आठवें ब्रिक्स अकादमिक फोरम की बैठक 19, 20, 21 और 22 सितंबर, 2016 को गोवा में हुई थी। इस फोरम में ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका के विभिन्न अनुसंधान और शैक्षणिक संस्थानों के विशेषज्ञ एवं विद्वान शामिल हैं। फोरम ने रूस की अध्यक्षता में हुई शैक्षणिक गतिविधियों की सराहना की और इसके साथ ही वह इस तथ्य से काफी प्रोत्साहित हुआ कि ब्रिक्स के नेताओं ने इस समूह द्वारा किए गए कार्यों एवं प्रस्तावित सिफारिशों को काफी गंभीरता से लिया है।
ब्रिक्स समूह की औपचारिक स्थापना के बाद से ही एक सामूहिक इकाई के रूप में इसके सदस्य देश अनेक मसलों पर व्यापक चर्चाएं करते रहे हैं। वैश्विक स्तर पर शासन (गवर्नेंस) में सुधार सुनिश्चित करने, नई सुरक्षा चुनौतियों से निपटने एवं वैश्विक संसाधनों का प्रबंधन करने से लेकर नए विकास मानदंडों को लागू करना, दक्षिण-दक्षिण सहयोग को आगे बढ़ाना और ब्रिक्स के भीतर व्यापार की संभावनाओं का विस्तार करना तक इन मसलों में शामिल हैं।
8वें फोरम ने ब्रिक्स नेताओं के विचारार्थ निम्नलिखित सिफारिशें प्रस्तावित की हैं:
वैश्विक गवर्नेंस और ब्रिक्स संस्थान
1. वैश्विक गवर्नेंस की वर्तमान व्यवस्था 21वीं सदी की भू-राजनीतिक और भू-आर्थिक वास्तविकताओं को पर्याप्त रूप से प्रतिबिंबित नहीं करती है।ब्रिक्स देशों को एकजुट होकर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद, विश्व बैंक और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष जैसी संस्थाओं में सुधार एवंबदलाव लाते हुए इनमें समुचित प्रतिनिधित्व सुनिश्चित किया जाना चाहिए। इससे अंतर्राष्ट्रीय प्रणाली की वैधता और विश्वसनीयता बहाल होगी।
2. ब्रिक्स का भविष्यऔपचारिक एवं अनौपचारिक दोनों ही तरह के विश्वसनीय संस्थानों की स्थापना करने संबंधी उसकी क्षमता परनिर्भर करेगा। नए विकास बैंक की स्थापना के बाद इस दिशा में हासिल की गई गतिको नए विकास बैंक की एक विश्लेषणात्मक इकाई के रूप में एक ज्ञान केंद्र के निर्माण के जरिए आगे बढ़ाया जाना चाहिए।
3. नए विकास बैंक (एनडीबी) की इस विश्लेषणात्मक इकाई को ये चार कार्य सौंपे जाने चाहिए: (i) एनडीबी के विशेषकर विकास वित्त से संबंधितउद्देश्यों को पूरा करने, पूंजी जुटाने, खरीद संबंधी नीतियों, सर्वोत्तम प्रथाओं के कार्यान्वयन, क्षमता निर्माण, इत्यादि के लिए अनुसंधान संबंधी सहायता प्रदान करना; (ii) अंतर्राष्ट्रीय व्यवसाय, वित्त, व्यापार और अर्थशास्त्र, विशेष रूप से उभरते वैश्विक मुद्दों जैसे कि जलवायु परिवर्तन, डिजिटल बुनियादी ढांचा, प्राकृतिक व्यक्तियों की आवाजाही, और टिकाऊ विकास के लिए ब्रिक्स फोरम को बौद्धिक नेतृत्व प्रदान करना; (iii) आंकड़ों (डेटा), नीतिगत मूल्यांकन, नीतिगत सुझावों के जरिए उभरते बाजारों एवं विकासशील अर्थव्यवस्थाओं को अनुसंधान संबंधी आधार मुहैया कराना और दक्षिण-दक्षिण सहयोग को बढ़ावा देना; और (iv) उभरते बाजारों को वैश्विक मंचों पर उपयुक्त दृष्टिकोण सुलभ कराना।
4. अनुसंधान एजेंडे को एक ऐसे ब्रिक्स अनुसंधान संस्थान के सृजन के जरिए भी पूरित किया जाना चाहिए,जो अर्थशास्त्र से जुड़े व्यापक मुद्दों पर विचारों एवं अनुसंधान अध्ययनों, सामाजिक एवं पर्यावरण अध्ययनों, राजनीति, इंटरनेट गवर्नेंस और सुरक्षा अध्ययनों को ब्रिक्स के अंदर एवं बाहर स्थित संस्थाओं के एक पूल से प्राप्त करने एवं उनकी तुलना करने में सक्षम हो। इस थिंक टैंक को आज की चुनौतियों का सामना करने के लिए वैकल्पिक प्रतिवेदनों एवं प्रासंगिक समाधानों को प्रस्तावित करने और बढ़ावा देने का काम सौंपा जाना चाहिए। एक संगठन के रूप में ब्रिक्स को नियमों का अनुसरण करने के बजाय नियमों को बनाने पर अपना ध्यान केंद्रित करना चाहिए।
5. चूंकि ब्रिक्स के सदस्य देश अपनी विकास परियोजनाओं के वित्तपोषण के लिए मुख्यत: विदेश में ही संभावनाएं तलाश रहे हैं, इसलिए एक विकास एवं आर्थिक भागीदारी फोरम बनाया जाना चाहिए। इस फोरम का उद्देश्य ब्रिक्स के विकास से जुड़ी साझेदारियों और आर्थिक कूटनीति में समन्वय स्थापित करना एवंइसे कारगर बनाना होना चाहिए।
नए संसाधन: बाह्य अंतरिक्ष, इंटरनेट और महासागर
6. पुराने मानदंड, नियमऔर संस्थान नए संसाधनों जैसे कि बाह्य अंतरिक्ष, गहरे समुद्र और इंटरनेट के गवर्नेंस के लिहाज से अपर्याप्त हैं। अपनी वित्तीय एवं तकनीकी क्षमताओं के बल पर ब्रिक्स देशोंके पास इन नएसंसाधनों के क्षेत्र में जारी बहस को नया स्वरूप प्रदान करने और विकसित हो रहे नियम-कायदों को धीरे-धीरेसमुचित आकार प्रदान करने के लिहाज से प्रमुख देश के रूप में उभरने के लिए मजबूत नींव है। ब्रिक्स को इन नएसंसाधनों के क्षेत्र में आम मानकों एवं दृष्टिकोण को अपनाए जाने की खातिर मिल-जुलकर काम करना चाहिए।
7. इंटरनेट गवर्नेंस से जुड़ी व्यवस्थाओं में बढि़या तालमेल होने से नवाचार को बढ़ावा मिल सकता है और इसके साथ ही ब्रिक्स देशों के बीच तथा अन्य राष्ट्रों के साथ भी उनके अंतरराष्ट्रीय व्यापार और ई-कॉमर्स में काफी बढ़ोतरी हो सकती है। ब्रिक्स देशों के उद्योग जगत और बैंकों को समान पेमेंट गेटवे बनाने के लिए आपस में सहयोग करना चाहिए।संबंधित सरकारों को समूचे ब्रिक्स में ई-कॉमर्स को बढ़ावा देने के लिए स्थानीय मुद्रा में निपटान सुनिश्चित करना चाहिए।
8. इंटरनेट गवर्नेंस, ई-कॉमर्स, साइबर सुरक्षा और ऑनलाइन गोपनीयता के मुद्दों पर ब्रिक्स देशों के एकीकृत रुख से वैश्विक साइबर मानदंडों के विकास में काफी मदद मिलेगी। संयुक्त राष्ट्र के सरकारी विशेषज्ञ समूह के साथ-साथ अन्य वैश्विक मंचों पर भी ब्रिक्स देशों केरुख में बढि़या तालमेल होना चाहिए।
9. ब्रिक्स देशों को विश्वास बहाली के उपायों के साथ-साथ डिजिटल अर्थव्यवस्था पर प्रामाणिक समझौतों और डिजिटल संसाधनों का संरक्षण करने पर भी विचार करना चाहिए।
10. बाह्य अंतरिक्षका उपयोग एक हथियार के रूप में न किए जाने के बारे में ब्रिक्स देशों को समान रुख अपनाना चाहिए और इसके साथ ही इन देशों को संयुक्त पहल के जरिए बाह्य अंतरिक्ष के शांतिपूर्ण अन्वेषण के लिए प्रतिबद्धता व्यक्त करनी चाहिए।
11. ब्रिक्स देशों को महासागरों पर सुरक्षा सुनिश्चित करने, समुद्री संसाधनों (नीली अर्थव्यवस्था) के लाभकारी विकास, समुद्री परिवेश की सुरक्षा करने, समुद्री व्यापार को बढ़ावा देने और समुद्र के तल पर विद्यमान संसाधनों के सतत उपयोग के लिए एक समन्वित व्यवस्था कायम करनी चाहिए। यही नहीं, ब्रिक्स देश समुद्री आतंकवाद, मादक पदार्थों की तस्करी, समुद्री डकैती, अवैध व्यापार एवं तस्करी, सागर संसाधनों के अत्यधिक दोहनऔर मानव तस्करी जैसी चुनौतियों से संयुक्त तौर परनिपटने के लिए कारगर सुझावों को सामने रख सकते हैं।
व्यापार और नवाचार (इनोवेशन)
12. वैश्विक मूल्य श्रृंखला (जीवीसी) के क्षेत्र में होने वाले व्यापार को ब्रिक्स देशों के भीतर बढ़ावा दिया जाना चाहिए, क्योंकिइसमें आर्थिक विकास को नई गति प्रदान करने, उत्पादकता बढ़ानेऔर रोजगार के अवसर पैदा करने की असीम क्षमता है।
13. ब्रिक्स देशों को एक बहुपक्षीय निकाय के रूप में विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) के अधिकार को बहाल करने के लिए आपस में मिल-जुलकर ठोस प्रयास करने चाहिए, क्योंकिवस्तुओं एवं सेवाओं की आवाजाही के प्रबंधन की जिम्मेदारी इसी निकाय को सौंपी गई है। ब्रिक्स के लिए समान मानकों एवं मानदंडों को विकसित करने और अन्य टैरिफ (शुल्क) एवं गैर टैरिफ मुद्दों पर काम करने के उद्देश्य सेएक ब्रिक्स कार्य दल का गठन किया जाना चाहिए।
14. समस्त ब्रिक्स देशों में मुद्रा की अदला-बदली, स्थानीय मुद्राओं और अन्य प्रपत्रों में निपटान को बढ़ावा देने केलिए लंबे समय से पनप रहे विचार को मूर्त रूप देने के लिए ब्रिक्स देशों को एक खाका (रोडमैप) विकसित करना चाहिए।
15. आर्थिक विकास के एक इंजन के रूप में निवेश की अहम भूमिका को भलीभांति समझते हुएब्रिक्स देशों कोऐसे पारस्परिक निवेश को प्रोत्साहित एवं उत्प्रेरित करना चाहिए,जो खुली, भेदभाव रहित, पारदर्शीऔर अपेक्षितनियामक व्यवस्थाओं के सिद्धांतों पर आधारित हो।
विकास के लिए पैसा लगाना (धन देना)
16. विकास के लिए वित्त पोषण से जुड़े अदिस अबाबा कार्रवाई एजेंडे (एएएए)को आगे बढ़ाने एवं लागू करने की जरूरत है। विकास कार्यों के वित्तपोषण के लक्ष्यों को पूरा करने के लिए विकसित देशों एवं अंतरराष्ट्रीय समुदाय को और ज्यादा महत्वाकांक्षी होने और दृढ़ संकल्प लेने की जरूरत है। इसके अलावा, ब्रिक्स देशों को अंतरराष्ट्रीय कर सुधार को संयुक्त राष्ट्र के दायरे में लाने की अहमियत पर विशेष जोर देने के साथ-साथ इस दिशा में अवश्य ही काम करना चाहिए। ऐसे में इस ओर तत्काल ध्यान देने की जरूरत है कि संबंधित देश के बजाय उत्पादन स्थल पर ही टैक्स लगाए जाने को प्रोत्साहित किया जाए। ब्रिक्स देशों के बीच पूंजी एवं प्रेषित धन के प्रवाह को और ज्यादा आसान बनाने के लिए वित्तीय ढांचे को दुरुस्त किया जाना चाहिए, ताकिभुगतान प्रणालियों की लागत को कम किया जा सके। धन के अवैध प्रवाह की समस्या से निपटने के लिए व्यापक रूप सेकोशिश की जानी चाहिए।
17. फोरम ने क्रेडिट रेटिंग और ऋण पात्रता तय करने वाली उस व्यवस्था की बारीकियों पर भी ध्यान देने की आवश्यकता जताई है, जिसका संचालन वर्तमान में विकसित देशों की एजेंसियों द्वारा किया जा रहा है। ब्रिक्स को एक ऐसी ब्रिक्स क्रेडिट रेटिंग व्यवस्था विकसित करनी चाहिए, जो संप्रभु (सॉवरेन), राजनीतिकया नियामक संबंधी जोखिमों के पक्षपातपूर्ण आकलन पर कतई निर्भर नहीं हो।
18. वित्ततक पहुंच के साथ-साथविकास एवं बुनियादी ढांचागत परियोजनाओं को बढ़ावा देने के लिए ब्रिक्स को वैश्विक बैंकिंग प्रणालियों और दीर्घकालिक पूंजी के स्रोतों के साथ मिलकर काम करना चाहिए।
19. शहरी विकास और शहरीकरण के लिए धन मुहैया कराना अत्यंत आवश्यक है, क्योंकिइसी क्षेत्र में व्यापक विकास की प्रबल संभावनाएं हैं। पेयजल की व्यवस्था, मलजल (सीवेज) के शोधन, सामाजिक बुनियादी ढांचे के विकास, किफायती आवासएवंडिजिटल बुनियादी ढांचे से जु़ड़ी परियोजनाओं का वित्तपोषण व विकास करने और ‘स्मार्ट सिटी’ विकसित करने को लेकर कुछ सदस्य देशों द्वारा व्यक्त की गई अपनी महत्वाकांक्षा को दमदार समर्थन प्रदान करने के लिए ब्रिक्स देशों को विभिन्न समाधानों (सोल्यूशंस) और अनुभवों को आपस में साझा करना चाहिए।
20. ब्रिक्स देशों कोएनडीबी और ब्रिक्स की अन्य पहलों के जरिए उन परियोजनाओं को भरपूर सहायता सुनिश्चित करनी चाहिए जिनसे आर्थिक, राजनीतिक और सामाजिक संसाधनों तक महिलाओं की पहुंच अवश्य ही बढ़ जाएगी। इन ब्रिक्स संस्थानों और प्लेटफॉर्मों को ब्रिक्सके भीतर एवं बाहर महिला उद्यमियों के साथ-साथ महिलाओं के नेतृत्व वाले उद्यमों को भी आवश्यक समर्थन प्रदान करना चाहिए।
21. ब्रिक्स देशों कोएक ऐसे ब्रिक्स नवाचार कोष के सृजन को बढ़ावा देना चाहिए जो अभिनव चीजें विकसित करने वाले लोगों और स्टार्ट-अप को आवश्यक समर्थन प्रदान करे।
जलवायु परिवर्तन और ऊर्जा
22. ब्रिक्स देशों को जलवायु परिवर्तन की समस्या से निपटने के लिए विकसित अर्थव्यवस्थाओं की ओर से ब्रिक्स और अन्य उभरती एवं विकासशील अर्थव्यवस्थाओं को तकनीकी और वित्तीय प्रवाह सुनिश्चित किए जाने कीअहमियत पर निरंतर विशेष जोर देना चाहिए। इसके लिए प्रौद्योगिकी हस्तांतरणएवं प्रौद्योगिकी को सुविधाजनक बनाने वाली व्यवस्था के साथ-साथ वैश्विक प्रौद्योगिकीव्यवस्थाओं को भी मजबूत किया जाना चाहिए।
23. विकासशील एवं उभरती अर्थव्यवस्थाओं को वित्तीय प्रवाह बढ़ाने पर विचार करने के लिए ब्रिक्स देशों को पेंशन फंडों और सॉवरेन डेट फंडों को प्रोत्साहित करने की दिशा में काम करना चाहिए। दीर्घकालिक संस्थागत वित्त के ये स्रोतजलवायु परिवर्तन की समस्या से निपटने के लिहाज से बेहद जरूरी हैं। ब्रिक्स के सदस्य देशों को बेसल बैंकिंग नियमों पर फिर से गौर करने की दिशा में भी कोशिश करनी चाहिए, ताकिस्वच्छ ऊर्जा और बुनियादी ढांचागत परियोजनाओं के लिए आवश्यक वाणिज्यिक पूंजीतक पहुंच सुनिश्चित की जा सके।
24. ब्रिक्स देशों को अक्षय ऊर्जा से जुड़ी पहलों जैसे किअंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन को सक्रिय रूप सेसमर्थन प्रदान करना चाहिए, जो सौर ऊर्जा के उपयोग पर केंद्रित है और जिसका जलवायु परिवर्तन की समस्या से निपटने के लिए साझे तौर पर किए जा रहे प्रयासों पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ेगा।
25. ब्रिक्स देशों को अक्षय ऊर्जा के उन विभिन्न विकल्पों जैसे किएथनॉल, जैव ईंधनों, सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा और पनबिजली पर अपना ध्यान केंद्रित करना चाहिए,जो अलग-अलग राष्ट्रीय संदर्भों में उपयुक्त साबित हो सकते हैं।
26. कोयला, तेल, गैस और परमाणु जैसे पारंपरिक ऊर्जा स्रोत बिजली की न्यूनतम मांग को पूरा करने के लिए आवश्यक उत्पादन को आगे भी जारी रखेंगे। ऐसे में ब्रिक्स देशों को इस तरह की तकनीकों को और अधिक प्रभावशाली एवंस्वच्छ बनाने के लिए आवश्यक निवेश करना चाहिए।
27. ब्रिक्स के भीतर ऊर्जा तक पहुंच, ऊर्जा सुरक्षा और ऊर्जा प्रणालियों की स्थिरता से जुड़े मसलों पर करीबी नजर रखने एवं इस बारे में अध्ययन करने के लिए ब्रिक्स देशों को एक ब्रिक्स ऊर्जा एजेंसी की स्थापना के लिए प्रयास करने चाहिए।
एजेंडा 2030: सतत विकास के लक्ष्य (एसडीजी)
28. सतत विकास के लक्ष्यों (एसडीजी) की प्राप्ति में सफलता काफी हद तक इन्हें हासिल करने में ब्रिक्स देशों को मिलने वाली कामयाबी पर निर्भर करेगी, क्योंकिगरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले लोगों की बड़ी तादाद ब्रिक्स देशों में ही रहती है। इन लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए इसके पांचोंसदस्य देशों द्वारा कोई समन्वित रणनीति अपनाए जाने से ही इसमें मदद मिलेगी।ब्रिक्स देश एसडीजी पर ब्रिक्स कार्यदल का गठनकरने पर विचार कर सकते हैं, जिसे आगे चलकर एक ‘ब्रिक्स विकास साझेदारी’ का संस्थागत स्वरूप प्रदान किया जा सकता है।
29. समस्त एसडीजी लक्ष्यों को हासिल करने की आकांक्षा रखने के अलावा ब्रिक्स देशों को तत्काल ध्यान देने के लिए तीन विशिष्ट क्षेत्रों पर विचार करना चाहिए: वित्त तक पहुंच; प्रौद्योगिकी तक पहुंच; और क्षमता निर्माण तक पहुंच।
30. एजेंडा 2030 के कार्यान्वयन के लिए प्रस्तावितप्रौद्योगिकी को सुविधाजनक बनाने वाली व्यवस्था (टीएफएम) की प्रभावशीलता हेतु रणनीतियां विकसित करने की जरूरत है।
31. क्षमता निर्माण के लिए ब्रिक्स देशों को तीन क्षेत्रों पर अपना ध्यान केंद्रित करना चाहिए: सांख्यिकीय एवं डेटा संबंधी क्षमताएं; उप-राष्ट्रीय, राष्ट्रीय एवं वैश्विक मंचों पर रिपोर्टिंग की प्रकृति; और एसडीजी एजेंडे को पूरा करने के लिए अन्य विकासशील अर्थव्यवस्थाओं द्वारा किए जा रहे प्रयासों को आवश्यक समर्थन प्रदान करना।
32. एसएमई और टिकाऊ व्यवसायों के लिए वित्त रोजगार सृजन, विषमता को दूर करने एवं पर्यावरण के संरक्षणके लिए आवश्यक है। ब्रिक्स देशों को इस तरह के समर्थन को सुविधाजनक बनाने के लिए ब्रिक्स के भीतर एवं बाहर राष्ट्रीय दृष्टिकोण और अंतरराष्ट्रीय नजरिए में समन्वय स्थापित करना चाहिए।
33. वित्तीय समावेश और हाशिए पर पड़े समुदायों की आर्थिक क्षमताओं को बढ़ाने के लिए आईसीटी का लाभ उठाने हेतु ब्रिक्स देशों के बीच सहयोग बढ़ाने की काफी गुंजाइश है। गैर-रोमन लिपियों (स्क्रिप्ट) का उपयोग करते हुए ई-गवर्नेंस सेवाओं के दायरे को बढ़ाया जाना चाहिए। ब्रिक्स के भीतर ही अधिक से अधिक ऑनलाइन सामग्री अवश्य तैयार करने के प्रयास किए जाने चाहिए।
34. किफायती दवाओं के विकास के जरिए विकासशील देशों में स्थानिक उपेक्षित बीमारियों से निपटने के लिए ब्रिक्स की अगुवाई में ठोस प्रयास अत्यंत आवश्यक है। हर किसी की जरूरत को ध्यान में रखते हुएब्रिक्स देशों को ‘सभी के लिए दवा’के आदर्शों को पूरा करने हेतु आपस में सहयोग करना चाहिए।ब्रिक्स और विकासशील देशों में आवश्यक दवाओं तक पहुंच सुनिश्चित करने के लिए लचीली आईपीआर व्यवस्थाएंआवश्यक हैं।
35. कारगर सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणालियां ब्रिक्स के लिए एक प्राथमिकता होनी चाहिए और ब्रिक्स के स्वास्थ्य मंत्रियों को आवश्यक समर्थन प्रदान करने के लिए स्वास्थ्य पर विशेषज्ञों की एक उच्चस्तरीय समिति गठित की जानी चाहिए।
36. ‘स्वास्थ्य सुविधाओं तक पहुंच’ के मानव अधिकार को कायम रखते हुए ब्रिक्स देशों को जेनेरिक आवश्यक दवाओं के व्यापार पर आपसी सहयोग को तेज कर देना चाहिएऔरउस उद्देश्य की पूर्ति के लिए अपनी नियामक व्यवस्थाओं को इसके अनुकूल बना देना चाहिए।
37. एक ब्रिक्स वेलनेस इंडेक्स खुशहाली, प्रगति एवंस्थायित्व को मापने का एक अभिनव ब्रिक्स प्रस्ताव साबित हो सकता है, जो विकासशील देशों के लिए प्रासंगिकमाने जाने वाले पैमानों पर लोगों की खुशहाली का आकलन करेगा। इस तरह के सूचकांक (इंडेक्स)को विकसित किया जाना चाहिए और ब्रिक्स देशों के आपसी सहयोगात्मक प्रयासों से इसे लागू किया जाना चाहिए।
38. ब्रिक्स देशों को एक संयुक्त कोष की स्थापना कर विभिन्न विषयों से संबंधित शैक्षणिक अनुसंधान में आपसी सहयोग को और ज्यादा बढ़ाना चाहिए, ताकिअनुसंधान के लिए आवश्यक सहायता और आगंतुक विद्वानों को फेलोशिप प्रदान करने के साथ-साथ छात्र आदान-प्रदान कार्यक्रम शुरू किए जा सकें।
सुरक्षा की चुनौतियां
39. आतंकवाद, अवैध मादक पदार्थ, संगठित अपराध, समुद्री डकैती, आईसीटी के दुरुपयोग के कारण जन-धन का नुकसान होने, चरमपंथ को बढ़ावा देने, हथियार के रूप में बाह्य अंतरिक्ष का उपयोग किए जाने जैसे खतरों और चुनौतियों से निपटने के लिए ब्रिक्स देशों को अपना खुद का सुरक्षा एजेंडा बनाना चाहिए।
40. आतंकवाद से जुड़ी घटनाएं अब वैश्विक सुरक्षा के लिए वास्तविक खतरा हैं।ब्रिक्स देशों को आतंकवाद के खिलाफ आम सहमति कायम करने की दिशा में काम करना चाहिए।
41. ब्रिक्स देशों को सिद्धांतों का एक ऐसा वैश्विक सेट तैयार करना चाहिए, जो ई-निगरानी कार्यक्रमों का बाकायदा नियमन करे, इंटरनेट गवर्नेंस के वैश्वीकरण को उत्प्रेरितकरे और एक खुले एवं सुरक्षित इंटरनेट तक पहुंच सुनिश्चित करने के अधिकार को बढ़ावा दे।
42. साइबर सुरक्षाका मुद्दा वर्तमान में खास अहमियत रखता है। ऐसे में ब्रिक्स देश खतरा चक्र को तोड़ने, अंतर्निहित कमजोरियों को कम करने एवं साइबर हथियार की दौड़ से बचने में मदद के लिए अभिनव समाधान सुझा सकते हैं।
आगे की राह
43. ब्रिक्स देशों को अपनी सामूहिक यात्रा का मार्गदर्शन करने और सहयोगात्मक गतिशीलता एवं तौर-तरीकों को नया स्वरूप प्रदान करने के लिए खुद ही साहसिक लक्ष्य तय करने चाहिए। ब्रिक्स अंतरिक्ष स्टेशन जैसी एक अहम ‘ध्रुवतारा’ पहलइस महत्वाकांक्षा के लिए मानक तय कर सकती है। आपसी सहयोग को बढ़ावा देने, ई-कॉमर्स को उत्प्रेरित करने, सामुदायिक समानताओं को मजबूती प्रदान करने और भौगोलिक दूरियों को कम करने के लिए ब्रिक्स देशों को हर क्षेत्र में ‘डिजिटल’हो जाना चाहिए।
44. ब्रिक्स देशों को विशेष कार्यक्रम संबंधी अपने आदर्शों के क्रियान्वयन के दौरान पुरुषों के साथ-साथ महिलाओं के अधिकारों को भी बढ़ावा देने पर विशेष जोर देना चाहिए। समस्त विकास प्रक्रियाओं में महिलाओं के प्रतिनिधित्व को बाकायदा स्वीकार करते हुए उसे पुरजोर समर्थन प्रदान करना चाहिए।
45. ब्रिक्स देशों के शिक्षाविद और विद्वानअंतरराष्ट्रीय संस्थाओं के लोकतंत्रीकरण, समावेशी एवं सतत विकास,विभिन्न सुविधाओं से वंचित समुदायों के सशक्तिकरणऔर महिला-पुरुष समानता से जुड़ी एक संवेदनशील वैश्विक राजनीतिक एवं आर्थिक संरचना सुनिश्चित किए जाने की अपेक्षाओं को लेकर एकमत थे। ब्रिक्स देशों की यह आम सहमति हमारे विकास और प्रगति एजेंडों में भी परिलक्षित होनी चाहिए।
46. अकादमिक फोरम की सिफारिशों को आगे ले जाने के लिएऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन ब्रिक्स की भारतीय अध्यक्षता के दौरान एवं इससे परे अवधि के लिए निम्नलिखित तीन कार्यदलों का गठन करेगा: (i) विशेषज्ञों का एक स्वास्थ्य फोरम; (ii) एक डिजिटल ब्रिक्स फोरम; (iii) अक्षय ऊर्जा के लिए दीर्घकालिक वित्त का पता लगाने के लिए एक अकादमिक कार्यदल; और (iv) एक अकादमिक चेयर, जो नई दिल्ली स्थित ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन में ब्रिक्स संबंधी अध्ययन के लिए समर्पित होगी। भारतीय अध्यक्षता का समापन होने पर अकादमिक गतिविधियों की प्रगति की समीक्षा करने के लिए ब्रिक्स थिंक टैंक काउंसिल को जनवरी 2017 में भारत आमंत्रित किया जाएगा।
47. ब्रिक्स अकादमिक फोरम गोवा के खूबसूरत राज्य में 8वें ब्रिक्स अकादमिक फोरम की मेजबानी करने के लिएभारत के विदेश मंत्रालय, ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन (ओआरएफ) और विकासशील देशों से जुड़ी अनुसंधान एवं सूचना प्रणाली(आरआईएस)के प्रयासों की सराहना करता है।
48. ब्रिक्स देशों के शिक्षाविद एवं विद्वानसमकालीन विश्व अध्ययन के लिए चीन केंद्रद्वारा वर्ष 2017 मेंचीन में आयोजित किए जाने वाले अगले अकादमिक फ़ोरम में भाग लेने के लिए पूरी तरह से तत्पर हैं और उन्होंने अनुसंधान, अकादमिक सहयोग एवं लोगों के आदान-प्रदान को बढ़ावा देने संबंधी साझा प्रयासों के लिए हरसंभव सहायता प्रदान करने का आश्वासन दिया।
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