Author : Soumya Bhowmick

Expert Speak Raisina Debates
Published on Jul 06, 2023 Updated 0 Hours ago

पाकिस्तान के क़र्ज़ लेने के इतिहास ने IMF और उसके सहयोगी संगठनों को पाकिस्तान को लोन देने या फिर मौजूदा ऋण में कुछ रियायतें देने से परहेज़ करने को मजबूर कर दिया.

पाकिस्तान की ग़लतियों से पैदा हुई त्रासदी: IMF और दूसरे संगठन

अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के साथ पाकिस्तान के उठा-पटक भरे रिश्तों को हम ग़लतियों के लंबे सिलसिले से बयान कर सकते हैं, जिनके नतीजेलगातार नुक़सानदेह साबित हुई हैं. 60 वर्षों के दौरान, पाकिस्तान ने IMF से रिकॉर्ड 22 बार क़र्ज़ देने की गुहार लगाई है, जो इस दुनिया के तमाम देशोंसे अलग खड़ा कर देता है. वैसे तो पाकिस्तान को रियायती पैकेज के लिए ज़रूरी शर्तें पूरी नहीं करने के कारण अक्सर अपनी गुहार अनसुनी होने काझटका झेलना पड़ा है. फिर भी पाकिस्तान ने वित्त वर्ष 2022-23 के पहले पांच महीनों के दौरान दूसरे बहुपक्षीय क़र्ज़दाताओं जैसे कि एशियाई विकासबैंक (ADB) और इस्लामिक विकास बैंक से से 4.172 अरब डॉलर का लोन हासिल करने में सफलता प्राप्त कर ही ली थी. इसके अलावा, दुनिया केतमाम देशों और संगठनों ने पाकिस्तान को बाढ़ राहत के नाम पर भी लगभग 9 अरब डॉलर की सहायता उपलब्ध कराई है.

पाकिस्तान के लोन लेने के चलन और सरकार के ऊपर बढ़ते क़र्ज़ के भारी बोझ और उसके द्वारा रियायती दरों पर बिजली देने जैसी मदों में ख़र्च कम करने की अनिच्छा ने IMF और उसके साथी संगठनों को, पाकिस्तान को नया क़र्ज़ देने या मौजूदा ऋणों में नई रियायतें जोड़ने से हतोत्साहित किया है.

पाकिस्तान के लोन लेने के चलन और सरकार के ऊपर बढ़ते क़र्ज़ के भारी बोझ और उसके द्वारा रियायती दरों पर बिजली देने जैसी मदों में ख़र्च कमकरने की अनिच्छा ने IMF और उसके साथी संगठनों को, पाकिस्तान को नया क़र्ज़ देने या मौजूदा ऋणों में नई रियायतें जोड़ने से हतोत्साहित किया है.इसके अलावा, पाकिस्तान की तमाम सरकारें सब्सिडी के कार्यक्रम लागू करने और उससे बजट पर पड़ने वाले बोझ के नतीजों की अनदेखी करती आईहैं. इसके चलते सरकार के भारी ख़र्च से बजट घाटा बढ़ता ही गया है.

Table 1: फ़रवरी 2020 तक IMF द्वारा क़र्ज़ देने का इतिहास (हज़ार SDRs में)

Facility Date of Arrangement Expiration Date   Amount Agreed Amount Drawn Outstanding  
Extended Fund Facility    Jul 03, 2019    Oct 02, 2022 42,68,000 10,44,000 10,44,000  
Extended Fund Facility    Sep 04, 2013    Sep 30, 2016 43,93,000 43,93,000 37,93,000  
Standby Arrangement    Nov 24, 2008    Sep 30, 2011 72,35,900 49,36,035 0  
Extended Credit Facility    Dec 06, 2001    Dec 05, 2004 10,33,700 8,61,420 0  
Standby Arrangement    Nov 29, 2000    Sep 30, 2001 4,65,000 4,65,000 0  
Extended Fund Facility    Oct 20, 1997    Oct 19, 2000 4,54,920 1,13,740 0  
Extended Credit Facility    Oct 20, 1997    Oct 19, 2000 6,82,380 2,65,370 0  
Standby Arrangement    Dec 13, 1995    Sep 30, 1997 5,62,590 2,94,690 0  
Extended Credit Facility    Feb 22, 1994    Dec 13, 1995 6,06,600 1,72,200 0  
Extended Fund Facility    Feb 22, 1994    Dec 04, 1995 3,79,100 1,23,200 0  
Standby Arrangement    Sep 16, 1993    Feb 22, 1994 2,65,400 88,000 0  
Structural Adjustment Facility Commitment    Dec 28, 1988    Dec 27, 1991 3,82,410 3,82,410 0  
Standby Arrangement    Dec 28, 1988    Nov 30, 1990 2,73,150 1,94,480 0  
Extended Fund Facility    Dec 02, 1981    Nov 23, 1983 9,19,000 7,30,000 0  
Extended Fund Facility    Nov 24, 1980    Dec 01, 1981 12,68,000 3,49,000 0  
Standby Arrangement    Mar 09, 1977    Mar 08, 1978 80,000 80,000 0  
Standby Arrangement    Nov 11, 1974    Nov 10, 1975 75,000 75,000 0  
Standby Arrangement    Aug 11, 1973    Aug 10, 1974 75,000 75,000 0  
Standby Arrangement    May 18, 1972    May 17, 1973 1,00,000 84,000 0  
Standby Arrangement    Oct 17, 1968    Oct 16, 1969 75,000 75,000 0  
Standby Arrangement    Mar 16, 1965    Mar 15, 1966 37,500 37,500 0  
Standby Arrangement    Dec 08, 1958    Sep 22, 1959 25,000 0 0  
Total 2,36,56,650 1,48,39,045 48,37,000  

Source: International Monetary Fund

चीन से सीधे लिए गए क़र्ज़ और बहुपक्षीय संगठनों से लिए गए लोन के भारी बोझ के अलावा, पाकिस्तान के ऊपर निजी स्तर पर लिए गए 7.8 अरबडॉलर के क़र्ज़ का भारी बोझ बी है. इनमें से ज़्यादातर लोन उसने यूरो बॉन्ड और वैश्विक सुकूक बॉन्ड्स की शक्ल में निजी बॉन्ड के तौर पर लिया है. पाकिस्तान के ऊपर जो विदेशी कारोबारी क़र्ज़ है, उसका एक बड़ा हिस्सा उसने चीन के वित्तीय संस्थानों से लिया है. ऐसे कारोबारी उधार देने वक़्त आमतौर पर कई कड़ी शर्तें लगाई जाती हैं. जैसे कि ब्याज की ऊंची दर और कम समय में क़र्ज़ की वापसी की मियाद. चाइना डेवलपमेंट बैंक ने हाल ही मेंपाकिस्तान को दिए गए 2.2 अरब डॉलर के ऋण की मियाद तीन साल के लिए बढ़ा दी है. लेकिन, इसके लिए उसने ब्याज दर को काफ़ी बढ़ा दिया हैऔर शंघाई इंटरबैंक ऑफर्ड रेट (SHIBOR) से 1.5 प्रतिशत ज़्यादा ब्याज दर तय की है. निजी क्षेत्र के ऊपर भी क़र्ज़ का काफ़ी बोझ है. मार्च 2023 तक पाकिस्तान के प्राइवेट सेक्टर के ऊपर 5121 अरब पाकिस्तानी रुपए का बाहरी क़र्ज़ था

चाइना डेवलपमेंट बैंक ने हाल ही में पाकिस्तान को दिए गए 2.2 अरब डॉलर के ऋण की मियाद तीन साल के लिए बढ़ा दी है. लेकिन, इसके लिए उसने ब्याज दर को काफ़ी बढ़ा दिया है और शंघाई इंटरबैंक ऑफर्ड रेट (SHIBOR) से 1.5 प्रतिशत ज़्यादा ब्याज दर तय की है.

पाकिस्तान और IMF से उसके विवादित रिश्तों का एक प्रमुख अंग, ऊर्जा क्षेत्र में पाकिस्तान की देनदारी और क़र्ज़ के दुष्चक्र से निपटने के तौर-तरीक़ेको लेकर है. सब्सिडी और बिल अदा करने की वजह से पाकिस्तान के ऊपर ऊर्जा क्षेत्र का क़र्ज़ 2022 के अंत तक बढ़कर 14.9 ख़रब डॉलर की भारीरक़म का हो गया था. इस मसले से निपटने के लिए सर्कुलर डेट मैनेजमेंट प्लान (CDMP) लागू करने के बावजूद, IMF इस बाद के लिए पाकिस्तानकी आलोचना करता रहा है कि वो बिजली की दरें 11 से 12.50 पाकिस्तानी रुपए प्रति यूनिट बढ़ाने की शर्त पूरी करने में दिलचस्पी नहीं ले रहा है. और ही, वो चीन पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (CPEC) में चीन के वित्तीय संगठनों की भागीदारी के बारे में विस्तार से जानकारी दे रहा है. अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष द्वारा पाकिस्तान के CDMP के प्रस्ताव कोअव्यवहारिकबताकर उसे ख़ारिज करने की वजह से पाकिस्तान के लिए IMF से सहायता हासिलकर पाना और भी मुश्किल हो गया है.

हालांकि, 29 जून को पाकिस्तान और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के बीच 3 अरब डॉलर के स्टैंडबाय सहायता का स्टाफ़ स्तर का समझौता हो गया था. इसकेअलावा पाकिस्तान ने विदेशी बहुपक्षीय संगठनों से क़र्ज़ हासिल करने के लिए कुछ वित्तीय उपाय जैसे कि पाकिस्तानी रुपए के विनियम को बाज़ार कीदर के हवाले करने, ईंधन की क़ीमतों में इज़ाफ़ा करने और दूसरे वित्तीय सुधार करने जैसे क़दम भी उठाए हैं. हालांकि सरकारी आमदनी बढ़ाने और ख़र्चघटाने के इन उपायों से पाकिस्तान में महंगाई की दर रिकॉर्ड 27.5 प्रतिशत के स्तर पर जा पहुंची है.

भले ही क़र्ज़ के लिए पाकिस्तान का IMF से स्टाफ स्तर का समझौता हो गया हो, लेकिन जिस तरह पाकिस्तान क़र्ज़ के दुष्चक्र में फंसा हुआ है, उसे देखते हुए इस आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता कि आगे चलकर पाकिस्तान एक बार फिर एक बड़े वित्तीय संकट से दो-चार होगा.

इसके अलावा, पाकिस्तान में भ्रष्टाचार लगातार एक चुनौती बना हुआ है. घूसखोरी, सरकारी फंड में हेरा-फेरी और दूसरी अवैध गतिविधियां सरकारीसंस्थाओं को चोट पहुंचाती रही हैं, जिससे हुकूमत पर अवाम का भरोसा कमज़ोर होता गया है. भ्रष्टाचार के कारण बाज़ार की व्यवस्था भी बिगड़ गई है, जिससे संसाधनों के असमान वितरण की समस्या स्थायी हो चुकी है और इससे उद्यमिता की गतिविधियों में भी ख़लल पड़ता रहा है. भ्रष्टाचार के कारणपाकिस्तान को विदेशी निवेश हासिल करने और अंतरराष्ट्रीय सहयोग प्राप्त करने में भी मुश्किलें पेश आती रही हैं. इन कारणों ने भी पाकिस्तान को IMF से क़र्ज़ हासिल करना चुनौतीपूर्ण बना दिया है.

आगे की राह 

भले ही क़र्ज़ के लिए पाकिस्तान का IMF से स्टाफ स्तर का समझौता हो गया हो, लेकिन जिस तरह पाकिस्तान क़र्ज़ के दुष्चक्र में फंसा हुआ है, उसेदेखते हुए इस आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता कि आगे चलकर पाकिस्तान एक बार फिर एक बड़े वित्तीय संकट से दो-चार होगा. पाकिस्तानके विदेशी मुद्रा भंडार में लगातार गिरावट रही है. ऐसे में उसको विश्व बैंक और एशियाई विकास बैंक जैसे संस्थानों से और लोन लेना पड़ सकता है. फिर उससे निपटने के लिए शायद पाकिस्तान को IMF के एक और कार्यक्रम की ज़रूरत पड़ेगी, ताकि वो महंगाई के दबाव से निपट सके.


(नोट- इस विषय पर और विस्तार से समीक्षा के लिए कृप्या ORF के ओकेज़नल पेपर नंबर 403 ‘डेट एड इंफिनिटम: पाकिस्तान्स मैक्रोइकोनॉमिककटास्ट्रॉफे देखें)

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