहम हिस्सेदारी है. इसमें स्मॉलर एंड मीडियम-अल्टीट्यूड लांग-एंड्यूरंस (MALE) ड्रोन जैसे कि विंग लूंग और कॉम्बैट यानी युद्ध तथा रीकानसन्स यानी टोही ड्रोंस की CH-4 श्रृंखला शामिल हैं. पाकिस्तान एयर फोर्स (PAF) की शस्रशाला में भी JF-17, J-10C तथा कुछ पुरानी प्रणालियों के रूप में चीन की मौजूदगी देखी जा सकती है. हालांकि वर्तमान युद्ध ऑपरेशन सिंदूर और उसके बाद की स्थिति को लेकर छाया कोहरा चीन की ओर से आपूर्ति किए गए लड़ाकू हवाई जहाजों के प्रदर्शन का भरोसेमंद आकलन करने की क्षमता को सीमित कर देता है.

लेकिन विडंबना यह है कि जब इस्लामाबाद को इन हथियार प्रणालियों-चीन की ओर से हासिल किए गए रडार्स, एयर डिफेंस सिस्टम्स और ड्रोन- की सबसे ज़्यादा आवश्यकता थी, ये प्रणालियां परिणाम देने में विफ़ल साबित हुई हैं. ड्रोन को या तो मार गिराया गया या फिर वे असफ़ल होकर लौट गए. इतना ही नहीं चीनी रडार और मिसाइल सिस्टम या तो नष्ट कर दिए गए या यदि वे काम कर भी रहे थे तब भी वे पाकिस्तान के अहम सैन्य ठिकानों और एयरबेस पर होने वाले हमलों को विफ़ल नहीं कर सके.

PLA’s के एयर डिफेंस की विश्वसनीयता

पाकिस्तान में चीनी प्रणालियों की विफ़लता ने PLA के लेयर्ड यानी वर्गीकृत हवाई सुरक्षा कूटनीतिक व्यवस्था को लेकर शंकाएं पैदा कर दी हैं. PLA एयर फोर्स के पास लांग-रेंज एयर डिफेंस के लिए 300 HQ-9 SAM वेरिएंट्स हैं, जबकि PLA ग्राउंड फोर्सेस यानी थल सेना मीडियम एवं शार्ट-रेंज एयर कवरेज के लिए HQ-16, HQ-7 तथा FN-6 SAM सिस्टम्स को तैनात करती हैं. चीन के एयर सर्विलांस नेटवर्क में JY-27 and YLC सीरीज के विभिन्न वेरियंट्‌स वाले रडार्स सबसे मजबूत माने जाते हैं. ये रडार्स उसकी हवाई निगरानी व्यवस्था का आधार माने जाते हैं. इसको प्रदर्शित करने के लिए एक JY-27 गाइडेंस रडार को वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर ईस्टर्न लद्दाख क्षेत्र में पैंगोंग त्सो लेक के पास भारतीय चौकियों के सामने तैनात किया गया है.

रक्षा विशेषज्ञ अक्सर दावा करते हैं कि एकीकृत हवाई सुरक्षा नेटवर्क इतना गहरा है कि वह यूनाइटेड स्टेट्‍स (US) सशस्त्र बलों के स्टील्थ फाइटर एवं बॉम्बर्स को भी पीछे हटने पर मजबूर कर सकता है. 

रक्षा विशेषज्ञ अक्सर दावा करते हैं कि एकीकृत हवाई सुरक्षा नेटवर्क इतना गहरा है कि वह यूनाइटेड स्टेट्‍स (US) सशस्त्र बलों के स्टील्थ फाइटर एवं बॉम्बर्स को भी पीछे हटने पर मजबूर कर सकता है. लेकिन पाकिस्तान के अनुभव ने इसमें अहम कमजोरियां उजागर की हैं. ये कमज़ोरियां इन प्रणालियों पर सवालिया निशान लगाती हैं. इन प्रणालियों में से अधिकांश को पूर्व के सोवियत संघ या रूसी डिजाइनों से रिवर्स-इंजीनियर किया गया है. ऐसे में जब इन प्रणालियों को लेकर किए जाने वाले दावों या इनके मूल डिजाइन से इनकी तुलना होती है तो निश्चित ही ये दावे और मूल डिजाइन से कमजोर प्रदर्शन करते दिखाई देते है. 

PLA’s के गायब होते जनरल

इसके अलावा PLA इस समय एक नेतृत्व के भारी संकट का सामना कर रहा है. इसका कारण यह है कि उसके आला अफसर संदिग्ध परिस्थितियों में गायब होते जा रहे हैं. मई 2025 के तीसरे सप्ताह में ये ख़बरें उभरी हैं कि जनरल हे होंगजुन ने कस्टडी में होते हुए आत्महत्या कर ली है. उन्होंने यह कदम पूर्ण जनरल के रूप में अपनी प्रोन्नति के एक वर्ष के भीतर ही उठाया है. जनरल हे होंगजुन, सेंट्रल मिलिट्री कमीशन (CMC) के पोलिटिकल वर्क डिपार्टमेंट के डेप्युटी हेड थे. इस वाकये से पहले नवंबर 2024 में उनसे पहले यह ज़िम्मेदारी संभाल रहे एडमिरल मियाओ हुआ को और अप्रैल 2025 में CMC के सेकेंड वाइस-चेयरमैन जनरल हि वेडोंग को हटाया गया था. ऐसे में साफ़ है कि सैन्य कमांड के शीर्ष पर उथल-पुथल गहराती जा रही है.

पिछले दो वर्षों में 20 से अधिक वरिष्ठ अधिकारियों को या तो गिरफ्तार किया गया है या फिर उनके ख़िलाफ़ मामला चलाया गया है. यह PLA के इतिहास में देखी गई सबसे क्रुर सैन्य सफाई है. इसमें से कुछ बर्खास्तगी वैचारिक मतभेद को दर्शाती है या फिर अंदरुनी खींचतान से संबंधित हो सकती है. लेकिन अधिकांश मामलों में शी जिनपिंग की ओर से चलाए जा रहे व्यापक एंटी-करप्शन यानी भ्रष्टाचार-रोधी अभियान ही सबसे अहम कारण है. इतना ही नहीं गिरफ्तारी की कार्रवाई केवल सेना तक ही सीमित नहीं है, बल्कि यह चीन के रक्षा उद्योगों के आला अधिकारियों को भी अपने लपेटे में ले रही है. यह कार्रवाई हथियारों की ख़रीद में व्यवस्थागत भ्रष्टाचार का पर्दाफाश कर रही है.

PLA और रक्षा क्षेत्र के भीतर भ्रष्टाचार की वजह से चीनी हथियार प्रणालियों की गुणवत्ता, विश्वसनीयता और मारक क्षमता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने का ख़तरा मंडरा रहा हैं.

संस्थागत भरोसे में आ रही कमी के रणनीतिक निहितार्थ हैं. PLA और रक्षा क्षेत्र के भीतर भ्रष्टाचार की वजह से चीनी हथियार प्रणालियों की गुणवत्ता, विश्वसनीयता और मारक क्षमता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने का ख़तरा मंडरा रहा हैं. ऑपरेशन सिंदूर के दौरान दिखाई देने वाली चिंताएं इन बातों के कारण और भी बढ़ गई है. बीजिंग ने पिछले दो दशकों में अपनी सेना की शस्रशाला की क्षमता में उल्लेखनीय इज़ाफ़ा किया है. लेकिन उसकी गुणवत्ता, युद्ध प्रदर्शन और PLA की नेतृत्व क्षमताएं तेजी से अविश्वसनीय बनती जा रही हैं.

निहितार्थ : PLA में चीन के भरोसे में कमी 

पाकिस्तान में चीनी हथियारों के कमज़ोर प्रदर्शन और PLA के वरिष्ठ जनरलों की रहस्यमयी परिस्थितियों में गायब होने से एक गंभीर संकट से पर्दा उठता है. यह संकट बीजिंग का अपनी ही सेना में भरोसा कमज़ोर होने को लेकर है. अत्यधिक गोपनीयता को अपनाकर अंदरूनी एकजुटता को लंबे समय से बचाए रखने की कोशिश की जा रही थी. लेकिन इसकी वजह से घटिया दर्ज़े के हथियारों की ख़रीद हुई और राजनीतिक रूप से प्रेरित प्रोन्नतियां दी गई. भ्रष्टाचार ने दोनों ही व्यवस्थाओं को खोखला कर दिया है. ऐसे में PLA की विश्वसनीयता और क्षमता दोनों में ही महत्वपूर्ण ख़ामियां दिखाई देती हैं. 

चीन के सत्तारूढ़ दल CCP ने राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ PLA के कंधों पर बहुत ज़्यादा रणनीतिक बोझ डाला है. आर्थिक प्रदर्शन ही दशकों से पार्टी की वैधता का आधार रहा है. लेकिन अब वैश्विक व्यापार में बहती उल्टी हवा, बढ़ रहे शुल्कों एवं दूसरे देशों में चीनी निर्यात को स्वीकार करने को लेकर बढ़ रही हिचक की वजह से यह आधार खिसक रहा है. इसके स्थान पर अब राष्ट्रवाद ही CCP की राजनीतिक वैधता का मुख्य स्रोत बन गया है. अत: यह उम्मीद की जा रही है PLA को इस मोर्चे पर परिणाम देना पड़ेगा.

इस क्षेत्र में सर्वोच्च सत्ता के रूप में चीन की भूमिका को पुख़्ता करने के साथ-साथ साउथ चाइना सी में अपना वर्चस्व बनाए रखने और ताइवान पर बीजिंग के दावे को मजबूती से दोहराने के लिए शी की नज़रों में सेना एक अहम साधन है. हालांकि यह महत्वाकांक्षा फिलहाल एक गंभीर हकीकत का सामना कर रही है. यदि चीनी हथियार प्रणाली युद्ध के दौरान लड़खड़ाएंगे और उसका आला सैन्य नेतृत्व अस्पष्टता का शिकार होने के साथ-साथ गायब होता रहेगा तो यह चीनी सेना के उत्थान से जुड़ी साख पर सवाल खड़ा करेगा. इसके साथ ही शी के राष्ट्रीय कायाकल्प प्रोजेक्ट को लेकर भी सवाल पूछे जाने लगेंगे. फिलहाल सबसे अहम और अनसुलझा सवाल यह है कि क्या शी की महत्वाकांक्षाओं का भार PLA अपने कंधे पर उठाएगी?


अतुल कुमार, ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन के स्ट्रैटेजिक स्टडीज प्रोग्राम में एक फेलो हैं.

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