भारत और अमेरिका को इस मौके का लाभ उठाकर नए नए स्तर पर संबंधों को सामान्य बनाना चाहिए और “अगर हम ऐसा नहीं कर पाए तो स्थिति यथावत् बनी रहेगी।” यह बात यूएस पैसिफिक कमांड के कमांडर एडमिरल हैरिस बी जूनियर ने नई दिल्ली में रायसीना डॉयलाग के दूसरे संस्करण में अपने मुख्य भाषण में कही। नई परिस्थितियों को स्वीकार करने की प्रवृत्ति से बचने की चेतावनी देते हुए एडमिरल हैरिस ने कहा कि यह एक निराशावादी दृष्टिकोण होगा।
उन्होंने कहा कि समृद्धि व सुरक्षा एक दूसरे से जुड़े हुए हैं। उन्होंने कहा कि चूंकि भारत और अमेरिका के कई साझा मूल्य व चिंताएं हैं इसलिए “भारत और अमेरिका को अपने औजारों को और धारदार करना होगा” — ताकि नियम आधारित अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था की सुरक्षा की जा सके।एडमिरल हैरिस ने कहा, भारत “जिम्मेदार है और सही मायने में एक महान शक्ति है” — जो शांतिपूर्ण ढंग से विवादों को सुलझाने था आवाजाही की आजादी को लेकर प्रतिबद्ध है।
एक प्रश्न के उत्तर में एडमिरल हैरिस ने कहा हिंद महासागर क्षेत्र में मलक्का व होरमुज समुद्रसंधि — मलक्का स्ट्रेट्स व स्ट्रेट्स आॅफ होरमुज — जैसे बिंदु हैं जो आवाजाही को पूरी तरहं अवरूद्ध कर सकते हैं। इससे हिंद महासागर में आवाजाही की स्वतंत्रता व समुद्री सुरक्षा को लेकर खतरा पैदा हो सकता है। इस संदर्भ में उन्होंने कहा कि भारत और अमेरिका के बीच बुनियादी समझौते हो चुके हैं। उन्होंने दोनो देशों से अपने औजारों को धारदार बनाने की प्रक्रिया चालू रखने का आग्रह किया। एडमिरल हैरिस ने कहा कि भारत और अमेरिका ने अपनी भागीदारी में प्रगति की है लेकिन साथर ही ‘अफसरशाही, इतिहास व भरोसा’ संअंधों को आगे ले जाने के संदर्भ में ‘हताशा वाले क्षेत्र’ रहे हैं।
दो दिन में ट्रंप प्रशासन द्वारा अमेरिका में कमान संभालने की परिस्थितियों के बीच, एडमिरल हैरिस ने कहा कि भारत — प्रशांत क्षेत्र में अमेरिका की नीति निरंतरता की रहेगी। उन्होनं कहा कि ट्रंप टीम इस क्षेत्र का महत्व भली भांति समझती है और उसे इस बात की जानकारी है कि यह क्षेत्र अेरिका पर सबसे ज्यादा प्रभाव डालने वाला इलाका है।
तीन दिन के इस संवाद में इस साल 65 देशों के 250 से ज्यादा प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं। इस आयोजन के पहले संस्करण में 40 देशों के 120 प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया था।
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