Expert Speak Raisina Debates
Published on Mar 03, 2023 Updated 0 Hours ago

चीन की सेना यूक्रेनी जंग में रूस की ओर से की गई ग़लतियों से सबक़ सीखकर ताइवान पर आक्रमण की सूरत में वहां के राष्ट्रीय संकल्प पर ज़ोरदार चोट कर सकती है. 

यूक्रेन में जारी जंग से अपने लिए सीख हासिल करता चीन!

यूक्रेन संघर्ष दूसरे साल में प्रवेश कर गया है. आधुनिक युद्धकला के हथकंडों की नज़दीक से पड़ताल करने के लिहाज़ से चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (CPC) के लिए पिछले 12 महीने बेहतरीन अवसर साबित हुए हैं. ख़ासतौर से ताइवान के संदर्भ में ऐसी क़वायदों के प्रभावों के आकलन के लिए ये वक़्त उपयोगी साबित हुआ है. सैन्य संघर्ष के नाज़ुक स्वरूप और रूसी राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन की हुकूमत पर उसके संभावित प्रभावों को लेकर CPC में निश्चित रूप से मंथन का दौर चल रहा होगा. इस कड़ी में ताइवान पर चढ़ाई किए जाने की सूरत में जल्द से जल्द और निर्णायक जीत हासिल करने की चुनौती पर ग़ौर किया जा रहा होगा.

आधुनिक चीन के संस्थापक माओ त्से-तुंग का मत था कि “सत्ता बंदूक की नली से प्रवाहित होती है.” नतीजतन PLA राज्यसत्ता का अहम स्तंभ बन गई और पार्टी को खड़ा करना उसका प्राथमिक दायित्व बन गया.

दूसरे युद्ध से सबक़

CPC द्वारा राष्ट्रीय सुरक्षा का नियमन किए जाने की क़वायद पर ख़ुद के बारे में पार्टी की धारणाओं में आने वाले बदलावों का बड़ा प्रभाव रहा है. भले ही चीन को वैश्विक स्तर पर एक ताक़तवर देश के तौर पर देखा जा रहा हो, लेकिन CPC ख़ुद को एक नाज़ुक इकाई के तौर पर देखती है, जो दुश्मनों के प्रहार झेल रही है. इस विचार को एक और धारणा से बल मिलता है. दरअसल साम्राज्यवादी क्विंग राजशाही के पतन की जड़ में ख़ुद की सुरक्षा को आधुनिक स्वरूप ना दे पाने की नाकामी का बड़ा हाथ रहा था. जिसके चलते दूसरी ताक़तें उसे आंख दिखाने में कामयाब हो गईं.

बहरहाल, चीनी सत्ता का ढांचा इस पूरे मसले को पेचीदा बना देता है. बाक़ी देशों में फ़ौज राज्यसत्ता के मातहत काम करती हैं, लेकिन चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) CPC की ख़िदमत करती है. आधुनिक चीन के संस्थापक माओ त्से  यही वजह है कि 1989 के तियानमेन कांड में जब सत्ता पर CPC की पकड़ को चुनौती दी गई तब बग़ावत पर क़ाबू पाने और पार्टी की हुकूमत को मज़बूत करने के लिए PLA को आगे किया गया. ज़ाहिर है सत्ता पर CCP का शिकंजा मज़बूत करने में मदद करना और आंतरिक सुरक्षा बनाए रखना PLA का मिशन बन गया.

इस घटनाक्रम से PLA ये सबक़ ले सकता है कि उसे ताइवान की राष्ट्रीय प्रतिबद्धताओं पर गंभीर चोट करनी होगी. ऐसा लग रहा है कि ‘प्रभावकारी कार्रवाइयों’ के ज़रिए वो इस दिशा में काम कर रहा है.

मोटे तौर पर हाल के वर्षों में PLA को युद्ध लड़ने का कोई तजुर्बा नहीं रहा है, ऐसे में CPC के लिए दुनिया के अन्य हिस्सों में सैन्य संघर्षों का सक्रियता से अध्ययन करना और उनसे सबक़ हासिल करना ज़रूरी हो जाता है. इन्हीं वजहों से CPC ने 1991 में अमेरिकी अगुवाई में गठबंधन सेना द्वारा सद्दाम हुसैन के ख़िलाफ़ छेड़ी गई जंग का अपने तरीक़े से आकलन किया था. उस वक़्त अमेरिकी गठजोड़ ने हुसैन को सत्ता से बेदख़ल करने के लिए भारी सैन्य ताक़त का इस्तेमाल किया था. अमेरिका ने उस युद्ध में सटीक निशाने के साथ बमबारी के कौशल का प्रदर्शन किया था. चतुराई से बमवर्षा करने वाले विमानों का भी प्रयोग किया गया था. अमेरिका ने मिसाइलों का पता लगाकर उन्हें बीच रास्ते में ही नाकाम करने का हुनर भी दिखाया था. अमेरिका द्वारा अपने प्रौद्यिगिकीय कौशल का खुला प्रदर्शन किए जाने के मद्देनज़र चीन ने ये निष्कर्ष निकाला था कि उसे PLA को एक आधुनिक बल में परिवर्तित करने की दरकार थी. 1990 के दशक के आख़िर तक चीन में आर्थिक सुधार की प्रक्रिया परवान चढ़ चुकी थी, जिससे वहां दोहरे अंकों वाला आर्थिक विकास हासिल हुआ. नतीजतन चीन PLA में ज़्यादा संसाधन झोंक सकता था. यही वजह है कि 2019 तक चीन का रक्षा आवंटन 176 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुंच गया, जो दुनिया में अमेरिका (732 अरब अमेरिकी डॉलर) के बाद दूसरे स्थान पर था. माओ के ज़माने के सिद्धांतों जैसे “पीपुल्स वॉर” का त्याग कर दिया गया और उसकी जगह “हाई-टेक परिस्थितियों में आधुनिक क्षेत्रीय युद्धकला क्षमताओं” को तैयार करने पर ज़ोर दिया जाने लगा.

राष्ट्रीय भावना पर चोट  

यूक्रेन और ताइवान, दोनों ही आधुनिक दौर के ऐसे किरदार हैं जिनको ज़्यादा ताक़तवर दुश्मनों से चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है. हालांकि यहां मौजूद राष्ट्रीय भावनाओं और राष्ट्रीय अस्मिता के ठोस स्वरूप ने इन देशों के इरादों को बुलंद करने का काम किया है. कई बार युद्ध का बुनियादी विचार मिथक पर तैयार किया जाता है और उसमें जंग की रणनीतियों का आकलन नहीं किया जाता. शुरुआत में पुतिन ने “भाषाई भाईचारे वाले रिश्तों” के चलते रूसी बलों की आसान जीत को सुनिश्चित मान लिया था, लेकिन पुतिन की आक्रामकता ने यूक्रेनियों के राष्ट्रवादी इरादों को बुलंद कर दिया. यही वजह है कि रूस के ज़बरदस्त हमलों के बावजूद यूक्रेनी नागरिकों के हौसले आसमान छू रहे हैं. इस घटनाक्रम से  इस संदर्भ में हम कनाडा की ख़ुफ़िया सेवा द्वारा हाल में दी गई एक रिपोर्ट की मिसाल ले सकते हैं. रिपोर्ट के मुताबिक चीनी राजनयिकों को ऐसा लग रहा था कि कनाडा की कंज़रवेटिव पार्टी उसके हितों के ख़िलाफ़ काम कर रही है. लिहाज़ा चीन ने कनाडा में 2021 के संघीय चुनावों में उस पार्टी के सियासी चेहरों को धूल चटाने के लिए पूरी सक्रियता से काम किया. ये तमाम नेता वो थे जिन्हें चीन अपना विरोधी समझता था.

ताइवान में राष्ट्रपति पद के चुनाव 2024 में होने हैं. ऐसे में चीन वहां की विपक्षी कुओमिंतांग (KMT) पार्टी के साथ लगातार नज़दीकियां बढ़ा रहा है. 2022 के स्थानीय चुनावों में ये पार्टी विजयी बनकर उभरी है. हाल ही में KMT के उपाध्यक्ष एंड्रयू श्या ने चीन का दौरा किया. वहां उन्होंने ताइवानी पोर्टफ़ोलियो संभाल रहे CPC के अधिकारियों से मुलाक़ात की, जिसके लिए उन्हें ताइवान की सत्तारूढ़ डेमोक्रेटक प्रोग्रेसिव पार्टी की आलोचना भी झेलनी पड़ी. साफ़ है कि एक दलीय सत्ता वाली मुख्य भूमि (चीन) लोकतांत्रिक ताइवान में सियासी दरार का भरपूर फ़ायदा उठाने की ताक में है. चीन, ताइवानी सत्ता-प्रतिष्ठानों में गुपचुप तरीक़े से घुसपैठ की भी कोशिशें करता आ रहा है. प्रतिरक्षा बलों में सक्रिय जासूसी घेरे को लेकर हाल ही में हुए ख़ुलासे से इस बात के पुख़्ता सबूत मिले हैं. साथ ही चीन को संवेदनशील सूचनाएं भेजने के लिए कर्मियों की सक्रियता से नियुक्तियां भी हुई हैं.

पिछले साल PLA कमांडरों की गुप्त बैठक की ऑडियो रिकॉर्डिंग सामने आई थी. इसमें ताइवान पर धावा बोलने और उसके लिए लामबंदी के तौर-तरीक़ों पर चर्चा हो रही थी.

नए साल के मौक़े पर राष्ट्र के नाम संबोधन में राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने कहा कि “ताइवान जलसंधि के दोनों ओर के लोग एक ही परिवार के सदस्य हैं”. उन्होंने उम्मीद जताई कि चीनी राष्ट्र के लिए “ताइवान के स्वदेशवासी एकता के उद्देश्य से मिलकर काम करेंगे”. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या शी के ये शब्द ताइवान में CPC के प्रति हमदर्दी रखने वाले तत्वों के लिए कोई अपील थी. क्या वो ताइवान में भ्रम का वातावरण पैदा कर CPC के मंसूबों से लड़ने के ताइवानी राष्ट्र के इरादों को कमज़ोर करना चाहते हैं. प्रभाव जमाने से जुड़े हथकंडे मनोवैज्ञानिक कार्रवाइयों (Psyops) के साथ चलते हैं. दोनों का मक़सद राष्ट्रीय दृढ़ता पर लगातार चोट करना होता है. पिछले साल   कई लोगों ने इसे ताइवान को तार-तार करने के मनोवैज्ञानिक हथकंडे के तौर पर देखा.

CPC ने पिछले कुछ वर्षों में ऐसे पैंतरे और तेज़ कर दिए हैं. ताइवान में बढ़ते साइबर अटैक और वहां साइबर संसार के भौतिक बुनियादी ढांचे पर हमलों से ये बात प्रमाणित होती है. हाल ही में ताइवान के मात्सु द्वीप को इंटरनेट से जोड़ने वाले अंडरवाटर केबल्स को तबाह कर दिया गया, जिससे इंटरनेट कनेक्टिविटी पर असर पड़ा. कुछ लोगों का मानना है कि चीनी पक्ष द्वारा आख़िरकार ताइवान पर चढ़ाई किए जाने की सूरत में बीजिंग वहां इंटरनेट संपर्कों को काटने की ज़मीन तैयार कर रहा है.

यूरोपीय रणभूमि ने साबित कर दिया है कि सैन्य साज़ोसामान के मुक़ाबले राष्ट्रीय प्रतिबद्धता ज़्यादा अहम होती है, ऐसे में चीन की फ़ौज ताइवान को छकाने की हर मुमकिन कोशिश करेगी.

लामबंदी के लिए राष्ट्रवाद का सहारा

एक ओर चीन ताइवानी नागरिकों का हौसला कमज़ोर करने की कोशिशें कर रहा है, वहीं दूसरी ओर ताइवान पर आक्रमण करने की सूरत में चीन के सामने अपनी जनता को लामबंद करने की बड़ी चुनौती है. अब चीन और अमेरिका के बीच जासूसी गुब्बारों से जुड़े विवाद के मद्देनज़र ये साफ़ होता जा रहा है कि चीन चोरी-छिपे युद्ध करने के तौर-तरीक़ों पर ज़बरदस्त निर्भरता दिखा रहा है. इसके तहत कोई राज्यसत्ता औपचारिक तौर पर जंग शुरू ना कर हल्के-फुल्के टकराव वाली तरक़ीबों का इस्तेमाल करती है. पिछले कुछ अर्से से ताइवान इस रणनीति का ख़ामियाजा भुगतता आ रहा है. PLA के सैन्य विमान ताइवानी वायुसीमा में नियमित रूप से घुसपैठ करते रहते हैं. चूंकि यूक्रेन पर आक्रमण करने के चलते रूस को भारी आलोचनाओं का सामना करना पड़ा है, ऐसे में चीन ताइवानी पक्ष की ओर से कोई ग़लत क़दम उठाए जाने का इंतज़ार करेगा ताकि वो इस धारणा को आगे बढ़ा सके कि ताइवान की ओर से “पहली गोली दागी गई.” इस संदर्भ में हम 2001 की घटना की मिसाल ले सकते हैं. तब दक्षिण चीन सागर पर उड़ रहे अमेरिकी जासूसी विमान और चीनी लड़ाकू विमान के बीच टक्कर हो गई थी. अमेरिका के ख़िलाफ़ चीनी राष्ट्रवाद को भड़काने में CPC ने इस घटना का भरपूर इस्तेमाल किया था.

ज़ाहिर है कि PLA ने अपनी जंगी रणनीतियों को आज की ज़रूरतों के हिसाब से ढालने के लिए अतीत के सैन्य टकरावों से सबक़ लिया है. यूरोप में जारी युद्ध इस श्रृंखला की ताज़ा कड़ी है. चीन आधुनिक युद्धकला (ख़ासतौर से ताइवान जलसंधि में किसी तरह के अभियान के संदर्भ में) के रूप में इनका अध्ययन कर रहा है. यूक्रेन में जारी संघर्ष PLA के लिए ख़ासतौर से अहम है क्योंकि चीनी प्रतिरक्षा बलों और रूसी फ़ौज, दोनों की एक साझा सोवियत जीन है. यूरोपीय रणभूमि ने साबित कर दिया है कि सैन्य साज़ोसामान के मुक़ाबले राष्ट्रीय प्रतिबद्धता ज़्यादा अहम होती है

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