मालदीव के राष्ट्रपति इब्राहिम मोहम्मद सोलिह के निमंत्रण पर सेशेल्स के राष्ट्रपति वेवल रामकलावन और उनकी पत्नी प्रथम महिला लिंडा रामकलावन 11-14 जून तक राजकीय यात्रा पर मालदीव में थे. दोनों राष्ट्रपति पहले भी मिल चुके हैं, 2019 में जब राष्ट्रपति सोलिह ने सेशेल्स का दौरा किया था और पहले कई अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर चर्चा की थी - सबसे हाल में मार्च 2023 में दोहा में आयोजित एलडीसी का संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन था. हालांकि, यह सेशेल्स में पहली बार था कि राष्ट्र प्रमुख मालदीव की आधिकारिक यात्रा पर थे. राष्ट्रपति और प्रथम महिला के साथ विदेश मामलों और पर्यटन मंत्री सिल्वेस्ट्रे राडेगोंडे सहित एक उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडल भी तब मौज़ूद था.
मालदीव और सेशेल्स ने जुलाई 1980 में राजनयिक संबंध स्थापित किए थे. छोटे द्वीप विकासशील राज्य (एसआईडीएस) होने के नाते, वैश्विक महामारी के प्रतिकूल प्रभाव से धीरे-धीरे उबर रहे हैं और वे कई आम चुनौतियों को साझा करते हैं. इसके अलावा, हिंद महासागर क्षेत्र (आईओआर) में भू-रणनीतिक रूप से स्थित होने के कारण उनके कई साझा हित भी एक दूसरे से जुड़े हैं. दोनों राष्ट्रपतियों द्वारा की गई बातचीत के बाद, एक प्रेस बयान में "हिंद महासागर में पड़ोसियों के रूप में, समान ऐतिहासिक, सामाजिक-आर्थिक और सांस्कृतिक मूल्यों और संबंधों को साझा करते हुए, अपने संबंधों को नई ऊंचाइयों पर ले जाने के लिए दोनों देशों की साझा प्रतिबद्धता" दोहराई और "अपने द्विपक्षीय संबंधों को रणनीतिक साझेदारी तक बढ़ाने की दिशा में मिलकर काम करने की इच्छा जताई."
मालदीव और सेशेल्स से यह जानना ज़रूरी है कि उनके साझा हित क्या हैं और उनकी सबसे बड़ी चिंताएं किस तरह से मिलती हैं?
आईओआर में विकसित हो रहे सुरक्षा ढांचे को आकार देने और छोटे द्वीपों को शामिल करके अपने पड़ोस में अधिक सक्रिय भूमिका निभाने की भारत की इच्छा को देखते हुए, इस क्षेत्र में विकसित होने वाली साझेदारियों पर ध्यान देना उचित है. मालदीव और सेशेल्स से यह जानना ज़रूरी है कि उनके साझा हित क्या हैं और उनकी सबसे बड़ी चिंताएं किस तरह से मिलती हैं?
जलवायु परिवर्तन: अस्तित्वसंबंधी खतरा
यह आश्चर्य की बात नहीं है कि जलवायु परिवर्तन दोनों देशों के लिए प्राथमिक और सबसे ज़रूरी ख़तरा बना हुआ है. दुनिया के सबसे निचले देशों में से एक होने के नाते मालदीव ने बार-बार इस बात पर बल दिया है कि जलवायु परिवर्तन उनके लिए "अस्तित्व के लिए ख़तरा" है. मालदीव की पर्यावरण, जलवायु परिवर्तन और प्रौद्योगिकी मंत्री शाउना अमिनाथ बताती हैं, ''ऐसी कोई ऊंची जगह नहीं है जहां हम आगे बढ़ सकें. यहां सिर्फ हम हैं, द्वीप है और समुद्र है. हमारे अस्सी प्रतिशत द्वीप समुद्र तल से एक मीटर से भी कम ऊपर हैं. हमारी सभी आवास संरचनाओं में से पचास प्रतिशत समुद्र तट से केवल 100 मीटर के भीतर हैं. सचमुच, सब कुछ दांव पर है.” सेशेल्स को भी बाढ़, तूफान और भूस्खलन जैसे जलवायु परिवर्तन से संबंधित गंभीर ख़तरों का सामना करना पड़ता है.
इसलिए विकासशील देशों में जलवायु प्रभाव के लिए मालदीव और सेशेल्स के लिए 'नुक़सान और क्षति कोष' कॉप27 में एक अहम और मेहनत से हासिल की गई डील थी. पहली बार, विकसित देश जलवायु परिवर्तन की असमानताओं को स्पष्ट रूप से स्वीकार करते हुए ग़रीब और अधिक कमज़ोर देशों के लिए सहायता प्रदान करने को राजी हुए और 300 अमेरिकी डॉलर के शुरुआती निवेश के लिये तैयार हुए. हालांकि यह केवल पहला कदम है. असली परेशानी फंड की वास्तविक स्थापना को लेकर है जिसमें इसकी संस्थागत व्यवस्था और शासन पर कई निर्णय शामिल होंगे. जैसा कि अमीनाथ बताते हैं, जलवायु संकट में अग्रणी राज्यों के लिए वित्तीय फंड तक आसान पहुंच की तत्काल आवश्यकता है. दोनों राष्ट्रपतियों ने "सहयोग बढ़ाने" और साथ मिलकर काम करने का वादा किया है ताकि "यह सुनिश्चित किया जा सके कि कड़ी मेहनत से हासिल की गई लॉस एंड डैमेज फंड को कॉप 28 में चालू किया जा सके."
पर्यटन: यूरोपीय संघ के बाज़ार पर अत्यधिक निर्भरता
एसआईडीएस के लिए पर्यटन के महत्व को कम करके नहीं आंका जा सकता है. अधिकांश मामलों में रोज़गार सृजन, आय सृजन और विदेशी मुद्रा अर्जित करने की दृष्टि से पर्यटन मुख्य आर्थिक गतिविधि है. एसआईडीएस के लिए, यह उन कुछ उद्योगों में से एक है जिसमें उनका स्थान, जलवायु, समुद्र तट और विशिष्ट सांस्कृतिक संसाधन उन्हें एक मज़बूत प्रतिस्पर्द्धी वैश्विक लाभ देते हैं.
मालदीव और सेशेल्स दोनों के पर्यटन उद्योग कोरोना महामारी के बाद अच्छी तरह से उबर गए हैं. मालदीव की अर्थव्यवस्था 2022 में महामारी से पहले के स्तर पर पहुंच गई है और पर्यटकों के बढ़ते तादाद के साथ मज़बूत विकास और ग़रीबी में कमी की ट्राजेक्ट्री को बनाए रखने की उम्मीद है. इसी तरह2022 के अंत तक सेशेल्स का पर्यटन उद्योग कोरोना महामारी की शुरुआत के बाद से 90 प्रतिशत तक रिकवरी कर चुका है.
दोनों नेता "ब्लू इकोनॉमी और समुद्री संरक्षण के क्षेत्रों में सहयोग करने और अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर संयुक्त रूप से ब्लू इकोनॉमी पहल को बढ़ावा देने पर सहमत हुए."
हालांकि यूक्रेन में चल रहे संघर्ष का असर पर्यटन पर पड़ा है. पर्यटन के प्रधान सचिव शेरिन फ्रांसिस बताते हैं, "हमने अपना यूक्रेन बाज़ार खो दिया - जो उस समय हमारे पर्यटन के मामले में चौथे स्थान पर था - और रूसी बाज़ार का एक बड़ा हिस्सा - जो पहले स्थान पर था.” वर्तमान में, सेशेल्स के लिए, शीर्ष पांच बाज़ार फ़्रांस, जर्मनी, रूस, ब्रिटेन और उत्तरी आयरलैंड और इटली हैं. हालांकि, ये देश भी उच्च मुद्रास्फीति, आपूर्ति में व्यवधान और ऊर्जा की क़ीमतों में वृद्धि का अनुभव कर रहे हैं. अर्थशास्त्री इस बात को लेकर सहमत दिख रहे हैं कि ये देश मंदी की चपेट में आ रहे हैं. इसके अलावा इंटरनेशनल एयर ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन (आईएटीए) के अनुसार पिछले साल जेट ईंधन की क़ीमत में क़रीब 150 फ़ीसदी का इज़ाफ़ा हुआ है. इन अनिश्चितताओं के बीच, यूरोपीय और रूसी बाज़ारों पर अत्यधिक निर्भरता फायदेमंद नहीं है. क्षेत्रीय और घरेलू पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए, मालदीव और सेशेल्स ने वीज़ा आवश्यकताओं की पारस्परिक छूट पर एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं. वीज़ा छूट के अलावा, मालदीव और सेशेल्स ने एक हवाई सेवा समझौते पर भी हस्ताक्षर किए हैं. दोनों देश पर्यटन क्षेत्रों के बीच कार्य स्तर और विशेषज्ञों के स्तर पर अनुभव के नियमित आदान-प्रदान और व्यावसायिक प्रशिक्षण के माध्यम से इस क्षेत्र में और सहयोग करने पर सहमत हुए हैं.
ब्लू इकोनॉमी: क्षेत्रीय और वैश्विक सहयोग महत्वपूर्ण है
दोनों नेता "ब्लू इकोनॉमी और समुद्री संरक्षण के क्षेत्रों में सहयोग करने और अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर संयुक्त रूप से ब्लू इकोनॉमी पहल को बढ़ावा देने पर सहमत हुए." मालदीव और सेशेल्स के लिए, उनका आर्थिक विकास लगभग पूरी तरह से उनके महासागरों, समुद्रों और तटीय क्षेत्रों पर आधारित है. पर्यटन और मछली पालन मुख्य आर्थिक गतिविधियां हैं, इसलिए यह महत्वपूर्ण है कि वे इस तरह से आर्थिक विकास को बढ़ावा दे सकें जो टिकाऊ, न्यायसंगत, तटीय प्रबंधन को शामिल करने वाला हो और उनकी नाजुक पारिस्थितिकी तंत्र की सुरक्षा करने वाला हो.
ब्लू इकोनॉमी का मुख्य आधार विकास, सोशल इंक्लूजन और संरक्षण है और इन्हें ही मिलकर काम करने की रणनीति बनानी होगी. ऐसा विकास जो लोगों के वास्तविक जीवन पर असर ना डाले वो टिकाऊ नहीं हो सकता है, लिहाज़ा ऐसे विकास को बढ़ावा देने की ज़रूरत है. इसी प्रकार, समुद्र के स्वास्थ्य और वन्य जीवन को ख़तरे में डालने वाले विकास की ज़रूरत नहीं है. इन तीन पहलुओं को ना केवल एक साथ लेकर काम करना होगा, बल्कि उन्हें पर्यटन, मछली पालन, प्रौद्योगिकी और वित्त जैसे क्षेत्रों में भी काम करने की ज़रूरत है. इन क्षेत्रों को सीमाओं के पार आगे काम करना होगा. ब्लू इकोनॉमी की पहल को कारगर बनाने के लिए वैश्विक और क्षेत्रीय सहयोग दोनों महत्वपूर्ण हैं. संयुक्त राष्ट्र ने बताया है कि "सरकारों, संगठनों और निर्णय निर्माताओं को यह सुनिश्चित करने के लिए एकजुट होने की ज़रूरत है कि उनकी नीतियां एक-दूसरे को कमज़ोर ना करें."
सेशेल्स इनोवेटिव सस्टेनेबल फाइनेंसिंग सॉल्यूशन में सबसे आगे रहा है, जिसने मछली पालन परियोजनाओं को फंडिंग करने के लिए 10-वर्षीय ब्लू बॉन्ड जारी किया है, जिससे यह समुद्री संसाधनों के स्थायी उपयोग की फंडिंग के लिए पूंजी बाज़ार का उपयोग करने वाला दुनिया का पहला देश बन गया है. बॉन्ड आधिकारिक तौर पर 9 अक्टूबर 2018 को जारी किया गया था और इसकी बिक्री से अब तक तीन संस्थागत निवेशकों - कैल्वर्ट इम्पैक्ट कैपिटल, नुवीन और प्रूडेंशियल से 15 मिलियन डॉलर जुटाए जा चुके हैं. मालदीव और सेशेल्स के पास इस क्षेत्र में सहयोग करने की काफी गुंजाइश है क्योंकि उनके हित काफी हद तक एक दूसरे से मेल खाते हैं.
समुद्री सुरक्षा
रामकलावन और सोलिह ने "हिंद महासागर क्षेत्र की सुरक्षा के लिए अपनी दृढ़ प्रतिबद्धता की पुष्टि की और समुद्री सुरक्षा के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने के लिए मिलकर काम करने पर सहमति व्यक्त की." समुद्री सुरक्षा के तहत आतंकवाद का मुक़ाबला, अवैध, असूचित और अनियमित (आईयूयू) मछली पकड़ने, समुद्री डकैती की चुनौती का मुक़ाबला करना, नशीली दवाओं की तस्करी को रोकना जैसी कार्रवाई शामिल हैं. दोनों नेताओं ने "विशेष रूप से हिंद महासागर रिम एसोसिएशन" (आईओआरए) और अफ्रीकी, कैरेबियन और प्रशांत राज्यों के संगठन (ओएसीपीएस) जैसे अन्य बहुपक्षीय मंचों के संदर्भ में उल्लेख करते हुए द्विपक्षीय और बहुपक्षीय दोनों तरह से मिलकर काम करने पर सहमति व्यक्त की है.
जैसा कि भारत आईओआर के लिए अपनी समुद्री दृष्टि की फिर से कल्पना करता है और अपने द्वीप के साथ समुद्री संबंधों में सुधार करना चाहता है, उसे इन अभिसरण (कन्वर्जेंट) हितों पर और ध्यान देना चाहिए.
आमतौर पर एक रणनीतिक साझेदारी तब विकसित होती है जब दो राष्ट्र केवल द्विपक्षीय समीकरणों को बनाए रखने से आगे बढ़कर एक चुनौतीपूर्ण स्थिति से निपटने के लिए सहयोग करने और मिलकर काम करने का फैसला करते हैं. ऐसी साझेदारियों में अंतर्निहित पारस्परिक सहमति होती है कि एक साथ काम करने से प्रत्येक के लिए अपने लक्ष्यों में सफल होना आसान हो जाता है और महत्वपूर्ण बात यह है कि उनके लक्ष्य काफी हद तक मिलते हैं. कोरोना महामारी के बाद सुधार की अप्रत्याशित उम्मीद और आसन्न वैश्विक मंदी और तेज़ी से अस्थिर आईओआर को देखते हुए जहां कई बड़ी शक्तियां अपने असर के लिए संघर्ष कर रही हैं, एक साथ काम करना एसआईडीएस को और अधिक मज़बूत बनाता है. मालदीव और सेशेल्स की राजनीतिक अर्थव्यवस्थाओं को देखते हुए यह साफ है कि उनकी तात्कालिक चिंताएं और दीर्घकालिक दृष्टिकोण दोनों आश्चर्यजनक रूप से एक जैसे हैं. उनके द्विपक्षीय संबंधों को रणनीतिक साझेदारी तक बढ़ाना एक तार्किक कदम हो सकता है. जैसा कि भारत आईओआर के लिए अपनी समुद्री दृष्टि की फिर से कल्पना करता है और अपने द्वीप के साथ समुद्री संबंधों में सुधार करना चाहता है, उसे इन अभिसरण(कन्वर्जेंट) हितों पर और ध्यान देना चाहिए.
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