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डेस्ट्रॉयर हादसे के बावजूद उत्तर कोरिया की सेना- थल सेना, नौसेना, साइबर सेना और अंतरिक्ष सेना- को आधुनिक बनाने का किम जोंग उन का अभियान लगातार जारी है.
Image Source: Getty
21 मई 2025 को उत्तर कोरिया के द्वारा अपने नए-नवेले 5,000 टन के डेस्ट्रॉयर (विध्वंसक पोत) को पानी में उतारने का कार्यक्रम जश्न के पल से आपदा में बदल गया क्योंकि जहाज़ चोंगजिन हार्बर में डूब गया. ये घटना उत्तर कोरिया के नेता किम जोंग उन के लिए काफी शर्मिंदगी का कारण बन गई और इसके परिणामस्वरूप चार अधिकारियों को गिरफ्तार किया गया. गिरफ्तार अधिकारियों में री ह्योंग-सो शामिल हैं जो सत्ताधारी वर्कर्स पार्टी के गोला-बारूद उद्योग विभाग के उप विभाग निदेशक थे. वैसे तो इस घटना ने जहाज़ उतारने और सैन्य जहाज़ों के प्रबंधन को लेकर उत्तर कोरिया की क्षमता के बारे में सवाल खड़े किए लेकिन इसने किम जोंग उन के नेतृत्व में उत्तर कोरिया में चल रहे बड़े रुझान को नज़रअंदाज़ कर दिया. इन रुझानों में मुख्य रूप से सैन्य आधुनिकीकरण से जुड़े कार्यक्रमों की शुरुआत, परीक्षण और उद्घाटन करने का उनका लगातार अभियान है.
ये घटनाक्रम उस समय हुआ है जब उत्तर कोरिया ने किम जोंग उन के द्वारा अपनी ब्यूंगजिन नीति के माध्यम से निर्धारित एक महत्वपूर्ण उद्देश्य- यानी परमाणु हथियार से संपन्न देश बनना- को प्राप्त कर लिया है.
कोविड-19 के समय से उत्तर कोरिया ने अलग-अलग क्षेत्रों- जिनमें ज़मीन, वायु, समुद्र, साइबर और यहां तक कि अंतरिक्ष भी शामिल है- में अपने सैन्य आधुनिकीकरण को तेज़ किया है. ये घटनाक्रम उस समय हुआ है जब उत्तर कोरिया ने किम जोंग उन के द्वारा अपनी ब्यूंगजिन नीति के माध्यम से निर्धारित एक महत्वपूर्ण उद्देश्य- यानी परमाणु हथियार से संपन्न देश बनना- को प्राप्त कर लिया है. इस लक्ष्य को हासिल करने के बाद किम ने उत्तर कोरिया की सैन्य क्षमताओं को मज़बूत बनाने और मिसाइल हथियार कार्यक्रम को आधुनिक बनाने पर ध्यान दिया है. इन क्षमताओं में हथियार एवं गोला-बारूद उत्पादन, जहाज़ निर्माण में विकास, अनुसंधान एवं विकास और सैन्य शिक्षा शामिल हैं. उत्तर कोरिया के सशस्त्र बलों के आधुनिकीकरण में निवेश किम जोंग उन के द्वारा दक्षिण कोरिया को दुश्मन देश के रूप में चित्रित करने की धारणा को मज़बूत करता है और देश की सेना को बलशाली बनाने की आवश्यकता को सही ठहराता है.
सैन्य आधुनिकीकरण पर इस ज़ोर को लेकर नए सिरे से ध्यान केंद्रित करने के पीछे दो कारण हैं. पहला कारण ये है कि किम जोंग उन को अमेरिका के साथ किसी समझौते की बहुत कम संभावना दिख रही है, विशेष रूप से ट्रंप-किम कूटनीतिक पराजय के बाद जिसका नतीजा उनके लिए बड़ी शर्मिंदगी के रूप में निकला. इसके बाद उन्होंने पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन की तरफ से कूटनीतिक भागीदारी की पेशकश और पिछले दिनों ट्रंप के द्वारा की गई पहल को भी ‘दिखावा’ बताकर खारिज कर दिया. दूसरा कारण ये है कि आधुनिक युद्ध के बदलते स्वरूप, उत्तर कोरिया की कमज़ोर पारंपरिक क्षमताओं और भौगोलिक कमज़ोरी को देखते हुए किम को लगता है कि अपने सैन्य बलों को आधुनिक बनाना और उन्हें युद्ध के हिसाब से लगातार तैयार रखने के लिए ट्रेनिंग देना महत्वपूर्ण है.
आधुनिक युद्ध के हिसाब से सेना को बदलने के महत्व के बारे में बताते हुए किम ने ज़ोर देकर कहा, “आधुनिक युद्ध के नए पहलुओं और दुश्मनों की युद्ध की रणनीति को देखते हुए हमें अपनी सेना के तकनीकी आधुनिकीकरण को बढ़ावा देते हुए और उसे बड़ी संख्या में शक्तिशाली साधनों से लैस करते हुए अधिक आक्रामकता और असीमित तरीके से अपनी रक्षा क्षमता विकसित करनी चाहिए.” 2024 में मिलिट्री हार्डवेयर एग्ज़ीबिशन डिफेंस डेवलपमेंट समारोह के दौरान किम ने कहा कि उनकी पार्टी रक्षा क्षमताओं को मज़बूत करने को “अपनी देशभक्ति की सर्वोच्च अभिव्यक्ति और क्रांति की चेतना” के रूप में देखती है. दिसंबर 2023 में कोरिया वर्कर्स पार्टी (WPK) को संबोधित करते हुए किम ने “युद्ध की तैयारियों को और तेज़ करने के लिए पीपुल्स आर्मी एवं गोला-बारूद उद्योग, परमाणु हथियार और नागरिक रक्षा क्षेत्रों के लिए आक्रामक लक्ष्य तय किए.”
अलग-अलग क्षेत्रों में पुराने पड़ चुके सैन्य उपकरणों की लगातार चुनौती के सामने किम ने विशेष रूप से अपनी सेना के आधुनिकीकरण और उसे बेहतर बनाने पर ज़ोर दिया है. उदाहरण के लिए, उन्होंने “बख्तरबंद बलों में दूसरी क्रांति” की अपील की है.
अलग-अलग क्षेत्रों में पुराने पड़ चुके सैन्य उपकरणों की लगातार चुनौती के सामने किम ने विशेष रूप से अपनी सेना के आधुनिकीकरण और उसे बेहतर बनाने पर ज़ोर दिया है. उदाहरण के लिए, उन्होंने “बख्तरबंद बलों में दूसरी क्रांति” की अपील की है. इसके तहत पुराने बख्तरबंद हथियारों को नए हथियारों से बदलने पर बल दिया गया है. इसके अलावा, उन्होंने उत्तर कोरियाई सेना के व्यापक बख्तरबंद इकोसिस्टम में सुधार करने के लिए बड़े पैमाने पर क्षमताओं का निर्माण करने की आवश्यकता पर भी प्रकाश डाला है. इसी तरह, पिछले दिनों वायु सेना की विशेष यूनिट फ्लाइंग ग्रुप ऑफ गार्ड्स फर्स्ट एयर विंग के निरीक्षण के दौरान उन्होंने “आधुनिक हवाई युद्ध के तौर-तरीकों को लेकर पायलट्स को अनुभवी बनाने के लिए” हवाई अभ्यास के महत्व पर भी ज़ोर दिया. किम के अलग-अलग निरीक्षण दौरे- जिसकी सूची तालिका 1 में है- उनकी तरफ से सैन्य आधुनिकीकरण पर ज़ोर को रेखांकित करते हैं.
तालिका 1: हाल के दिनों में किम जोंग उन के द्वारा सैन्य निरीक्षण के दौरे
तारीख |
किम जोंग उन के दौरे |
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13 सितंबर, 2024 |
यूरेनियम संवर्धन केंद्र का दौरा किया और परमाणु हथियारों के भंडार को बढ़ाने के लिए अधिक सेंट्रीफ्यूज की अपील की |
10 जनवरी, 2025 |
हथियार कारखाने का दौरा किया और चलते-फिरते शॉर्ट-रेंज मिसाइल लॉन्च व्हीकल का निरीक्षण किया |
29 जनवरी, 2025 |
परमाणु सामग्री उत्पादन केंद्र का निरीक्षण किया और इसके परमाणु भंडार को बढ़ाने पर ज़ोर दिया |
8 मार्च, 2025 |
परमाणु ऊर्जा पनडुब्बी निर्माण स्थल का निरीक्षण किया और परमाणु ऊर्जा से लैस सामरिक मिसाइल पनडुब्बी की प्रगति का जायज़ा लिया |
21 मार्च, 2025 |
सैन्य डॉकयार्ड का निरीक्षण किया और देश की जहाज़ निर्माण की क्षमता बढ़ाने पर ज़ोर दिया |
4 May, 2025 |
टैंक फैक्ट्री का दौरा किया और कोरियाई टैंक की मुख्य तकनीक में प्रगति की प्रशंसा की |
7 May, 2025 |
गोला-बारूद और मशीन फैक्ट्री का निरीक्षण किया और तोपखाने के गोले का उत्पादन बढ़ाने पर ज़ोर दिया |
15 May, 2025 |
किम जोंग उन युद्धाभ्यास में शामिल हुए |
17 May, 2025 |
किम जोंग उन ने वायु सेना के बड़े स्तर के अभ्यास का जायज़ा लिया और सेना को हर स्थिति में तैयार रहने का आदेश दिया |
स्रोत: लेखक के द्वारा संकलित
एक प्रमुख उद्देश्य उत्तर कोरिया की समुद्री सुरक्षा की क्षमताओं को मज़बूत करना और उसकी समुद्री संप्रभुता को सुरक्षित रखना है. इस दिशा में किम ने बड़ी परमाणु और जहाज़ निर्माण की परियोजनाओं को मंज़ूरी दी है ताकि उत्तर कोरिया को एक समुद्री ताकत के रूप में स्थापित किया जा सके. 2023 में उत्तर कोरिया ने अपनी सामरिक हमला करने वाली पनडुब्बी संख्या 841 हीरो किम कुन ओके का अनावरण किया. 2025 में किसी अज्ञात जगह पर किम जोंग उन के दौरे के बाद एक नई सामरिक परमाणु पनडुब्बी- जिसका वज़न 5,000 और 8,000 टन के बीच होने और अपने पहले के रूप से बहुत बड़ा होने की उम्मीद की जा रही है- की तस्वीर सामने आई. ख़बरों के मुताबिक, उन्होंने उत्तर कोरिया की जहाज़ निर्माण की क्षमता को आधुनिक बनाने पर भी ज़ोर दिया है. ध्यान देने की बात है कि ख़बरों के अनुसार संवेदनशील नौसैनिक तकनीक हासिल करने और उत्तर कोरिया की नौसैनिक क्षमताओं को बढ़ावा देने के लिए उत्तर कोरिया के हैकर्स ने दक्षिण कोरिया के बड़े जहाज़ निर्माताओं पर निशाना साधा है.
आधुनिक युद्ध में दूसरी सैन्य तकनीकों- जैसे कि अनमैन्ड एरियल व्हीकल (UAV), साइबर, अंतरिक्ष क्षमता- के प्रयोग को देखते हुए उत्तर कोरिया की सरकार ने घरेलू क्षमताओं को विकसित करने के लिए अपने प्रयास दोगुने कर दिए हैं.
आधुनिक युद्ध में दूसरी सैन्य तकनीकों- जैसे कि अनमैन्ड एरियल व्हीकल (UAV), साइबर, अंतरिक्ष क्षमता- के प्रयोग को देखते हुए उत्तर कोरिया की सरकार ने घरेलू क्षमताओं को विकसित करने के लिए अपने प्रयास दोगुने कर दिए हैं. कोरिया सेंट्रल न्यूज़ एजेंसी के अनुसार किम ने कहा, “सशस्त्र बलों को आधुनिक बनाने में मानव रहित उपकरण और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के क्षेत्र को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जानी चाहिए और इनका विकास किया जाना चाहिए.” उन्होंने अंतरिक्ष क्षमता के विकास पर भी ध्यान दिया है और इसे ‘राष्ट्रीय विकास के लिए एक आवश्यक परियोजना’ बताया है. इसके साथ-साथ विदेशों से खुफिया जानकारी हासिल करने की क्षमता को बढ़ाने के उद्देश्य से साइबर हैकिंग की तकनीकों को बढ़ावा देने के लिए भी कदम उठाए हैं.
हार्डवेयर में सुधार के साथ-साथ किम जोंग उन ने आधुनिक युद्ध के लिए अपनी सेना की ट्रेनिंग को भी प्राथमिकता दी है. कांग कोन सैन्य अकादमी, जो कि उत्तर कोरिया में कमांडिंग अधिकारियों के लिए एक प्रतिष्ठित प्रशिक्षण केंद्र हैं, का निरीक्षण करते हुए किम जोंग उन ने आधुनिक युद्ध के लिए सेना को तैयार करने पर ज़ोर दिया. किम ने कहा, ‘अधिकारियों को आधुनिक लड़ाई के मैदान के वास्तविक अनुभवों के बारे में बताकर, तेज़ी से विकसित हो रहे हथियारों एवं तकनीकी उपकरणों में निपुण बनाकर और आधुनिक युद्ध से जुड़ी कमांडिंग क्षमताओं की जानकारी देकर हम आधुनिक युद्ध के लिए सैन्य अधिकारियों को बेहतर ढंग से तैयार कर सकते हैं.’ रूस-यूक्रेन की लड़ाई के मोर्चे पर उत्तर कोरिया के सैनिकों को तैनात करने के पीछे एक संभावित उद्देश्य अपनी सेना को युद्ध के अनुभव से परिचित कराना था.
उत्तर कोरिया के सैन्य आधुनिकीकरण में रूस की सहायता मिली है. इसके बदले उत्तर कोरिया 2023 से यूक्रेन के ख़िलाफ़ रूस की लड़ाई में उसको हथियारों और गोला-बारूद के निर्यात के साथ-साथ सैनिकों की तैनाती भी कर रहा है. बहुपक्षीय प्रतिबंध निगरानी दल (MSMT)- जो उत्तर कोरिया पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) के प्रतिबंधों के उल्लंघन की निगरानी के लिए 2024 में बनाया गया एक बहुपक्षीय तंत्र है- के द्वारा जारी एक रिपोर्ट में दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग के स्तर के बारे में विस्तार से बताया गया है. इस रिपोर्ट के मुताबिक रूस ने हथियारों और सैनिकों की तैनाती के बदले उत्तर कोरिया को कम दूरी का एयर डिफेंस सिस्टम, आधुनिक इलेक्ट्रॉनिक युद्ध सामग्री, जैमिंग उपकरण और परिचालन की जानकारी मुहैया कराई है. रूस की सुरक्षा परिषद के सचिव सर्गेई शोइगु और किम के बीच पिछले दिनों की बैठक के दौरान दोनों देशों ने उत्तर कोरिया-रूस के संबंधों को गतिशील रूप से विस्तारित और विकसित करने के अपने इरादे को दोहराया ताकि इसे रणनीतिक साझेदारी के शक्तिशाली और व्यापक संबंधों में बदला जा सके जो पूरी तरह से दोनों देशों के राष्ट्रीय हितों के अनुरूप हो.
अपने रक्षा उद्योग में जान डालने का किम का प्रयास हथियारों और गोला-बारूद के लिए रूस की मांग को भी पूरा करता है जो उसकी दूसरी अर्थव्यवस्था के लिए फंडिंग का महत्वपूर्ण स्रोत है.
जहां किम के नियमित दौरे, निरीक्षण और अनुसंधान एवं विकास के साथ-साथ उत्पादन में बढ़ोतरी एवं सैन्य तैयारी पर ज़ोर राष्ट्रीय सुरक्षा के मज़बूत कारणों से प्रेरित हैं, वहीं उनके सैन्य अभियान के पीछे आर्थिक दलील भी है. अपने रक्षा उद्योग में जान डालने का किम का प्रयास हथियारों और गोला-बारूद के लिए रूस की मांग को भी पूरा करता है जो उसकी दूसरी अर्थव्यवस्था के लिए फंडिंग का महत्वपूर्ण स्रोत है. वास्तव में इससे किम की सैन्य आधुनिकीकरण की योजना के लिए फंड मिलता है. फ्रेडरिच नौमैन फाउंडेशन के एक अध्ययन के अनुसार उत्तर कोरिया ने रूस को 152 mm, 122 mm के 60 लाख राउंड गोला-बारूद और 100KN-23/KN-24 बैलिस्टिक मिसाइल का निर्यात कर संभवत: 1.72-5.52 अरब अमेरिकी डॉलर कमाए. इसके अलावा, ख़बरों के अनुसार सैनिकों की तैनाती के माध्यम से उत्तर कोरिया के शासन ने 143-572 मिलियन अमेरिकी डॉलर की कमाई की.
जहां उत्तर कोरिया के नए विध्वंसक पोत का पलट जाना उसकी सीमित क्षमताओं का प्रमाण है, वहीं इससे तुरंत उबरना भी सैन्य आधुनिकीकरण में वहां की सत्ता की दृढ़ता और संसाधनशीलता की गवाही देता है. लगातार सैन्य, तकनीकी और आर्थिक समर्थन- विशेष तौर पर रूस से- के साथ उत्तर कोरिया का सैन्य आधुनिकीकरण और तेज़ होना तय है. ऐसे में विरोधियों के लिए अच्छा होगा कि वो छोटी-छोटी बातों पर ध्यान देकर बड़ी तस्वीर को ना समझने की भूल न करें.
अभिषेक शर्मा ऑब्ज़र्वर रिसर्च फाउंडेशन के स्ट्रैटेजिक स्टडीज़ प्रोग्राम में रिसर्च असिस्टेंट हैं.
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Abhishek Sharma is a Research Assistant with ORF’s Strategic Studies Programme. His research focuses on the Indo-Pacific regional security and geopolitical developments with a special ...
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