चीन में शहरीकरण की दर दुनिया में सबसे ज़्यादा में से है. 40 वर्षों के सुधार में शहरीकरण की दर 19.9 प्रतिशत से बढ़कर 58.5 प्रतिशत हो गई, ग्रामीण इलाक़ों से 46 प्रतिशत लोगों ने शहरी इलाक़ों का रुख़ किया. इसका नतीजा चीन की ख़ासियत के साथ शहरीकरण के रूप में हुआ जिसे तीन शब्दों में बयां किया जा सकता है- एग्ज़िट, मोबिलिटी और एंट्री. इसका मतलब हुआ ‘ग्रामीण प्रांतों से एग्ज़िट करना,’ ‘औद्योगिक केंद्रों में श्रम का जाना,’ और ‘प्रवासियों और सेवाओं के रहने के लिए उनकी आसान एंट्री’ सुनिश्चित करना.
लेकिन कई वर्ष बीतने के साथ बीजिंग और शंघाई जैसे अग्रणी शहरी केंद्र, जहां बड़ी मात्रा में कोयले की खपत होती है, वायु प्रदूषण, पानी की क़िल्लत और बढ़ते समुद्री स्तर के ख़तरे की वजह से गंभीर आलोचना का निशाना बन गए.
हाल में चीन के गुआंगज़ौ के विद्वानों द्वारा विशेषज्ञों के द्वारा समीक्षित ‘फ्रंटियर्स इन सस्टेनेबल सिटीज़’ में लिखित एक रिसर्च पेपर ने पूरी दुनिया का ध्यान खींचा. ‘दुनिया भर के 167 शहरों में ग्रीन हाउस गैस के उत्सर्जन में कमी की प्रगति और लक्ष्य की निगरानी रखना’ शीर्षक वाले रिसर्च पेपर में इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि कैसे चीन के 23 शहर दुनिया भर में सबसे ज़्यादा ग्रीन हाउस गैस का उत्सर्जन करने वाले 15 प्रतिशत शहरों में शामिल हैं जो कुल गैस उत्सर्जन का 52 प्रतिशत हिस्सा हैं. ये अध्ययन बताता है कि प्रति व्यक्ति ज़्यादा उत्सर्जन वाले चीन के शहर, सामान्य तौर पर ज़्यादा शहरीकरण वाले हैं, ख़ास तौर पर वो शहर जहां उत्पादन और परिवहन गतिविधियां बहुत ज़्यादा हैं.
ये अध्ययन बताता है कि प्रति व्यक्ति ज़्यादा उत्सर्जन वाले चीन के शहर, सामान्य तौर पर ज़्यादा शहरीकरण वाले हैं, ख़ास तौर पर वो शहर जहां उत्पादन और परिवहन गतिविधियां बहुत ज़्यादा हैं.
जुलाई 2021 में एक वैश्विक पर्यावरणीय एनजीओ के द्वारा चीन के शहरों में किए गए एक जलवायु का पता लगाने की कवायद ने बताया कि कैसे ‘तेज़ शहरीकरण के दौर से गुज़र रहे क्षेत्र जोख़िम में अत्यधिक बढ़ोतरी का सामना कर रहे हैं. लेकिन वो जलवायु के जोखिम का हल करने के लिए अच्छी तरह से रिसर्च नहीं कर पाए हैं या उन्हें पर्याप्त पैसा नहीं मिला है.’ [1] ये कवायद सीधे तौर पर तेज़ी से बढ़ते शहरी केंद्रों, जहां जनसंख्या का घनत्व बहुत ज़्यादा है और जहां ज़्यादा आर्थिक गतिविधि है, के जोख़िम को जोड़ती है.
अनियंत्रित शहरीकरण से पर्यावरण पर दबाव
इस अध्ययन, जिसने 2014 की इंटरगवर्नमेंटल पैनल ऑन क्लाइमेट चेंज की रिपोर्ट से अनुमान लगाया, ने कहा कि बीजिंग के कुछ हिस्सों में तापमान में बढ़ोतरी 2100 ईसवी तक 2.6 डिग्री सेंटीग्रेड तक हो सकती है. इस अध्ययन ने ये भी कहा कि कैसे जलवायु परिवर्तन गर्मी को ज़्यादा लंबा बनाएगा. साल भर में बीजिंग में गर्मी 28 दिन, शंघाई में 24-28 दिन और गुआंगज़ौ-शेंज़ेन में 40 दिन तक लंबी हो सकती है. अध्ययन के अनुमान के मुताबिक़ शंघाई और गुआंगज़ौ-शेंज़ेन क्षेत्र के कुछ हिस्सों में अत्यधिक बारिश में 25 प्रतिशत से ज़्यादा बढ़ोतरी होगी और गुआंगज़ौ-शेंज़ेन क्षेत्र में ज़्यादा अकाल पड़ेंगे.
इस अध्ययन ने ये भी कहा कि कैसे जलवायु परिवर्तन गर्मी को ज़्यादा लंबा बनाएगा. साल भर में बीजिंग में गर्मी 28 दिन, शंघाई में 24-28 दिन और गुआंगज़ौ-शेंज़ेन में 40 दिन तक लंबी हो सकती है.
इस बात को समझते हुए कि इस तरह के अनियंत्रित शहरीकरण ने इन इलाक़ों में प्राकृतिक वातावरण और मानव द्वारा निर्मित सुविधाओं पर दबाव डाला है जिसकी वजह से जलवायु पर असर पड़ रहा है, चीन ने 2020 में अपनी 14वीं पंचवर्षीय योजना में एक ‘नई शहरीकरण योजना’ की शुरुआत की. हर पांच साल पर बनाई जाने वाले ये योजनाएं चीन की कम्युनिस्ट पार्टी की सामाजिक और आर्थिक विकास की पहल हैं जो 1953 से चल रही हैं. इन नए क़दमों की विशेषताएं हैं:
- नये महानगरीय क्षेत्र का निर्माण करना और इंफ्रास्ट्रक्चर के एक-दूसरे से संपर्क को बढ़ावा देना. इसके अलावा मौजूदा मेगा शहरों के साथ सार्वजनिक सेवाओं को साझा करना और आपसी स्वीकृति.
- शहरों में ग्रामीण प्रवासी आबादी के लिए सरकार के काम-काज के तौर-तरीक़ों में सुधार लाना जैसे आवासीय सुधार, बीमा, आजीविका के अवसर और मौजूदा पाबंदियों को कम करना.
- एकीकृत शहरी क्षेत्र का निर्माण जो आंतरिक भौगोलिक संरचना का सबसे अनुकूल इस्तेमाल करे, पर्यावरणीय अवरोध बनाए और बहुकेंद्रीय, बहुस्तरीय और बहुबिंदु से जुड़े शहरी क्षेत्र का ढांचा तैयार करे.
- ‘नये प्रकार’ के कम कार्बन वाले शहरों का निर्माण जिसका इंफ्रास्ट्रक्चर हरित हो, निर्मित पर्यावरण हो और टिकाऊ परिवहन के साथ हो जो पर्याप्त हरित वित्त के साथ जलवायु के अनुकूल हो.
- डिजिटल दृष्टिकोण के साथ गवर्नेंस में इनोवेशन जिसमें सामुदायिक देखभाल, लॉजिस्टिक और वितरण के लिए नेटवर्क और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म हो. साथ ही सुविधा स्टोर और सुपर-मार्केट, हाउस-कीपिंग और प्रॉपर्टी मैनेजमेंट और दूसरी सेवाएं भी हों.
वैसे तो ये क़दम शहरों को विकेंद्रित करने और मेगा शहरी केंद्रों से आर्थिक और उत्पादन के अड्डे हटाने के लिए उपयोगी हैं लेकिन अगर चीन को 2030 से पहले कार्बन डाइऑक्साइड के उत्सर्जन की चरम सीमा को लेकर अपनी प्रतिबद्धताओं को पूरा करना है और 2060 से पहले कार्बन न्यूट्रैलिटी के लक्ष्य को हासिल करना है तो उसे अपनी जलवायु योजना विस्तृत रूप से जारी करते समय और ब्यौरा देने की ज़रूरत है.
जीवाश्म ईंधन वाले वाहन कम हो
जहां तक शहरों में प्रवासियों की आजीविका का मामला है तो मौजूदा नई शहरीकरण की योजना एक अलग और ज़्यादा समावेशी दृष्टिकोण अपनाती है. लेकिन उसे जलवायु और प्रवासन के पारस्परिक प्रभाव पर ज़्यादा गंभीर रुख़ अख़्तियार करना होगा. आख़िरी योजना, 13वीं पंचवर्षीय योजना (2016-20), शहरीकरण पर प्रकाश डालते हुए उम्र-दराज प्रवासियों को लेकर भेदभावपूर्ण थी.
चीन इलेक्ट्रिक गाड़ियों के सबसे बड़े उत्पादक और सबसे बड़े ग्राहक के रूप में जाना जाता है. ‘नये प्रकार’ के शहरों के लिए इलेक्ट्रिक ट्रांसपोर्ट एक महत्वपूर्ण घटक है लेकिन उसे इस बात का ध्यान रखना होगा कि स्वच्छ ऊर्जा का इस्तेमाल हो.
वैसे तो सभी बातें महत्वपूर्ण हैं लेकिन चीन की जलवायु समस्या का मूल बिंदु कोयले की खपत में है. चीन इलेक्ट्रिक गाड़ियों के सबसे बड़े उत्पादक और सबसे बड़े ग्राहक के रूप में जाना जाता है. ‘नये प्रकार’ के शहरों के लिए इलेक्ट्रिक ट्रांसपोर्ट एक महत्वपूर्ण घटक है लेकिन उसे इस बात का ध्यान रखना होगा कि स्वच्छ ऊर्जा का इस्तेमाल हो. उसे किसी भी तरह के जीवाश्म ईंधन से लैस वाहन के इस्तेमाल को ख़त्म करने की ज़रूरत है और मास ट्रांज़िट ट्रासपोर्ट के लिए कम कार्बन के पदार्थों पर ध्यान देने की ज़रूरत है.
पिछले कुछ वर्षों में हमने चीन के शहरों की स्थानीय सरकारों की तरफ़ से की जाने वाली कोशिशों को देखा है. बीजिंग इस बात की समीक्षा कर रहा है कि क्या कम उत्सर्जन वाले क्षेत्रों को अलग किया जा सकता है, वुहान पानी की कमी की अपनी समस्या से निपटने के लिए पानी के प्रबंधन को शहरी योजना की नीति में शामिल करने का उदाहरण पेश कर रहा है और हुबेई सौर ऊर्जा को कृषि के साथ जोड़ रहा है. कई और शहर भी हैं जो ऊर्जा, परिवहन, आवास और ज़मीन की समस्याओं पर काम कर रहे हैं.
चीन के जलवायु विशेषज्ञों के मुताबिक़ एनजीओ, केंद्र सरकार और स्थानीय सरकार- जलवायु व्यवस्था को लेकर हर किसी की अपनी अलग समझ और जागरुकता का अलग-अलग स्तर है. चीन के कार्यक्रम की सफलता यहां के जलवायु लक्ष्य के साथ सभी 687 शहरों को केंद्रीकृत कोशिश से जोड़ने पर निर्भर करेगी.
[1] Greenpeace East Asia, Press Note, July 14, 2021.
द चाइना क्रॉनिकल्स सीरीज़ का ये 117वां लेख है
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