Author : Basu Chandola

Expert Speak Raisina Debates
Published on May 19, 2025 Updated 19 Hours ago

अगर भारत की डिजिटल भुगतान क्रांति को सही मायने में समावेशी बनाना है तो UPI के इस्तेमाल में लैंगिक बंटवारे को दूर करना आवश्यक है. 

UPI के फ्रेमवर्क में लैंगिक समानता: चुनौतियां और समाधान

Image Source: Getty

पिछले कुछ वर्षों के दौरान भारत ने दुनिया के सबसे बड़े डिजिटल पेमेंट इकोसिस्टम के रूप में अपनी स्थिति मज़बूत कर ली है. डिजिटल पेमेंट लेन-देन के प्राथमिक तरीके के रूप में तेज़ी से नकदी की जगह ले रहे हैं और फुटपाथ दुकानदार से लेकर बड़े-बड़े शॉपिंग मॉल तक इसका इस्तेमाल सभी स्तरों पर किया जाता है. 2023 में वैश्विक रियल-टाइम पेमेंट में अकेले भारत का हिस्सा 48.5 प्रतिशत रहा. डिजिटल भुगतान में इस बढ़ोतरी का श्रेय यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस (UPI) के विकास को दिया जा सकता है. 2024 में भारत के डिजिटल मार्केट में UPI का हिस्सा बढ़कर 83 प्रतिशत हो गया. UPI भारत की स्वदेशी भुगतान प्रणाली है जो उपयोग करने वालों को एक मोबाइल एप्लिकेशन के ज़रिए कई बैंक खातों का संचालन करने की अनुमति देती है. UPI मोबाइल डिवाइस के माध्यम से चौबीसों घंटे पैसे के तुरंत हस्तांतरण की सुविधा देती है. आज UPI के लेन-देन का मूल्य बढ़कर मार्च 2025 तक 260.56 लाख करोड़ रुपये हो गया है जो 2019-20 में 21.3 लाख करोड़ रुपये था. 

अपने ज़बरदस्त विकास के साथ UPI डिजिटल वित्तीय समावेशन को बढ़ाने और डिजिटल वित्तीय सेवाओं तक महिलाओं की पहुंच में सुधार करने के लिए एक महत्वपूर्ण साधन के रूप में काम कर सकती है. लेकिन पुरुषों और महिलाओं के द्वारा UPI के उपयोग में असमानता बनी हुई है. विश्व दूरसंचार और सूचना समाज दिवस 2025 की थीम "डिजिटल परिवर्तन में लैंगिक समानता" है. इसको ध्यान में रखते हुए ये लेख महिलाओं के बीच UPI के उपयोग के पैटर्न की पड़ताल करता है और सुझाव देता है कि तकनीक को अपनाने में इस लैंगिक विभाजन को कैसे पाटा जा सकता है.

महिलाओं के बीच UPI का इस्तेमाल

वैसे तो नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) अपनी वेबसाइट पर एक समर्पित टैब के ज़रिए UPI से जुड़े आंकड़े मुहैया कराता है लेकिन लैंगिक आधार पर UPI उपयोग का आंकड़ा सार्वजनिक रूप से उपलब्ध नहीं है. इसकी वजह से UPI लेन-देन में महिलाओं की भागीदारी का सटीक आकलन करना मुश्किल हो जाता है. 2023 में गूगल पे (GPay) की इंजीनियरिंग डायरेक्टर आरती देव ने बताया कि "भारत में UPI का इस्तेमाल करने वालों में महिलाएं 30% से कम हैं". हाल के समय में 2024 में NPCI के कॉर्पोरेट व्यवसाय और प्रमुख पहल के मुख्य नलिन बंसल ने कहा कि UPI का "उपयोग करने वालों में केवल 25%" महिलाएं हैं और "अर्ध-शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों में तो और भी कम" महिलाएं UPI का उपयोग करती हैं. कुल मिलाकर ये अनुमान लगाया जाता है कि देश में UPI का उपयोग करने वालों में 30 प्रतिशत से कम महिलाएं हैं.

विश्व दूरसंचार और सूचना समाज दिवस 2025 की थीम "डिजिटल परिवर्तन में लैंगिक समानता" है. इसको ध्यान में रखते हुए ये लेख महिलाओं के बीच UPI के उपयोग के पैटर्न की पड़ताल करता है और सुझाव देता है कि तकनीक को अपनाने में इस लैंगिक विभाजन को कैसे पाटा जा सकता है.

महिलाओं के बीच UPI उपयोग का पता लगाने के लिए कई सर्वे और अध्ययन किए गए हैं जिनमें से कुछ का सारांश नीचे दिया गया है:

तालिका 1: भारत में महिलाओं के बीच UPI के उपयोग को लेकर अध्ययन


अध्ययन

नतीजे की मुख्य बातें

 

 

FICCI और CII के द्वारा

भारत में तकनीक और साक्षरता के माध्यम से वित्तीय समावेशन: सतत विकास के लिए रणनीतियां

जनसंख्या के प्रमुख हिस्सों के 1,033 जवाब देने वालों के बीच ये सर्वे किया गया. नतीजे बताते हैं कि जहां 69 प्रतिशत महिलाएं डिजिटल बैंकिंग का इस्तेमाल करती हैं, वहीं केवल 44 प्रतिशत ही नियमित लेन-देन करती हैं. UPI लेन-देन का सबसे पसंदीदा तरीका है.

 

DBS और CRISIL के द्वारा

महिलाएं और वित्त

सर्वे में 10 शहरों की 800 महिला उत्तरदाताओं को शामिल किया गया. अध्ययन से पता चला कि सर्वे में भाग लेने वाली 29 प्रतिशत महिलाओं ने भुगतान के तरीके के रूप में UPI को प्राथमिकता दी. अध्ययन से ये भी पता चला कि 25-35 उम्र समूह की 33 प्रतिशत महिलाओं ने ऑनलाइन ख़रीदारी के लिए UPI का उपयोग करने में अधिक रुचि दिखाई.

अर्थ ग्लोबल के द्वारा सर्वे | भारतीय

UPI का उपयोग कैसे करते हैं?

रैपिड सर्वे में 2,098 जवाब देने वालों को शामिल किया गया. सर्वे से पता चला कि महिलाओं की तुलना में कुछ अधिक पुरुष (70 प्रतिशत) UPI का उपयोग करते हैं. हालांकि सर्वे से ये भी पता चला कि सैंपल में लैंगिक असमानता के कारण  लिंग के आधार पर विस्तृत तुलना करने की क्षमता सीमित हो गई है. 

PayNearby के द्वारा PayNearby

महिला वित्तीय इंडेक्स (PWFI)

ये अध्ययन कंपनी के द्वारा पूरे भारत में 3,000 से अधिक रिटेल जगहों पर किए गए सर्वे पर आधारित है जिसमें वहां की दुकानों में महिला उपभोक्ताओं के वित्तीय लेन-देन का पता लगाया गया. अध्ययन से पता चला कि भुगतान का सबसे पसंदीदा तरीका नकदी है. 48 प्रतिशत महिलाएं नकद लेन-देन को प्राथमिकता देती हैं. वहीं आधार आधारित लेन-देन और UPI QR कोड दहाई आंकड़े में रफ्तार पकड़ रहे हैं.

ग्रामीण महिलाओं के बीच UPI भुगतान के उपयोग को समझना: तकनीकी स्वीकार्यता मॉडल से जानकारी

कर्नाटक के मैंगलोर में 300 जवाब देने वालों से आमने-सामने एक सर्वे किया गया. 300 में से 72 (24 प्रतिशत जवाब देने वालों) ने कहा कि वो UPI का इस्तेमाल नहीं करती हैं. 

 

केरल के कन्नूर ज़िले में ग्रामीण और

शहरी क्षेत्रों में UPI भुगतान के

उपयोग पैटर्न पर तुलनात्मक अध्ययन

ये अध्ययन 200 जवाब देने वालों पर आधारित है. ये जवाब देने वाले केरल के कन्नूर ज़िले के ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में रहते हैं और उन्हें आसानी से उपलब्धता के आधार पर चुना गया. नतीजों से पता चलता है कि गांवों में रहने वाली केवल 12.5 प्रतिशत और शहरों में रहने वाली 25 प्रतिशत महिलाएं ही UPI के इस्तेमाल को प्राथमिकता देती हैं. 

सौराष्ट्र क्षेत्र के चुनिंदा शहरों में महिलाओं के बीच डिजिटल भुगतान के तरीकों का उपयोग

ये अध्ययन सौराष्ट्र के चुनिंदा शहरों में 500 महिलाओं के सैंपल साइज़ पर आधारित है. अध्ययन से पता चला कि 40 प्रतिशत शहरी महिलाएं और 51 प्रतिशत ग्रामीण महिलाएं UPI का इस्तेमाल कर रही थीं.

भारत में भुगतान के तरीके के रूप में UPI का इस्तेमाल: चुनौतियां और आगे का रास्ता

ये अध्ययन 405 जवाब देने वालों के सर्वे और उसके बाद गहन साक्षात्कार पर आधारित है. अध्ययन से पता चला कि 72 प्रतिशत शहरी पुरुष UPI का इस्तेमाल करते हैं जबकि केवल 55 प्रतिशत शहरी महिलाएं ही UPI का इस्तेमाल करती हैं. इसी तरह अर्ध-शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले क्रमशः 68 प्रतिशत और 51 प्रतिशत पुरुष UPI का इस्तेमाल करते हैं, वहीं महिलाओं के मामले में ये आंकड़ा क्रमशः 48 प्रतिशत और 30 प्रतिशत ही है. 

स्रोत: लेखक के द्वारा संकलित 

ऊपर ज़िक्र किए गए सर्वे और अध्ययन बताते हैं कि UPI का उपयोग करने में पुरुषों और महिलाओं के बीच अंतर है. उपयोग करने वाला किस क्षेत्र में रहता है, उसके मुताबिक ये अंतर बढ़ सकता है. ग्रामीण महिलाओं के द्वारा UPI का उपयोग करने की संभावना कम है. “शहरी भारत कैसे भुगतान करता है” नाम की रिपोर्ट बताती है कि बड़े शहरों में जहां डिजिटल भुगतान का इस्तेमाल करने में बहुत कम लैंगिक अंतर है, वहीं छोटे शहरों और कस्बों में इसके इस्तेमाल में कुछ अंतर बना हुआ है. वैसे तो जिन अध्ययनों का हवाला दिया गया है, उनमें से ज़्यादातर ने सीमित सैंपल साइज़ का उपयोग किया जिसकी वजह से नतीजों पर पहुंचना मुश्किल हो जाता है लेकिन वो इस लैंगिक अंतर में प्राथमिक संकेतक के तौर पर काम करते हैं. इस डिजिटल विभाजन में कई कारण योगदान देते हैं जिनमें कनेक्टिविटी की कमी, स्मार्टफोन का अभाव, डिजिटल कौशल एवं वित्तीय साक्षरता की कमी और वित्तीय स्वतंत्रता की अनुपस्थिति शामिल हैं. इसका नतीजा महिलाओं के द्वारा UPI के कम इस्तेमाल के रूप में निकलता है. 

'UPI फॉर हर' पहल

महिलाओं के बीच UPI के उपयोग को बढ़ाने के लिए NPCI और विमेंस वर्ल्ड बैंकिंग (WWB) ने “UPI फॉर हर” पहल के लिए तालमेल किया है. इसका उद्देश्य डिजिटल पेमेंट सिस्टम में महिलाओं की भागीदारी को बढ़ाना है. अगस्त 2024 में जारी अपनी पहली रिपोर्ट में इस पहल ने बताया कि “भारत में महिलाओं के बीच UPI की दिशा में बदलाव के योग्य बाज़ार 20 करोड़ है.” रिपोर्ट में उजागर किया गया है कि UPI में वो क्षमता है कि वो वित्तीय समावेशन में लैंगिक अंतर को भर सके. साथ ही रिपोर्ट में महिलाओं के बीच UPI के उपयोग को बढ़ाने के लिए कई कदमों की सिफारिश की गई है. इनमें “फिज़िटल” (“फिज़िकल” और “डिजिटल” का मिश्रण) साधन के ज़रिए महिलाओं को जोड़ना, महिलाओं में भरोसा पैदा करने के लिए टारगेट मार्केटिंग, लैंगिक उद्देश्य से समावेशी डिज़ाइन, लिंग आधारित अधिग्रहण की रणनीतियां और उपयोग बढ़ाने के लिए महिलाओं की ट्रेनिंग में निवेश शामिल हैं. 

UPI विभाजन को दूर करना 

UPI को अपनाने में लैंगिक विभाजन को पाटने की दिशा में पहला कदम होगा लिंग के आधार पर देश में UPI के उपयोग का अलग-अलग डेटा इकट्ठा करना. महत्वपूर्ण आंकड़ों के बिना UPI के उपयोग में महिलाओं और महिला उद्यमियों के सामने आने वाली चुनौतियों का पता लगाना मुश्किल है. इसके कारण उचित नीतियां तैयार करने में दिक्कत होती है. महिलाओं के बीच UPI के उपयोग में बारीकियों के बारे में सही ढंग से बताने वाले इस तरह के आंकड़े डिजिटल वित्तीय समावेशन की दिशा में प्रभावी नीतिगत उपायों को लागू करने के लिए आवश्यक हैं. ये नीतियां महिलाओं के द्वारा UPI के उपयोग को बढ़ा सकती हैं. 

डिजिटल अर्थव्यवस्था में महिलाओं की सार्थक भागीदारी को साकार करने के लिए UPI के उपयोग में लैंगिक विभाजन को पाटना आवश्यक है.

इसके समानांतर डिजिटल डिवाइस तक लैंगिक आधार पर समान पहुंच को सुनिश्चित करने के लिए डिजिटल विभाजन को पाटना महत्वपूर्ण है. GSMA मोबाइल जेंडर गैप रिपोर्ट 2024 में बताया गया है कि जहां 85 प्रतिशत पुरुषों के पास मोबाइल है, वहीं केवल 75 प्रतिशत महिलाएं मोबाइल रखती हैं. इनमें से केवल 57 प्रतिशत महिलाएं मोबाइल इंटरनेट के बारे में जानती हैं और केवल 37 प्रतिशत ने इसे अपनाया है. मोबाइल और इंटरनेट तक महिलाओं की पहुंच को सक्षम बनाना, विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में, आवश्यक है क्योंकि UPI सेवाओं का उपयोग करने के लिए ये बुनियादी शर्तें हैं. अंत में, वित्तीय साक्षरता को बढ़ाना और महिलाओं को अधिक वित्तीय स्वतंत्रता से सशक्त करना महत्वपूर्ण है. फिनटेक सेवाओं का प्रभावी ढंग से उपयोग करने के लिए महिलाओं को ज्ञान और कौशल से लैस करना एक प्रमुख नीतिगत प्राथमिकता होनी चाहिए.  

डिजिटल अर्थव्यवस्था में महिलाओं की सार्थक भागीदारी को साकार करने के लिए UPI के उपयोग में लैंगिक विभाजन को पाटना आवश्यक है. आख़िर दुनिया का सबसे बड़ा डिजिटल पेमेंट सिस्टम बनाने का क्या मतलब है जब दो-तिहाई महिलाएं पीछे छूट जाती हैं? अधिक लैंगिक समानता हासिल करने के लिए डिजिटल वित्तीय समावेशन के उद्देश्य को पूरा करने के लिए नीतियों को लागू करना एक पूर्व शर्त है. 


बासु चंदोला ऑब्ज़र्वर रिसर्च फाउंडेशन में एसोसिएट फेलो हैं.

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