केंद्र सरकार के आम बजट से देश के नागरिकों को बड़ी उम्मीदें होती हैं क्योंकि यह उनकी कई प्रकार की समस्याओं का समाधान करने की क्षमता रखताहै. वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए भारत के बजट आवंटन में शहरी क्षेत्रों में आवास, परिवहन, स्वच्छता और अन्य बुनियादी ढांचे समेत, विभिन्न प्रकार केसुधारों के लिए 764.32 अरब रुपये की धनराशि आवंटित की गई है. यह शहर से जुड़े विभिन्न सेक्टरों के लिए बजट राशि के आवंटन और प्रस्तावितशहरी नीति सुधारों के तरीक़े की विस्तार से व्याख्या करता है. इस लेख में किए गए विश्लेषण से यह पता चलता है कि आवंटित राशि और राज्य/स्थानीय सरकारों की सीमित क्षमताएं, शहरी आबादी के सामने आने वाली विभिन्न समस्याओं के समाधान के रास्ते में किस प्रकार से अवरोध बन सकतीहै.
इस लेख में किए गए विश्लेषण से यह पता चलता है कि आवंटित राशि और राज्य/स्थानीय सरकारों की सीमित क्षमताएं, शहरी आबादी के सामने आने वाली विभिन्न समस्याओं के समाधान के रास्ते में किस प्रकार से अवरोध बन सकती है.
इस बजट आवंटन को शहरी क्षेत्र में प्रमुख तौर पर बुनियादी ढांचे से जुड़ी परियोजनाओं के निर्माण और विभिन्न सरकारी संस्थानों की स्थापना पर ख़र्चकिया जाता है. जैसे कि बजट राशि सचिवालय और संबंधित कार्यालयों/स्वायत्त संगठनों के निर्माण पर ख़र्च होती है और मास रैपिड ट्रांज़िट सिस्टम(MRTS), मेट्रो प्रोजेक्ट्स, स्ट्रीट वेंडर स्कीम जैसी केंद्रीय योजनाओं/प्रोजेक्ट्स के संचालन में व्यय होती है. इसके साथ ही प्रधानमंत्री आवासयोजना-शहरी (PMAY-U), राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन (NULM), अटल मिशन ऑफ़ रेजुवेनेशन एंड अर्बन ट्रांसफॉर्मेशन (AMRUT), स्मार्टसिटीज और स्वच्छ भारत मिशन-शहरी (SBM-U) जैसी विभिन्न केंद्र द्वारा प्रायोजित योजनाओं के कार्यान्वयन के लिए राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों कोफंड ट्रांसफर करने पर भी इस राशि को ख़र्च किया जाता है.
शहरी निकाय के लिए बजट आवंटन
वर्ष 2023-24 के लिए शहरी सेक्टर के विकास के लिए कुल बजट आवंटन 764.32 अरब रुपये है. इस कुल बजट आवंटन में से सबसे अधिकहिस्सेदारी PMAY-U (33 प्रतिशत) और MRTS/मेट्रो प्रोजेक्ट्स (30 प्रतिशत), अर्थात मेट्रो रेल, परिवहन योजना, शहरी परिवहन में क्षमता निर्माण, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र परिवहन निगम की है. इन्हीं दो परियोजनाओं या गतिविधियों पर कुल बजटीय आवंटन का 60 प्रतिशत से अधिक ख़र्च किया जानाहै.
जबकि, बजटीय आवंटन की बाक़ी राशि AMRUT योजना (10.5 प्रतिशत), स्मार्ट सिटीज़ (10.5 प्रतिशत) और अन्य व्यय मदों के लिए है. SBM (U) और NULM को सबसे कम बजटीय आवंटन मिला है, कुल आवंटित राशि में इन परियोजनाओं की हिस्सेदारी क्रमश: 6.5 और 1.3 प्रतिशत है.
पिछले दो वर्षों के दौरान बजट आवंटन में किए गए बदलाव को वर्ष 2022-23 के लिए संशोधित राशि और वर्ष 2023-24 के लिए बजटीय राशियों कीसमीक्षा के ज़रिए समझा जा सकता है. आंकड़ों के मुताबिक़ इसके लिए राशि में कुल मिलाकर लगभग 3 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, यानी यह राशि वर्ष2022-23 में 745.46 अरब रुपये से वर्ष 2023-24 में बढ़कर 764.32 अरब रुपये हो गई है.
आंकड़ों के मुताबिक़ इसके लिए राशि में कुल मिलाकर लगभग 3 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, यानी यह राशि वर्ष 2022-23 में 745.46 अरब रुपये से वर्ष 2023-24 में बढ़कर 764.32 अरब रुपये हो गई है.
विभिन्न विकास योजनाओं को लिए आवंटित राशि पर तुलनात्मक रूप से नज़र डालें तो, यह स्पष्ट हो जाता है कि SBM (U) के लिए आवंटित रक़म मेंसबसे अधिक बढ़ोतरी की गई है, जो कि 20 अरब रुपये से 50 अरब रुपये हो गई है. इसके बाद AMRUT का नंबर आता है, जिसके लिए आवंटितराशि में 23 प्रतिशत की बढ़ोतरी की गई है, जबकि MRTS/मेट्रो प्रोजेक्ट्स के लिए 14 प्रतिशत राशि की वृद्धि हुई है.
बाक़ी अन्य योजनाओं, जैसे कि NULM, PMAY (U) और स्मार्ट सिटीज़ के लिए बजट राशि में कमी देखी गई, अर्थात इन योजनाओं के लिएआवंटित राशि में नकारात्मक प्रतिशत दर्ज़ किया गया है.
शहरी क्षेत्र के लिए बजट आवंटन की उपरोक्त समीक्षा से निम्नलिखित निष्कर्ष निकाले जा सकते हैं:
- आवास और परिवहन के लिए सबसे अधिक राशि आवंटित की गई है.
- सबसे कम बजट आवंटन आजीविका और स्वच्छता के लिए किया गया है.
- पिछले वित्तीय वर्ष की तुलना में आजीविका, आवास और स्मार्ट सिटी के लिए आवंटित राशि में कमी देखी गई है.
भारत की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वर्ष 2023-24 के अपने बजट भाषण में मौज़ूदा शहरों को सस्टेनेबल सिटीज में बदलने का आह्वान किया है. इसी के मुताबिक़, राज्य और स्थानीय सरकारों को निम्नलिखित तरीक़े से सहायता प्रदान की जाएगी:
- म्युनिसिपल टैक्स और उपयोगकर्ता शुल्क (नगर पालिका द्वारा प्रदान की जाने वाली सेवाओं पर) के संग्रह को बढ़ाकर नगर पालिकाओं कीवित्तीय स्थिति को मज़बूत किया जाएगा. ऐसा करने से क्रेडिट-योग्य नगर पालिकाएं बांड जारी करने में सक्षम हो पाएगी.
- टियर 2 और टियर 3 शहरों में इंफ्रास्ट्रक्चर को मज़बूत करने में पब्लिक एजेंसियों की सहायता करने के लिए एक अर्बन इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंटफंड (UIDF) की स्थापना की जाएगी. ऐसी उम्मीद है कि परियोजना कार्यान्वयन के लिए प्रतिवर्ष 100 अरब रुपये की राशि उपलब्ध कराईजाएगी.
- इसके अतिरिक्त, शहरी बुनियादी ढांचे के विकास के लिए मौज़ूदा इंफ्रास्ट्रक्चर फाइनेंस सेक्रेटेरिएट (IFS) के सहयोग से निजी निवेश के लिएप्रयास किया जाएगा.
- कर राहत उपाय के रूप में, शहरी नियोजन और विकास (आवास सहित) में संलग्न विकास एजेंसियां अपनी इनकम पर छूट की हकदार होंगी.
- शहरी नियोजन में अनुकरणीय बदलाव की ज़रूरत पर फिर से ज़ोर दिया गया है. भविष्य के शहरी विकास को निर्देशित करने के लिए ऐसा करनाबेहद महत्वपूर्ण है, जो कि शहरों को नियोजित विकास की ओर ले जाता है. प्रस्तावित उपायों में शहरी नियोजन की जानकारी में बढ़ोतरी करनाऔर सर्टिफाइड प्रशिक्षण शामिल हैं.
- तीन आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) केंद्र स्थापित किए जाएंगे और विभिन्न प्रकार की शहरी दिक़्क़तों को दूर करने के लिए एआई-आधारितसमाधानों के विकास में निजी विशेषज्ञता की सहायता ली जाएगी.
- पीएम आवास योजना के अंतर्गत बाक़ी बचे हुए पात्र लाभार्थियों (मध्यम और निम्न-आय वर्ग से) को मकान उपलब्ध कराए जाएंगे. इसके लिएभूमि एवं निर्माण संबंधी स्वीकृतियां समयबद्ध तरीक़े से पूरी की जाएंगी और पर्याप्त पूंजी की व्यवस्था की जाएगी.
- वर्ष 2070 तक नेट-ज़ीरो कार्बन उत्सर्जन की नीति को मूर्तरूप देने के लिए और अधिक इच्छा शक्ति के साथ आगे बढ़ने का कार्य किया जाएगा. इसके लिए अपनाए जाने वाले कुछ उपायों में पर्यावरण-अनुकूल जीवन शैली को बढ़ावा देना, कम कार्बन वाली अर्थव्यवस्था में संक्रमण औरपुराने सरकारी वाहनों को कबाड़ में भेजना शामिल है.
- सेप्टिक टैंकों और सीवरों की मैन्युअल सफाई की मौजूदा व्यवस्था के बजाए, देश के सभी शहरी केंद्रों में मशीनों से सफाई/डिसलॉजिंग कोबढ़ावा देने का कार्य किया जाएगा.
- लैंडफिल साइटों पर कचरे की डंपिंग की मौजूदा प्रथा की जगह पर साइंटिफिक वेस्ट मैनेजमेंट को अपनया जाएगा. इस संबंध में शहरी क्षेत्रों में75 कम्प्रेस्ड बायोगैस संयंत्रों की स्थापना का एक प्रस्ताव है, जिसके लिए जैविक पदार्थ (बायोमास) के संग्रह और जैव-खाद वितरण के लिएवित्तीय सहायता की पेशकश की जाएगी.
आगे की राह
ऊपर वर्णित की गई शहरी क्षेत्रों के सुधार के लिए नीतिगत प्रस्तावों की समीक्षा से यह साफ तौर पर पता चलता है कि वित्तीय वर्ष 2023-24 के दौरान, जिन प्रयासों को अमल में लाया जाएगा, उनमें अधिक फंड जेनरेट करना, शहरी नियोजन की गुणवत्ता में सुधार करना, उभरती प्रौद्योगिकियों का इस्तेमालकरना, प्रदूषण-रोधी उपायों को लागू करना, कार्यान्वयन में आने वाली अड़चनों को दूर करना और समाज में व्यवहारिक बदलावों को बढ़ावा देनाशामिल हैं.
तेज़ी से शहरीकरण की ओर बढ़ने वाले भारत में, शिक्षा पूरी करने के बाद मनपसंद नौकरी हासिल की संभावनाएं कम हैं और इसलिए बड़ी संख्या में अवसरों का सृजन करना बेहद ज़रूरी है.
टियर 2 और टियर 3 शहरों में इन्फ्रास्ट्रक्चर को अपग्रेड करने के लिए धनराशि का प्रावधान सबसे ज़रूरी है. यह बदलाव ऐसे आबादी वाले शहरों के लिएवरदान साबित होगा, जो विस्थापन के कारण अत्यधिक दबाव में हैं. हालांकि, यह समझने की भी ज़रूरत है कि इस दिशा में पिछले प्रयासों का कोईमुकम्मल प्रभाव क्यों नहीं पड़ा और लक्ष्य को हासिल करने के लिए कौन से नए उपायों को लागू किया जाएगा.
आवास और परिवहन सेक्टरों को दिया जा रहा उच्चतम बजटीय आवंटन इस बात के स्पष्ट संकेत देता है कि वित्तीय वर्ष 2023-24 के दौरान सरकार कीप्राथमिकता बाक़ी बचे समुदायों को आश्रय प्रदान करना और गतिशीलता की कमी को दूर करना है. हालांकि, आजीविका और स्वच्छता जैसे क्षेत्रों केलिए कम राशि का आवंटन चिंता का एक मुद्दा हो सकता है. तेज़ी से शहरीकरण की ओर बढ़ने वाले भारत में, शिक्षा पूरी करने के बाद मनपसंद नौकरीहासिल की संभावनाएं कम हैं और इसलिए बड़ी संख्या में अवसरों का सृजन करना बेहद ज़रूरी है. इस संबंध में शहरी स्ट्रीट वेंडर्स की मदद के लिए 4.68 अरब रुपये का समर्थन बजट में किया गया एकमात्र प्रावधान है. जहां तक स्वच्छता के मुद्दे की बात है, तो विशेष रूप से अपशिष्ट प्रबंधन, सीवरेज औरजल निकासी को लेकर अभी बहुत काम किया जाना बाक़ी है.
आख़िर में देखा जाए, तो भारत के शहरी क्षेत्र के सुधार के लिए 764.32 अरब रुपये आवंटित करने का औचित्य स्पष्ट नहीं है. क्या यह धनराशिशहरीकरण से जुड़ी सबसे महत्वपूर्ण समस्याओं, जैसे कि शहरों के बाहरी क्षेत्रों और सेंसस कस्बों में जीवन की निम्न गुणवत्ता, अपराध और हिंसा कीबढ़ती घटनाएं, आवश्यक वस्तुओं की क़ीमतों में बढ़ोतरी, या विभिन्न शहरी क्षेत्रों एवं परिवहन, स्वास्थ्य, जल, भूमि समेत विभिन्न प्राकृतिक संसाधनों काकुप्रबंधन हल करने के लिए पर्याप्त है? ये सभी सार्वजनिक सरोकार से जुड़े महत्त्वपूर्ण मसले हैं, जिन पर गंभीरता के साथ ध्यान देने की ज़रूरत है.
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