Author : Suchet Vir Singh

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Published on May 21, 2025 Updated 2 Hours ago

हाल ही में भारत और पाकिस्तान के बीच छिड़ा हवाई युद्ध दक्षिण एशिया में पहला बड़ा ड्रोन युद्ध था. यह संघर्ष इस बात का भी संकेत देता है कि भविष्य के युद्ध किस प्रकार लड़े जाएंगे और कौन से हथियारों का अधिक इस्तेमाल होगा.

ड्रोन युद्ध: भारत - पाकिस्तान की रणनीति और क्षमताओं पर एक नज़र

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पिछले दिनों भारत और पाकिस्तान के बीच ज़बरदस्त हवाई युद्ध छिड़ा, रात के वक़्त ड्रोन हमलों से पूरा आसमान अटा पड़ा था, धमाकों की आवाजें गूंज रही थीं. दक्षिण एशिया में ड्रोन युद्ध का यह पहला वाक़या था, जिसे पूरी दुनिया ने देखा. पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद 6 से 10 मई, 2025 के बीच भारत और पाकिस्तान के बीच हुई जंग इस बात को दर्शाती है कि भविष्य में दोनों देशों के बीच लड़ाई में हवाई ताक़त सबसे प्रमुख होगी. पाकिस्तान की ओर किए गए हमलों और आतंकी हरकतों के जवाब में भारत द्वारा ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को अंज़ाम दिया गया. ऑपरेशन सिंदूर के तहत भारतीय सेनाओं ने पाकिस्तानी ठिकानों पर सटीक हमले किए. ऐसा पहली बार था कि भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध में मानव रहित विमानों (UAVs) और इनके हमलों को नाक़ाम करने वाली वायु रक्षा प्रणालियों का खुलकर इस्तेमाल किया गया.

इस युद्ध के दौरान भारत और पाकिस्तान ने अपने-अपने हिसाब से और मकसद से ड्रोन का इस्तेमाल किया. जहां पाकिस्तान ने ड्रोन का उपयोग भारत की वायु रक्षा क्षमताओं को ध्वस्त करने के लिए किया, वहीं भारत ने इस युद्ध में अपने ड्रोन को ज़्यादा रणनीतिक रूप से इस्तेमाल किया और पाकिस्तान को भारी क्षति पहुंचाई. कहने का मतलब है कि भारतीय UAVs ने पाकिस्तानी सेना के ठिकानों पर लक्षित हमले किए, साथ ही भारत ने अपने ड्रोन हमलों से पाकिस्तानी एयर डिफेंस सिस्टम को भी तहस-नहस कर दिया.

हाल ही में भारत और पाकिस्तान के बीच हुए युद्ध में यही दिखाई दिया कि आज की लड़ाइयों में ड्रोन हमले कितने महत्वपूर्ण हो गए हैं.

दुनिया में हाल के वर्षों में जो भी युद्ध हुए, अगर उनके तौर-तरीक़ों और रणनीतियों पर नज़र डाली जाए, तो रूस-यूक्रेन जंग से काफ़ी कुछ सीखने और समझने का मौक़ा मिलता है, ख़ास तौर पर आज के युद्धों में किस प्रकार से ड्रोन का अधिक से अधिक उपयोग किया जा रहा है, उसके बारे में जानने का अवसर मिलता है. हाल ही में भारत और पाकिस्तान के बीच हुए युद्ध में यही दिखाई दिया कि आज की लड़ाइयों में ड्रोन हमले कितने महत्वपूर्ण हो गए हैं. भारत-पाक लड़ाई को जिस प्रकार से हवा में लड़ा गया और हवाई हमलों को अंज़ाम दिया गया है, उससे साफ ज़ाहिर होता है कि इस युद्ध का भौगोलिक विस्तार 1999 के कारगिल युद्ध से बहुत अधिक था, यानी कारगिल जंग की तुलना में एक बहुत बड़े इलाक़े में इस युद्ध को लड़ा गया.
 

भारत की एकीकृत वायु रक्षा प्रणाली

हालिया युद्ध के दौरान पाकिस्तान ने भारत के सैन्य और नागरिक ठिकानों को निशाना बनाने और बुनियादी ढांचों को तहस-नहस करने के लिए सैकड़ों की तादाद में ड्रोन से हमला किया था. ख़बरों के मुताबिक़ पाकिस्तान ने भारत पर हमले के लिए 600 से ज़्यादा ड्रोन का इस्तेमाल किया था. पाकिस्तान ने 7 और 8 मई 2025 की दरम्यानी रात को ही भारत में लगभग 350-400 ड्रोन्स से हमला किया था. इस्लामाबाद ने तुर्किये से मिले बाइकर यिहा कामिकेज़ और असीसगार्ड सोंगर जैसे ड्रोन से भारत पर हमला किया था.

पाकिस्तान के इन ड्रोन हमलों को भारतीय सेना ने अपनी बहुस्तरीय वायु रक्षा प्रणाली यानी एयर डिफेंस सिस्टम के ज़रिए न केवल सफलतापूर्वक रोका, बल्कि उन्हें पूरी तरह से नाक़ाम कर दिया. पाकिस्तानी ड्रोन हमलों को रोकने के लिए भारतीय वायुसेना (IAF) की एकीकृत वायु कमान एवं नियंत्रण प्रणाली (IACCS) और भारतीय सेना की आकाशतीर प्रणाली का समन्वित तरीक़े से इस्तेमाल किया गया.

पाकिस्तान की ओर से दागी गई मिसाइलों और ड्रोन को रोकने एवं उन्हें तबाह करने के लिए भारत ने एस-400 ट्रायम्फ मिसाइल सिस्टम, बराक-8 सिस्टम, L-70 और ZU-23 मिमी ट्विन-बैरल गन, आकाश प्रणाली और पेचोरा सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल का उपयोग किया. भारत की इस उन्नत और बहुस्तरीय वायु रक्षा प्रणाली ने न केवल देश के नागरिक क्षेत्रों और सैन्य ठिकानों की बेहतर तरीक़े से रक्षा की, बल्कि पाकिस्तान के हमलों का माकूल जवाब भी दिया.
 

भारत का ड्रोन इन्फ्रास्ट्रक्चर

भारत की सैन्य ड्रोन क्षमता के बारे में बात की जाए, तो भारत के पास देश में निर्मित ड्रोन के साथ ही इजराइल के ख़रीदे गए ड्रोन और भारतीय व इजरायली कंपनियों द्वारा संयुक्त रूप से निर्मित किए गए ड्रोन शामिल हैं. इसके अलावा, कुछ ही वर्षों में भारत को अमेरिका से भी ड्रोन की आपूर्ति होने वाली है, जिससे उसका ड्रोन बेड़ा और मज़बूत होगा.

भारत की ओर से ड्रोन की ख़रीद से जुड़े समझौते के तहत आपूर्ति होने और घरेलू स्तर पर ड्रोन निर्माण क्षमता बढ़ने के बाद सेना के पास इनकी संख्या में ख़ासी वृद्धि होने की उम्मीद है.

भारत में सैन्य ड्रोन की संख्या को लेकर हालांकि कोई आधिकारिक आंकड़े तो उपलब्ध नहीं है, लेकिन रिपोर्ट्स के मुताबिक़ भारतीय सेना के पास 2,000 से 2,500 ड्रोन हैं. भारत की ओर से ड्रोन की ख़रीद से जुड़े समझौते के तहत आपूर्ति होने और घरेलू स्तर पर ड्रोन निर्माण क्षमता बढ़ने के बाद सेना के पास इनकी संख्या में ख़ासी वृद्धि होने की उम्मीद है.

भारत के स्वदेशी रूप से विकसित ड्रोन्स में नागास्त्र शामिल है, जिसे सोलर इंडस्ट्री एवं जेडमोशन ने विकसित किया है, यह एक आत्मघाती ड्रोन है, यानी दुश्मन के लक्ष्य को खोजकर उस पर हमला करने में सक्षम है. रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) ने दुश्मन की टोह लेने और जासूसी कार्यों के लिए रुस्तम, निशांत और लक्ष्य-1 जैसे ड्रोन विकसित किए हैं.

इसके अलावा, भारत के सैन्य ड्रोन बेड़े में IAI सर्चर और हेरॉन जैसे इजराइल निर्मित टोही ड्रोन भी शामिल हैं. भारत ने इजराइल से हार्पी और हारोप जैसे लोइटरिंग ड्रोन यानी आत्मघाती ड्रोन्स भी ख़रीदे हैं. स्काई-स्ट्राइकर ड्रोन जो कि हार्पी का एक उन्नत संस्करण है, उसे अब इजराइली कंपनी एल्बिट सिस्टम और बेंगलुरु स्थित भारतीय कंपनी अल्फा डिजाइन साझा उपक्रम के तहत भारत में बना रहे हैं.

ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत ने पाकिस्तान में तीन जगहों पर सैन्य ठिकानों पर हमले के लिए हारोप ड्रोन का उपयोग किया था. इसके अलावा, भारत ने अपने हार्पी ड्रोन को ‘दुश्मन की वायु रक्षा प्रणाली को ध्वस्त’ (SEAD) करने की रणनीति के तहत इस्तेमाल किया था, यानी इसके लिए ज़रिए पाकिस्तान की वायु रक्षा प्रणाली को तबाह किया गया था. बताया गया है कि भारतीय सेनाओं ने ऑपरेशन सिंदूर की शुरुआत में पाकिस्तान में मौज़ूद आतंकी ठिकानों को तबाह करने के लिए स्काई स्ट्राइकर ड्रोन का उपयोग किया था.

भारत ने अपनी ड्रोन क्षमता को सशक्त करने के लिए वर्ष 2024 में जनरल एटॉमिक से 31 MQ-9 B प्रीडेटर ड्रोन ख़रीदने के लिए एक समझौता किया था. इसके तहत इन ड्रोन की आपूर्ति चार साल के भीतर होने की उम्मीद है.


पाकिस्तान का ड्रोन कार्यक्रम

जहां तक पाकिस्तान की ड्रोन क्षमता का सवाल है, तो वहां घरेलू स्तर पर ड्रोन उत्पादन होता है, साथ ही पाकिस्तानी सेना को चीन और तुर्किये से भी ड्रोन्स की आपूर्ति होती है. अगर कुछ ख़बरों पर यकीन करें, तो पाकिस्तान के ड्रोन बेड़े में क़रीब एक हजार से ज़्यादा ड्रोन शामिल हैं.

पाकिस्तान के ड्रोन बेड़े में घरेलू स्तर पर निर्मित बुराक़ और शाहपार ड्रोन शामिल हैं. बुराक़ पाकिस्तान का पहला स्वदेश निर्मित ड्रोन था, जिसे वर्ष 2009 में चीन की मदद से बनाया गया था. पाकिस्तान ने बुराक़ ड्रोन को पहले सिर्फ़ ख़ुफ़िया जानकारी जुटाने, टोही गतिविधियों में इस्तेमाल करने और निगरानी से जुड़े कार्यों में इस्तेमाल के लिए विकसित किया था, लेकिन बाद में इसमें हमले के लिहाज़ से बदलाव किया गया. अगर शाहपार ड्रोन की बात की जाए तो यह एक मध्यम ऊंचाई में लंबी अवधि तक उड़ान भरने में सक्षम हमलावर सैन्य ड्रोन है. शाहपार ड्रोन को अब तक तीन बार अपग्रेड किया जा चुका है. बताया जाता है कि शाहपार ड्रोन 30 घंटे तक हवा में उड़ान भर सकता है और 500 किलोग्राम का पेलोड ले जाने में सक्षम है. हालांकि, शाहपार को लेकर किए गए इन लंबे-चौड़े दावों में कोई दम नज़र नहीं आता है और इन दावों की आधिकारिक रूप से कोई पुष्टि भी नहीं हुई है.

ज़ाहिर है कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत ने मुरीद इलाक़े में पाकिस्तानी ठिकानों पर सटीक हमले किए थे और बताया गया है कि भारत ने इन हमलों में पाकिस्तान के यूएवी इन्फ्रास्ट्रक्चर और ड्रोन से जुड़े ठिकानों को काफ़ी क्षति पहुंचाई है.

घरेलू निर्मित ड्रोन के अलावा, पाकिस्तान के ड्रोन बेड़े में चीन का CH-4 ड्रोन और तुर्किये के बाइकर यिहा कामिकेज़, असीसगार्ड सोंगर और बायरकटर ड्रोन भी शामिल हैं.

पाकिस्तान के ड्रोन बेड़े का सबसे बड़ा केंद्र पंजाब के चकवाल में स्थित मुरीद में है. ज़ाहिर है कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत ने मुरीद इलाक़े में पाकिस्तानी ठिकानों पर सटीक हमले किए थे और बताया गया है कि भारत ने इन हमलों में पाकिस्तान के यूएवी इन्फ्रास्ट्रक्चर और ड्रोन से जुड़े ठिकानों को काफ़ी क्षति पहुंचाई है. भारत के लिए एक अहम क़ामयाबी है, क्योंकि मुरीद इलाक़े में पाकिस्तान के शाहपार, बुराक़ और बायरकटर ड्रोन के बेड़े मौज़ूद हैं.

दक्षिण एशिया में ड्रोन युद्ध का भविष्य

अगर ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत की मारक क्षमता को देखा जाए तो स्पष्ट हो जाता है कि तकनीक़ी तौर पर भारत के ड्रोन पाकिस्तानी ड्रोन से कहीं अधिक प्रभावी और उन्नत हैं. ये अलग बात है कि पाकिस्तान बड़े पैमाने पर ड्रोन्स बनाता है, लेकिन उसके ड्रोन में भारत के ड्रोन जितनी क्षमता नहीं है. जिस प्रकार से भारत ने इजराइल के सहयोग से देश में ड्रोन का निर्माण शुरू किया है और कई बेहतरीन व तकनीक़ी रूप से उन्नत ड्रोन बनाए हैं, वो दिखाता है कि नई दिल्ली सैन्य ड्रोन निर्माण को लेकर कितनी गंभीर है और इसके लिए व्यापक स्तर पर प्रयास कर रही है. हालांकि, पाकिस्तान भी ड्रोन के निर्माण को लेकर चीन और तुर्किये के साथ सहयोग बनाने में जुटा है और इससे न केवल पाकिस्तान को बेहतर ड्रोन टेक्नोलॉजी और वित्तीय मदद मिल सकती है, बल्कि उसके ड्रोन कार्यक्रम को भी गति मिल सकती है.

हाल ही में जिस प्रकार का नज़ारा भारत और पाकिस्तान के बीच लड़ाई में दिखा, उससे यह साफ हो जाता है कि भविष्य में दोनों देशों के बीच होने वाले युद्धों में सबसे अधिक ज़ोर ड्रोन और हवाई हमलों पर ही होगा. ज़ाहिर है कि लड़ाकू विमानों की तुलना में हमलावर ड्रोन सस्ते होते हैं, ऐसे में इस बात की संभावना बहुत अधिक है कि भविष्य में होने वाले संघर्षों में सामरिक और रणनीतिक लिहाज़ से इनका अधिक से अधिक इस्तेमाल किया जाएगा. इसके अतिरिक्त, ड्रोन की एक ख़ासियत यह भी है इसे टोही गतिविधियों और हमले, दोनों के लिए उपयोग किया जा सकता है. सैन्य ड्रोन के दोहरे उपयोग की इसी खूबी ने इसे सैन्य जनरलों का पसंदीदा हथियार बना दिया है.

ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत के जवाबी हवाई हमलों से सबक सीखते हुए पाकिस्तान अपनी ड्रोन क्षमता को बढ़ा सकता है और अपने बेड़े में अत्याधुनिक तकनीक़ से लैस ड्रोन शामिल कर सकता है, ताकि भविष्य में किसी युद्ध के दौरान अपनी हवाई मारक क्षमता में बढ़ोतरी एवं भारतीय वायु रक्षा प्रणाली को भेदने की ताक़त हासिल कर सके. इसके अलावा, भारत को भी भविष्य में पाकिस्तान की ऐसी किसी भी तैयारी का जवाब देने के लिए अपनी वायु रक्षा प्रणाली को और उन्नत बनाने की दिशा में काम करना चाहिए, साथ ही इनका उत्पादन बढ़ाना चाहिए, ताकि भविष्य में किसी हवाई हमले की स्थिति में ज़्यादा संख्या में इन प्रणालियों को तैनात किया जा सके. इतना ही नहीं, भारत को अलग-अलग क्षमताओं से लैस ड्रोन का व्यापक स्तर पर उत्पादन बढ़ाने की दिशा में भी गंभीरता से काम करना चाहिए.

कुल मिलाकर इसमें कोई संदेह नहीं है कि भविष्य में भारत और पाकिस्तान के बीच होने वाले संघर्षों में आसमान अहम भूमिका निभाएगा, यानी भविष्य के युद्धों में ड्रोन और मिसाइलों के ज़रिए हवाई हमलों का ही बोलबाला होगा.

दक्षिण एशिया में भारत और पाकिस्तान के बीच हुए हालिया संघर्ष में एक बात और सामने आई है कि परमाणु ताक़त से संपन्न देश भी किस प्रकार अपनी हद में रहकर ड्रोन के ज़रिए युद्ध कर सकते हैं और एक-दूसरे के ठिकानों पर सटीक निशाना साध सकते हैं. कुल मिलाकर इसमें कोई संदेह नहीं है कि भविष्य में भारत और पाकिस्तान के बीच होने वाले संघर्षों में आसमान अहम भूमिका निभाएगा, यानी भविष्य के युद्धों में ड्रोन और मिसाइलों के ज़रिए हवाई हमलों का ही बोलबाला होगा.


सुचेत वीर सिंह रक्षा विश्लेषक हैं, साथ ही ऑब्ज़र्वर रिसर्च फाउंडेशन में एसोसिएट फेलो भी हैं.

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Suchet Vir Singh is a defence analyst. Until recently, he was an Associate Fellow at the Observer Research Foundation. His research interests include India’s defence services, ...

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