ये हमारी श्रृंखला द चाइना क्रॉनिकल्स का 152वां लेख है.
2019 में चीनी इस्लामिक संघ (CIA) और चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (CPC) के अधिकारियों की बीजिंग में मुलाक़ात हुई थी. इस बैठक का मक़सद “इस्लाम को चीनी रंग–ढंग में ढालने की क़वायद को आगे बढ़ाने के लिए पांच–वर्षीय योजना रूपरेखा” पर अमल करना और 2022 तक इस्लाम को समाजवाद के अनुरूप ढालना था. पार्टी की 19वीं नेशनल कांग्रेस और महासचिव शी जिनपिंग द्वारा तय किए गए लक्ष्यों को पूरा करने के लिए ये कॉन्फ्रेंस अहम था. शी ने 2015 में सिनिसाइज़ेशन यानी चीनीकरण पर ज़ोर दिया था और 2018 तक चीनी कम्युनिस्ट पार्टी ने इस्लाम और समाजवादी समाज में मेल–मिलाप करने के लिए राष्ट्रीय योजनाएं तैयार कर ली थीं– जिन्हें अगले पांच वर्षों में क्रियान्वित करने का लक्ष्य था. इस क़ानून के ज़रिए ये सुनिश्चित किया गया कि चीन का इस्लाम वहां के राष्ट्रीय मूल्यों का प्रदर्शन करे और “प्रमुख समाजवादी मूल्यों” में योगदान दे. इस्लाम के लिए 32-सूत्रीय योजना के मुताबिक कुछ इलाक़ों में मजहबी कट्टरपंथी विचारधाराओं की घुसपैठ हो चुकी थी, जिसके चलते मुस्लिम हिंसक आतंकवादी गतिविधियों में शामिल हो रहे थे. इन समस्याओं का उभार चीन की सामाजिक स्थिरता और राष्ट्रीय सुरक्षा के सामने गंभीर ख़तरे पेश करता है. क़ानून के तहत चीनी सरकार ने चीन के मुसलमानों को समाजवाद के केंद्रीय मूल्यों की ओर मोड़ने का प्रयास किया और धर्म को “मानसिक बीमारी” से जोड़ा जिसका इलाज किए जाने की दरकार है.
शी ने 2015 में सिनिसाइज़ेशन यानी चीनीकरण पर ज़ोर दिया था और 2018 तक चीनी कम्युनिस्ट पार्टी ने इस्लाम और समाजवादी समाज में मेल-मिलाप करने के लिए राष्ट्रीय योजनाएं तैयार कर ली थीं- जिन्हें अगले पांच वर्षों में क्रियान्वित करने का लक्ष्य था.
चीन के मुसलमान और नया क़ानून
चीन में आज तक़रीबन 2.5 करोड़ मुसलमान हैं. इनमें हुई, वीगर, कज़ाख़, तातार समेत कई अन्य बिरादरियां शामिल हैं. हालांकि, चीनी रंग–ढंग में ढलने और चीन के प्रमुख हान समुदाय के साथ सांस्कृतिक रूप से घुलने–मिलने की मात्रा इन समूहों के बीच भौगोलिक, आर्थिक, नस्लीय और भाषाई तौर पर बदलती रहती है. चीन में इस्लाम का प्रवेश 7वीं सदी के आसपास व्यापार रास्तों के ज़रिए हुआ था. इसके बाद मुसलमान व्यापारी चीन के तटीय व्यापारिक अड्डों में बस गए. उन्होंने मस्जिदों और दरगाहों का निर्माण किया और युआन राजवंश (1270-1368) के दौरान थोड़े समय के लिए उन्हें सामाजिक प्रमुखता भी हासिल हुई. मिंग राजवंश के दौरान हान चीनी शासकों ने बाहरी लोगों और मुस्लिमों पर पोशाक, भाषा, हेयरस्टाइल और उपनाम समेत अपनी संस्कृति का प्रदर्शन करने से जुड़ी तमाम क़वायदों पर प्रतिबंध लगा दिया गया. इसकी प्रतिक्रिया में मुसलमानों ने अपने–आप को चीन की प्रधान हान संस्कृति के साथ आत्मसात कर लिया. वो चीनी भाषा बोलने लगे, उन्होंने चीनी नाम अपना लिए– यही लोग आज के हुई मुसलमानों के पूर्वज थे. ये हुई मुसलमान पूरे चीन में फैल गए और 18वीं सदी से चीनी शासकों द्वारा नई क़िताबें चालू किए जाने के बाद कंफ्यूशियन मूल्यों का अनुपालन करते रहे. 1952 में चीनी कम्युनिस्ट पार्टी ने मुस्लिमों की पवित्र क़िताब का चीनी में अनुवाद करके इस्लाम और साम्यवाद के बीच समानताएं स्थापित की और ये बताया कि दोनों विचारधाराएं एक–दूसरे की विरोधी नहीं हैं.
इसी तरह साम्यवादी चीन ने 1.2 करोड़ मुस्लिमों को अपने देश में जोड़ लिया. 1949 में उत्तर–पश्चिमी प्रांत शिनजियांग में मुख्य रूप से वीगर, कज़ाख़ और उज़्बेक लोगों को बसाया गया. विवादित इतिहास और अलगाववादी रुझानों के साथ शिनजियांग क्षेत्र 1949 तक केवल 425 वर्षों के लिए चीनी साम्राज्यवादी नियंत्रण में बरक़रार रहा. इसके बाद अशांत शिनजियांग में रह रहे वीगर मुसलमानों को ज़्यादा से ज़्यादा चीनीकरण करने और हान संस्कृति के साथ बेहद ज़रूरी एकजुटता के लिए निशाना बनाया गया. 1966 से 1976 के बीच सांस्कृतिक क्रांति की शुरुआत होने पर वीगर रीति–रिवाज़ों, संस्कृति और विचारों पर ख़ासतौर से हमले किए गए और माओत्से तुंग की पत्नी जियांग क्विंग द्वारा उन्हें “विदेशी आक्रांता और परदेसी” समझा गया.
1966 से 1976 के बीच सांस्कृतिक क्रांति की शुरुआत होने पर वीगर रीति-रिवाज़ों, संस्कृति और विचारों पर ख़ासतौर से हमले किए गए और माओत्से तुंग की पत्नी जियांग क्विंग द्वारा उन्हें “विदेशी आक्रांता और परदेसी” समझा गया.
CPC ने चीनी मुख्य भूमि के सांस्कृतिक प्रभाव में शिनजियांग के वीगर मुसलमानों को ‘भीतर की ओर उन्मुख’ करके नई दिशा देने का प्रयास किया. हालांकि उस क्षेत्र के अद्वितीय भौगोलिक परिदृश्य के नतीजतन वहां बाहर के सांस्कृतिक प्रभावों का प्रवेश हो गया, जिससे आख़िरकार ये प्रांत बाहर की ओर उन्मुख रहने वाला इलाक़ा बना रहा. 2017 से शी के मार्गदर्शन में वीगर मुसलमानों को हिरासती केंद्रों में भेजा जा रहा है ताकि उनके ऊपर उन बाहरी सांस्कृतिक प्रभावों को कम किया जा सके जिनके चलते वो अपराध करते हैं. इन अपराधों में सरकार की परिवार नियोजन नीति का उल्लंघन करना, लंबी दाढ़ी बढ़ाना, और नक़ाब या टोपी (स्कल कैप) पहनना शामिल है. वीगर मुसलमानों की जनसंख्या में बढ़ोतरी रोकने के लिए उनकी महिलाओं का जबरन बंध्याकरण, गर्भपात और अंतर–गर्भाशयी उपकरणों का जबरन प्रत्यारोपण किया गया. इन नीतियों ने इलाक़े के वीगर मुसलमानों की जनसंख्या वृद्धि को गंभीरता से दबा दिया. साथ ही शिनजियांग के 2020 के सांख्यिकीय ईयरबुक में पहली बार जन्म दरों और जातीय आबादी के श्रेणीबद्ध आंकड़ों का अभाव देखा गया.
चीनी सरकार ने व्यवस्थित रूप से देशभर में मुसलमानों को खलनायक बना दिया और इस्लाम को चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की प्रधानता के लिए ख़तरे के तौर पर देखा गया. सामाजिक स्थिरता के बहाने CPC ने मानव अधिकारों के उल्लंघनों की पूरी श्रृंखला शुरू कर दी और मुसलमानों की धार्मिक स्वतंत्रता पर अंकुश लगा दिया. 14वीं सदी में ही चीनी संस्कृति के आदी हो चुके हुई मुसलमानों को 2019 के बाद से जेल में डाल दिया गया, और विदेशों की यात्रा कर चुके हुई छात्रों को भी हिरासत में लेकर पुनर्शिक्षा शिविरों में भेज दिया गया है. लगातार अलग–थलग किए जाने और विदेशी क़रार करके कलंकित किए जाने से आख़िरकार विरोध–प्रदर्शनों का दौर शुरू हो गया. मई 2023 में युनान प्रांत के हुई मुसलमानों ने नाजियायिंग मस्जिद का हिस्सा तोड़े जाने के ख़िलाफ़ प्रदर्शन किया और चीन के सैकड़ों सुरक्षा कर्मियों के साथ उनकी भिड़ंत हो गई.
वैश्विक निंदा को बेअसर करता चीन
चीन में और ख़ासतौर से शिनजियांग में मुस्लिम अल्पसंख्यकों के प्रति सांस्कृतिक आक्रामकता की पश्चिमी लोकतंत्र बार–बार आलोचना करते रहे हैं. शिनजियांग में मुसलमानों के साथ हो रहे बर्ताव को कनाडा, अमेरिका और अन्य देशों ने “नरसंहार” माना है. CPC के अधिकारियों पर प्रतिबंध आयद किए गए हैं. अमेरिका ने तो उन वस्तुओं के निर्यात पर रोक लगा दी है जिनका CPC द्वारा वीगर आबादी का और ज़्यादा दमन करने के लिए इस्तेमाल किए जाने की आशंका है. CPC और चीन की सरकार ने अलगाववाद, कभी–कभार उभरने वाले हिंसक उग्रवाद और आतंकवाद के थोथे बहानों से वीगर मुसलमानों और उनकी इस्लामिक संस्कृति के दमन का बचाव किया है.
इस्लामिक सॉफ्ट पावर को बढ़ावा देकर और CIA के ज़रिए मुस्लिम राष्ट्रों के साथ रिश्ते गांठकर चीन आलोचना से बच निकलने और मुस्लिम अल्पसंख्यकों के प्रति अपनी नीतियों की अधिक सकारात्मक तस्वीर पेश करने में कामयाब रहा है.
चीनी इस्लामिक संघ (CIA) पूरे विश्व में, ख़ासतौर से इस्लामिक दुनिया में चीनी हितों को आगे बढ़ाने में मुख्य भूमिका निभाता है. इस मक़सद से ये संगठन मुस्लिम देशों के साथ संपर्कों की निगरानी करने के अलावा मुस्लिम नेताओं और संस्थानों के साथ आधिकारिक संवादों का व्यवस्थापन भी करता है. चीन में आंतरिक रूप से मुसलमानों के उत्पीड़न को लेकर प्रमुख मुस्लिम देशों की आलोचनाओं को टालने में CIA की निर्देशित यात्राएं और व्यापक दायरे वाले मजहबी जुड़ाव, प्रभावी उपकरण साबित हुए हैं. इस्लामिक सॉफ्ट पावर को बढ़ावा देकर और CIA के ज़रिए मुस्लिम राष्ट्रों के साथ रिश्ते गांठकर चीन आलोचना से बच निकलने और मुस्लिम अल्पसंख्यकों के प्रति अपनी नीतियों की अधिक सकारात्मक तस्वीर पेश करने में कामयाब रहा है.
सत्ता पर मज़बूत पकड़ के चीनीकरण का हथकंडा
ग़ैर–वफ़ादार, भ्रष्ट या बेअसर माने जाने वाले अधिकारियों को बाहर का रास्ता दिखाने वाली व्यापक मुहिम के ज़रिए राष्ट्रपति शी ने सत्ता पर अपनी पकड़ मज़बूत बना ली है. उन्होंने कम्युनिस्ट पार्टी के नेशनल कांग्रेस को अपने सहयोगियों और वफ़ादारों से भर दिया है, जिससे पोलित ब्यूरो और पोलित ब्यूरो स्टैंडिंग कमेटी के भीतर उनकी सत्ता का आधार मज़बूत हो गया है. दूसरी ओर, चीनी समाज पर अपनी पकड़ क़ायम रखने के लिए शी इस्लाम और उसकी परंपराओं को लेकर अक्सर अपनी चिंताएं ज़ाहिर करते रहे हैं. वक़्त के साथ–साथ राजनीतिक सत्ता को एकजुट करने और चीन में एक निरंकुश लोकप्रियतावादी शासक के तौर पर शी का दर्जा ऊपर उठाने के लिए कम्युनिस्ट पार्टी ने मुस्लिम अल्पसंख्यकों के ख़िलाफ़ चीनीकरण क़ानून को हथकंडा बना लिया है. मुस्लिम अल्पसंख्यकों के ख़िलाफ़ इस कड़े रुख़ के चलते शी को पूरे चीन में सार्वजनिक सराहना हासिल हुई है.
भले ही CPC इस्लामिक ख़तरे को अपने तंग फ़ायदों के लिए इस्तेमाल करती है लेकिन चीनीकरण की प्रक्रिया ने एक विरोधाभास को जन्म दिया है. सदियों के सांस्कृतिक सामंजस्य के बावजूद हुई मुस्लिम अल्पसंख्यकों को उनके कथित विदेशी मूल के चलते निरंतर कलंकित किया जा रहा है. चीन में मुस्लिम विरोधी मुहिम ने आख़िरकार सांस्कृतिक नरसंहार का रूप ले लिया है. इसके बावजूद शी अब भी “कड़ी मेहनत से हासिल सामाजिक स्थिरता” के संरक्षण के लिए “अवैध धार्मिक गतिविधियों” पर और गहरे नियंत्रण की वक़ालत जारी रखे हुए हैं.
एजाज़ वानी ऑब्ज़र्वर रिसर्च फाउंडेशन के स्ट्रैटेजिक स्टडीज़ प्रोग्राम में फेलो हैं.
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