अफ्रीका में कीनिया उन देशों में से है जहां मोबाइल की पहुंच सबसे ज़्यादा लोगों तक है. निजी और सार्वजनिक इस्तेमाल के साथ-साथ मोबाइल मनी से लेकर इलेक्ट्रॉनिक सरकारी सेवा तक- तकनीक को अपनाने के मामले में कीनिया की तारीफ़ की जाती है. इसलिए हैरानी की बात नहीं है कि जब कोविड-19 महामारी का हमला हुआ तो कीनिया ने डिजिटल तकनीक का इस्तेमाल किया ताकि लोगों को काम-काज और पढ़ाई के नये तरीक़ों में सहूलियत मिल सके. कॉन्टैक्ट-लेस यानी बिना संपर्क में आये लेन-देन के लिए कई नीतिगत और क़ानूनी क़दम उठाए गए.
इन क़दमों में 1,000 कीनियाई शिलिंग से कम के लेन-देन के लिए मुफ़्त मोबाइल मनी पर्सन-टू-पर्सन लेन-देन से लेकर मुफ़्त बैंक-टू-मोबाइल वॉलेट ट्रांसफर शामिल हैं. कई क़ानूनों में संशोधन के ज़रिए इलेक्ट्रॉनिक दस्तख़त को क़ानूनी रूप दिया गया और न्यायपालिका ने ई-सर्विस, ई-फाइलिंग, ई-पेमेंट और ई-प्रक्रिया के लिए नियम तैयार किए. इनमें से कई क़दम कीनिया में नोवल कोरोना वायरस के पहले मामले की पुष्टि होने के फ़ौरन बाद उठाए गए जब लॉकडाउन लगने वाला था. इस तरह ये क़दम न सिर्फ़ डिजिटल लेन-देन के साथ डिजिटल सोसायटी की मदद के लिए उठाए गए थे बल्कि आवगमन में कमी की वजह से कम आमदनी वाले जिन लोगों की आजीविका पर असर पड़ा था, उनकी मदद के लिए भी थे.
इनमें से कई क़दम कीनिया में नोवल कोरोना वायरस के पहले मामले की पुष्टि होने के फ़ौरन बाद उठाए गए जब लॉकडाउन लगने वाला था.
नकदी के कम प्रवाह से अर्थव्यवस्था पर लॉकडाउन और कर्फ्यू का असर साफ़ नज़र आ रहा था. लेकिन इसके बावजूद सेंट्रल बैंक ऑफ केन्या (सीबीके) के आंकड़ों से पता चलता है कि फरवरी से अक्टूबर 2020 के बीच मोबाइल मनी लेन-देन में 87 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई. मोबाइल मनी लेन-देन की लागत पर कोविड-19 के आपात क़दम सामर्थ्य, समावेशन से लेकर नियमन के दृष्टिकोण से डिजिटल भुगतान की गतिशीलता दिखाते हैं.
इन क़दमों के उठाए जाने के तीन महीने के बाद कीनिया के सबसे बड़े मोबाइल मनी ऑपरेटर (एमएनओ) सफारीकॉम ने इन क़दमों के विस्तार का विरोध किया. सफारीकॉम के अनुमान के मुताबिक उसे आमदनी में 19 बिलियन कीनियाई शिलिंग का नुक़सान उठाना पड़ा. संचार नियामक के आंकड़े संकेत देते हैं कि इस अवधि में पर्सन-टू-पर्सन मोबाइल मनी लेन-देन की मात्रा और मूल्य में क्रमश: 24 प्रतिशत और 7.2 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई थी. सेंट्रल बैंक ऑफ केन्या के मुताबिक 28 लाख नये मोबाइल मनी सब्सक्राइबर आए और 1,000 केन्याई शिलिंग से कम के लेन-देन में 114 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई.
ये आंकड़े ज़्यादा लोगों तक मोबाइल की पहुंच के आंकड़े से बिल्कुल अलग तस्वीर पेश करते हैं. ये संकेत देते हैं कि कई संभावित मोबाइल मनी सब्सक्राइबर थे जिन्होंने आपात क़दमों से पहले इस सेवा का इस्तेमाल नहीं किया. इसकी संभावित वजह लेन-देन की फीस थी जो लेन-देन की रक़म के मुताबिक़ 10 केन्याई शिलिंग से लेकर 300 केन्याई शिलिंग के बीच थी. लेन-देन की फीस हटाने के बाद मोबाइल मनी की सुविधा का फ़ायदा उठाने वाले लोगों की संख्या में 100 प्रतिशत से ज़्यादा की बढ़ोतरी इस बात की याद दिलाती है कि डिजिटलाइज़ेशन को पूरी तरह बाज़ार के भरोसे नहीं छोड़ा जा सकता. नीति निर्माताओं को आपात क़दमों की तरह उचित ढंग से हस्तक्षेप करना चाहिए.
मोबाइल मनी से लोगों को वित्तीय सहूलियत
दुख की बात ये है कि मुफ़्त मोबाइल मनी लेन-देन का निर्देश ज़्यादा समय के लिए नहीं था. इसके ख़त्म होने के बाद मोबाइल मनी ऑपरेटर इस बात के लिए आज़ाद होंगे कि वो पहले की तरह पर्सन-टू-पर्सन लेन-देन फीस की व्यवस्था की तरफ़ लौटेंगे या- जिस बात की ज़्यादा लोग उम्मीद कर रहे हैं- लेन-देन फीस को ख़त्म करेंगे या उसमें ज़ोरदार कमी करेंगे.
दिलचस्प बात ये है कि किसी भी तरह की रक़म का बैंक से मोबाइल वॉलेट ट्रांसफर मुफ़्त बना रहेगा. इस बात की तारीफ़ की जा रही है लेकिन इससे वित्तीय समावेशन का सवाल सामने आता है. 2019 में फिनएक्सेस के एक सर्वे के मुताबिक़ कीनिया के सिर्फ़ 41 प्रतिशत लोगों के पास बैंक खाता है. लेकिन मोबाइल मनी सेवाओं की उपलब्धता की वजह से 80 प्रतिशत से ज़्यादा लोगों की पहुंच वित्तीय सेवाओं तक है. बैंक से मोबाइल वॉलेट लेन-देन के लिए ट्रांज़ैक्शन फीस ख़त्म करने का फ़ायदा लोगों के एक हिस्से को है जो पहले से औपचारिक वित्तीय सेवाओं में शामिल हैं. मुफ़्त मोबाइल मनी ट्रांसफर का फ़ायदा उठाने के लिए किसी व्यक्ति को बैंक में खाता खोलने की ज़रूरत होगी.
ये आंकड़े ज़्यादा लोगों तक मोबाइल की पहुंच के आंकड़े से बिल्कुल अलग तस्वीर पेश करते हैं. ये संकेत देते हैं कि कई संभावित मोबाइल मनी सब्सक्राइबर थे जिन्होंने आपात क़दमों से पहले इस सेवा का इस्तेमाल नहीं किया.
फिनएक्सेस सर्वे बताता है कि बिना बैंक खाते वाले ज़्यादातर वयस्क अनौपचारिक सेक्टर में काम करने वाले कम आमदनी कमाने वाले लोग हैं जिनके पास शायद ही इतने पैसे होते हैं कि वो बचत कर सकें या बैंक खाता खोल सकें. इसलिए उन्होंने मोबाइल मनी का सहारा लिया जो पैसे के साधारण ट्रांसफर से छोटे डिजिटल कर्ज़ में तब्दील हो गया है. सेंट्रल बैंक ऑफ केन्या के निर्देश बैंकिंग सुविधा से दूर और मोबाइल मनी पर निर्भर लोगों को बाज़ार के भरोसे छोड़ता है.
आने वाले वर्षों में कई लोग इस बात का इंतज़ार करेंगे कि क्या मोबाइल नेटवर्क के ऑपरेटर किफायती फीस के साथ 28 लाख नये मोबाइल मनी के सब्सक्राइबर को बनाए रखने में कामयाब रहेंगे या नहीं. सेंट्रल बैंक ऑफ कीनिया ने एक सिद्धांत आधारित मॉडल की शुरुआत की है जहां ग्राहक-केंद्रीयता, पारदर्शिता, निष्पक्षता और प्रतिस्पर्धा के आधार पर ग्राहकों से फीस ली जाएगी. ये आपात क़दमों से हटकर हैं जो निर्देशात्मक ज़्यादा थे. साथ ही केन्या में मोबाइल टेलीफ़ोन अर्थव्यवस्था में प्रतिस्पर्धा बढ़ाने और ग्राहकों को विकल्प देने के लिए अतीत में जो कई कोशिशें की गई थीं, उनसे भी हटकर हैं.
बैंक से मोबाइल वॉलेट लेन-देन के लिए ट्रांज़ैक्शन फीस ख़त्म करने का फ़ायदा लोगों के एक हिस्से को है जो पहले से औपचारिक वित्तीय सेवाओं में शामिल हैं.
नये सब्सक्राइबर को बनाए रखने के आगे डिजिटल अधिकार दृष्टिकोण से इस बात में भी दिलचस्पी है कि इन सभी लेन-देन से इकट्ठा आंकड़ों का कैसे प्रयोग किया जाता है. केन्या 2019 का डाटा सुरक्षा अधिनियम लागू करने की प्रक्रिया से गुज़र रहा है जिसमें दूसरी बातों के अलावा व्यक्तिगत डाटा जैसे वित्तीय लेन-देन की निजता को प्रोत्साहन और सुरक्षा की ज़रूरत है. ऐसा भी नहीं है कि सिर्फ़ कीनिया के लोग ही मोबाइल मनी अर्थव्यवस्था का पालन कर रहे हैं. इथियोपिया जैसे देश, जो अपने दूरसंचार बाज़ार के उदारीकरण की प्रक्रिया से गुज़र रहे हैं, बेहद उत्सुकता से देखते हुए अच्छी कार्यप्रणाली के साथ-साथ डिजिटल भुगतान की तरफ़ जाते वक़्त होने वाले ख़तरों से परहेज़ करने के बारे में सीख रहे होंगे.
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