Author : Sameer Patil

Expert Speak Raisina Debates
Published on Feb 15, 2025 Updated 3 Days ago

यह AI प्रतिस्पर्धा अब केवल एक रेस नहीं बल्कि एक मैराथन है. धावक अलग-अलग पहलुओं में इसका नेतृत्व कर रहे हैं.

#DeepSeek:अमेरिका और चीन के बीच AI के दौड़ की बदलती तस्वीर!

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पिछले सप्ताह एक गंभीर और सक्षम Artificial Intelligence (AI) के दावेदार के रूप में DeepSeek के लॉन्च ने AI विकास के आसपास के पारंपरिक ज्ञान के बारे में अनिश्चित सवाल खड़े कर दिए हैं. विशेष रूप से यह भरोसा कि AI दौड़ जीतना विशुद्ध रूप से ग्राफिक्स प्रोसेसिंग यूनिट्स (GPUS) में अरबों के निवेश का मसला है. कम मात्रा में और कम उन्नत चिप्स के बूते पर DeepSeek ने ऐसे मॉडल्स बनाने में सफ़लता हासिल की है जो AI इंफ्रास्ट्रक्चर में Nvidia चिप कंपनी के प्रभुत्व को चुनौती देकर अमेरिका के सबसे अच्छे मॉडल को टक्कर दे रही है. 

 कुछ लोगों ने DeepSeek की दक्षता के दावे को केवल दिखावा कहकर नकार दिया है परन्तु कुछ लोग चीन के इस मॉडल की गुणवत्ता को नज़रअंदाज़ नहीं कर रहे हैं. अगर इसको सच मान भी लिया जाए तो यह माना जा रहा है कि यह चीनी मॉडल केवल सबसे बेहतर अमेरिकी हार्डवेयर मॉडल का प्रतिरूप मात्र है और वह इसी के आसपास रहेगा.

हालांकि, बाज़ार से मिल रहे संकेतों से पता चलता है कि निवेशक अमेरिकी AI चिप उत्पादन में दिग्गज कंपनी में अपने विश्वास में स्थिर हैं. कुछ लोगों ने DeepSeek की दक्षता के दावे को केवल दिखावा कहकर नकार दिया है परन्तु कुछ लोग चीन के इस मॉडल की गुणवत्ता को नज़रअंदाज़ नहीं कर रहे हैं. अगर इसको सच मान भी लिया जाए तो यह माना जा रहा है कि यह चीनी मॉडल केवल सबसे बेहतर अमेरिकी हार्डवेयर मॉडल का प्रतिरूप मात्र है और वह इसी के आसपास रहेगा. पर एक गहरा सच तो यह है कि चीनी AI मॉडल DeepSeek सबसे अच्छे अमेरिकी मॉडल से मेल खाता है और उसकी लागत उसका एक छोटा अंश मात्र है. 

 

अमेरिका के लिए भविष्य के मायने 

 

यदि DeepSeek के दावे सही साबित होते हैं तो AI हार्डवेयर बाज़ार पर Nvidia का एकाधिकार कमज़ोर पड़ सकता है और AI की स्केलिंग यानि उसको व्यापक बनाने की कोशिश को नए सिरे से सोचने के लिए सबको मजबूर होना पड़ेगा. Nvidia के लिए असली ख़तरा केवल एक और चिपमेकर से प्रतिस्पर्धा का नहीं है बल्कि यह अहम् संभावना है कि AI उद्योग को जल्द ही यह महसूस होने लगेगा कि वह अत्याधुनिक AI की कारगरता कम से कम Nvidia के उत्पादों से भी प्राप्त कर सकता है, जबकि अब तक इसके ठीक उलट माना जाता था. एक ही दिन में Nvidia के बाज़ार मूल्य में US $ 593 बिलियन का नुक़सान बाज़ार की उन भावनाओं का ही प्रतिबिंब है. 

 

यह सब ऐसे समय में हो रहा है जब माइक्रोसॉफ्ट और मेटा जैसी अन्य बड़ी टेक्नोलॉजी वाली अमेरिकी कंपनियां GPU से लैस नए डेटा केंद्रों के निर्माण के लिए बहुत बड़ा बजट दे रही हैं, जो इस कथन को मजबूती देता है कि कम्प्यूटेशनल पावर AI क्षेत्र में वर्चस्व की कुंजी है. हालांकि ये सब बातें इस ओर भी इशारा करती हैं कि DeepSeek की दक्षता एक संभावित पैराडाइम शिफ्ट की और संकेत देती है. एक ऐसा दौर जहां प्रशिक्षण और AI मॉडल को चलाने के लिए अत्यधिक प्रोसेसिंग पावर की आवश्यकता नहीं होगी जिसे पहले अनिवार्य समझा जाता था. 

 

DeepkSeek का लॉन्च ट्रंप प्रशासन के लिए एक नई चुनौती है. इस लॉन्च ने US के लिए AI को तत्काल प्राथमिकता लिस्ट में डाल दिया है. 21 जनवरी को, राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने AI की इस महत्वपूर्ण दौड़ में अमेरिकी प्रतियोगियों को मदद करने के लिए AI के बुनियादी ढांचे के निर्माण के लिए 500 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक के निजी क्षेत्र के निवेश के लिए एक योजना पर से पर्दा उठाया. इस दौड़ में एक प्रतिस्पर्धी बढ़त बनाए रखने में अमेरिकी बौद्धिक पूंजी के निरंतर महत्व पर जोर देते हुए, डॉनल्ड ट्रंप प्रशासन ने AI अनुसंधान में निवेश को दुगना करने का वादा किया है. देश के पहले AI अनुसंधान संस्थानों का निर्माण किया है और निजी क्षेत्र में AI के विकास की देखरेख के लिए दुनिया के पहले नियामक दिशानिर्देशों को पेश किया है. 

 

जैसा कि अपेक्षित था, राष्ट्रपति ट्रंप ने DeepSeek के उदय को एक महत्वपूर्ण चुनौती और अमेरिकी AI उद्यमों को फिर नए सिरे से शुरू करने के लिए एक उत्प्रेरक के रूप में दर्शाया है. उन्होंने अमेरिकी टेक्नोलॉजी कंपनियों से ठहराव से बचने और टेक्नोलॉजी में इनोवेशन में अरसे से काबिज़ अमेरिकी नेतृत्व को फिर से जीवंत करने का आग्रह किया है. ट्रंप की टिप्पणी से अमेरिकी टेक इकोसिस्टम द्वारा अनुसंधान और विकास में निरंतर निवेश की महत्वपूर्ण आवश्यकता का पता चलता है ताकि अमेरिका का तेजी से प्रतिस्पर्धी हो रही AI वैश्विक परिदृश्य में निरंतर प्रभुत्व सुनिश्चित किया जा सके.

 

हालांकि, इस विषय में इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी (IP) से संबंधित चिंताएं भी हैं, जैसा कि व्हाइट हाउस AI और क्रिप्टोकरेंसी के धुरंदर डेविड साक्स द्वारा सुझाया गया है. डेविड साक्स ने कहा है कि DeepSeek ने अपनी तकनीक को विकसित करने में मदद करने के लिए OpenAI के मॉडल के आउटपुट पर निर्भरता रखी होगी. उन्होंने "डिस्टिलेशन" नामक एक प्रक्रिया का जिक्र किया है जिस कार्यप्रणाली के अंतर्गत एक मॉडल दूसरे से टेक्नोलॉजिकल अप्प्रोप्रिएशन के संभावित वेक्टर के रूप में जानकारी को गलत रास्ते हासिल करता है. यदि डेविड सॉक्स का यह अंदाज़ा सच होता है तो इससे अमेरिकी IP की चीनी द्वारा चोरी पर अमेरिकी संस्थानों की सदियों पुरानी चिंताओं को और बल मिलेगा.

 

AI पर नियंत्रण की स्पर्धा 

 

AI मात्र एक और तकनीकी प्रगति नहीं है. यह इस दशक को परिभाषित करने वाली सबसे प्रबल ताकत है और इससे भी शायद परे है. इसके लाभ, इसके परिणामों की ही तरह, एक नॉन लीनियर ट्रैजेक्टोरी की दिशा तय करते हैं. अमेरिका और चीन AI के भविष्य को निर्धारित करने के लिए पैमाने, पूंजी और इंफ्रास्ट्रक्चर में श्रेष्ठता वाले एकमात्र देश के रूप में खुद साबित करने के लिए एक अभूतपूर्व मायने वाली दौड़ में लगे हुए हैं. दोनों देशों ने AI मॉडल के विकास और उन्हें बनाए रखने के लिए आवश्यक डेटा केंद्रों के निर्माण में अभूतपूर्व तरीके से अपने बहुत ज़्यादा संसाधन झोंक दिए हैं.

 अमेरिका और चीन AI के भविष्य को निर्धारित करने के लिए पैमाने, पूंजी और इंफ्रास्ट्रक्चर में श्रेष्ठता वाले एकमात्र देश के रूप में खुद साबित करने के लिए एक अभूतपूर्व मायने वाली दौड़ में लगे हुए हैं. दोनों देशों ने AI मॉडल के विकास और उन्हें बनाए रखने के लिए आवश्यक डेटा केंद्रों के निर्माण में अभूतपूर्व तरीके से अपने बहुत ज़्यादा संसाधन झोंक दिए हैं.

बहुत लंबे समय तक वॉशिंगटन इस गलतफह़मी में काम करता रहा वह चीन से AI की दौड़ में बहुत आगे है और चीन को AI क्षेत्र में पैर पसारने के लिए आवश्यक तकनीक को प्रतिबंधित करके वह इस रेस में हमेशा अव्वल रहेगा. अमेरिका की योजना बड़ी सरल थी. वह इस बात को सुनिश्चित करता था कि चीन की महत्वपूर्ण हार्डवेयर तक पहुंच न बन सके. और इस कारण चीन का AI क्षेत्र में विकास थम जाए. उदाहरण के लिए, बाइडेन प्रशासन ने प्रतिबंधात्मक कदमों को दोगुना कर दिया और चीनी तकनीकी कंपनियों को उन्नत चिप्स और AI से संबंधित तकनीक के निर्यात पर पाबंदी लगा दी. हालांकि, DeepSeek की सफ़लता से पता चलता है कि अमेरिकी कदम की उपयोगिता उसके ठीक उलट रही. अमेरिकी प्रतिबंधों ने चीनी कंपनियों को अपने सीमित संसाधन और उपलब्ध कंप्यूटिंग शक्ति के हर अंतिम बिट को अनुकूल इस्तेमाल करने और उसका उपयोग करने की क्षमता हासिल करने में मदद की और नतीजतन अमेरिका के कदम ने शायद चीन को अधिक कुशल बना दिया. यह सेकंड आर्डर इफ़ेक्ट का एक क्लासिक मामला है. अमेरिका ने सोचा कि उसका कदम चीन के लिए सीमा बांध रहा है लेकिन असल में अमेरिका ने जिस तरह की प्रतिकूलता चीन के रास्ते में पैदा की उसने इनोवेशन को जन्म दिया. फलस्वरूप अब AI रेस में यह सवाल नहीं रहा कि क्या चीन अमेरिका से प्रतिस्पर्धा कर सकता है, बल्कि अब यह सवाल प्रासंगिक है कि क्या अमेरिका इस रेस में अपने वर्चस्व को कायम रख सकता है. 

 

इसके अलावा, बीजिंग अपनी घरेलू तकनीकी क्षमताओं को स्थापित करने के लिए एक दीर्घकालिक रणनीति को व्यवस्थित रूप से अमल में ला रहा है और DeepSeek का उदय इस बात की ओर इशारा करने वाला एक और प्रमुख मील के पत्थर है. इस AI तकनीक के ऊपर से चीन का पर्दा उठाने का समय और उसमे व्याप्त संदेश दुनिया को एक स्पष्ट संकेत भेजने के लिए रणनीतिक रूप से डिजाइन किया गया लगता है. यह सब एक ऐसे समय में हुआ है जब राष्ट्रपति ट्रंप अधिक टैरिफ और प्रतिबंधों पर विचार कर रहे हैं और DeepSeek से पर्दा हटाकर लगता है कि चीन यह दावा कर रहा है कि अमेरिकी निर्यात नियंत्रण उतने प्रभावी नहीं हैं जितना समझा जाता है. और AI क्षेत्र में अमेरिका का निर्विवाद नेतृत्व का युग भी समाप्त हो सकता है. यह पूरी स्थिति अमेरिका के तकनीकी प्रभुत्व के लिए एक सीधी चुनौती है और यह चीन के एक समांतर तकनीकी साम्राज्य को खड़ा करने की अपनी तीव्र महत्वाकांक्षाओं और बढ़ती क्षमताओं को रेखांकित करती है.

 

जबकि चीन अस्थायी रूप से AI क्षेत्र में उत्पादन में लागत की कुशलता के कारण कुछ फ़ायदा उठा सकता है, पर इस क्षेत्र में दीर्घकालिक सफ़लता अंततः अमेरिका द्वारा ऐतिहासिक रूप से किए जाने वाले सुदृढ़ सतही इनोवेशन पर निर्भर करेगी. यह परिप्रेक्ष्य आर्थिक सिद्धांतों के साथ भी मेल खाता है जो यह कहता है कि प्रारंभिक इनोवेशन और रचनात्मक क्षमताओं का विकास निरंतर प्रतिस्पर्धात्मक लाभ के लिए सबसे महत्वपूर्ण है. चाहे वह वैश्विक गतिशीलता और तकनीकी प्रगति को स्थानांतरित करने के दौर में भी क्यों न हो, जैसा कि अभी है. कुल मिलाकर इस पूरी बात का भावार्थ यह है कि अल्पकालिक क्षमता को दोहराया जा सकता है पर स्थायी नेतृत्व मूल बौद्धिक क्षेत्र में किए जाने वाले योगदान से ही संभव है. 

 

निष्कर्ष

 

DeepSeek का उदय 21वीं सदी का एक स्पुतनिक क्षण हो सकता है, जिसने रूस द्वारा अमेरिकी स्पेस वर्चस्व को सफ़ल चुनौती दी थी. शायद ऐसा न भी हो लेकिन वास्तविकता यह है कि 2025 की शुरुआत में एक चीनी AI अब अमेरिका के सर्वश्रेष्ठ AI मॉडल के टक्कर में आकर खड़ा हो गया है. जो लागत के हिसाब से अमेरिकी मॉडल के एक अंश के बराबर भी नहीं है. सिलिकॉन वैली की अब नींद उड़ चुकी है. उसे अब यह ज्ञात हो गया है कि  AI को विकसित करने के लिए अब अधिक लागत-कुशल और तेज तरीके मौजूद है. और यह क्षेत्र अब केवल अमेरिकी तरीके से नहीं चलता. वॉशिंगटन, भी अब यह महसूस करने लगा है कि चीन पूरी तरह से चुनौती देने की स्थिति में है जबकि विश्व के बाकी सारे देश केवल इस तकनीकी उन्नति के फ़ल का स्वाद लेने में व्यस्त हैं. 

 

जैसे जैसे अमेरिका DeepSeek की प्रतिक्रिया के रूप में अपने आगामी नियामक और रणनीतिक कदमों को मूर्त रूप देने की अपनी बातचीत को आगे बढ़ाएगा, ये कदम अनिवार्य रूप से AI गवर्नेंस, बौद्धिक संपदा से सम्बंदित न्यायिक पक्ष और अंतरराष्ट्रीय तकनीकी संप्रभुता के व्यापक ढांचे को आकार देंगे. यह बात, AI क्षेत्र की विशेषताओं की तरह बहुत कुछ ज़ोख़िम, अनिश्चितता और कॉम्पिटिटिव असिमिट्री की एक गतिशील गाथा बनी रहेगी.

 इस विषय में अगले कुछ साल निर्णायक होंगे क्योंकि असली खेल केवल इस बारे में नहीं होगा कि इस रेस में कौन नेतृत्व कर रहा है, बल्कि बिसात इस पर तय होगी कि कौन खिलाड़ी है जो तीव्र गति से अप्रत्याशित हो रहे माहौल में पनपने और अपने अस्तित्व को आगे बढ़ाने की कला को जानता है. 

यह AI प्रतिस्पर्धा अब केवल एक रेस नहीं बल्कि एक मैराथन है. धावक अलग-अलग पहलुओं में इसका नेतृत्व कर रहे हैं. जैसे जैसे इस प्रतिस्पर्धा में अपनी बिसात लगाने के पैमाने कम होते जा रहे हैं, वैसे वैसे इस रेस में प्रतिद्वंद्वी उभर रहे हैं जो पहले धन बल की कमी के कारण इस खेल से बाहर थे. इस विषय में अगले कुछ साल निर्णायक होंगे क्योंकि असली खेल केवल इस बारे में नहीं होगा कि इस रेस में कौन नेतृत्व कर रहा है, बल्कि बिसात इस पर तय होगी कि कौन खिलाड़ी है जो तीव्र गति से अप्रत्याशित हो रहे माहौल में पनपने और अपने अस्तित्व को आगे बढ़ाने की कला को जानता है. 

 

इसके अलावा, इस दौड़ का वास्तविक प्रभाव उत्पादकता, आर्थिक विषमताओं और इकनोमिक असमानताओं और सिस्टेमेटिक फ़्रजैलिटीज़ जैसे सेकंड आर्डर इफ़ेक्ट पर पड़ेगा जिसका असर न तो तुरंत आसानी से नज़र आएगा न ही उसको तोला या उसका अनुमान लगाया जा सकेगा. असली सवाल यह नहीं है कि AI की दौड़ में आगे कौन है लेकिन सवाल यह है कि अनपेक्षित परिणाम जैसे कि पावर शिफ्ट, एफिशिएंसी गेन और छिपे हुए ज़ोख़िम, पहले से नाजुक और ध्रुवीकृत जिओपोलिटिकल परिदृश्य में गहरा भूचाल पैदा करते हैं. 


समीर पाटिल ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन में सेंटर फॉर सिक्योरिटी, स्ट्रेटेजी एंड टेक्नोलॉजी सेंटर के निदेशक हैं.

सौरदीप बैग ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन में सेंटर फॉर सिक्योरिटी, स्ट्रेटेजी एंड टेक्नोलॉजी में एक एसोसिएट फेलो है.

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