2021 के नवंबर महीने के आख़िर में दक्षिण अफ्रीका (South Africa) के अधिकारियों ने एलान किया कि उनके यहां के वैज्ञानिकों ने कोविड19 (covid19) वायरस के एक नए वैरिएंट (omicron) का पता लगाया है. एक प्रेस कांफ्रेंस में दक्षिण अफ्रीका के नेटवर्क फॉर जीनोम सर्विलांस के टुलियो डि ओलिविएरा ने कहा कि ये वैरिएंट ‘चिंता का एक कारण है’ और बदक़िस्मती से ‘इस वैरिएंट से एक बार फिर से संक्रमण बढ़ने लगे हैं’.
ओमिक्रॉन नाम का ये कोविड-19 वेरिएंट, छुट्टियों का सीज़न शुरू होने से पहले 128 से ज़्यादा देशों में फैल चुका था.
इस प्रेस कांफ्रेंस के लगभग छह हफ़्ते बाद विश्व स्वास्थ्य संगठन ने एलान किया कि ओमिक्रॉन नाम का ये कोविड-19 वेरिएंट, छुट्टियों का सीज़न शुरू होने से पहले 128 से ज़्यादा देशों में फैल चुका था. अफ्रीकी महाद्वीप के देशों ने वायरस के इस नए रूप से निपटने के लिए अलग-अलग तौर-तरीक़े अपनाए हैं; हालांकि, अफ्रीका सेंटर फॉर डिज़ीज़ कंट्रोल के साथ, अफ्रीकी देशों ने इस मामले में आपसी सहयोग से भी कुछ कोशिशें की हैं, जिससे कि संक्रमण की निगरानी और वैक्सीन लगाने के अभियान को बढ़ाया जा सके.
जमाख़ोरी से वैक्सीनेशन संकट
बहुत से पश्चिमी देशों ने अपने यहां कोरोना के टीकों की जमाख़ोरी की. इसका एक नतीजा ये हुआ कि अफ्रीकी देशों के लिए वैक्सीन जुटा पाना मुश्किल हो गया. विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि 24 दिसंबर 2021 तक ‘दुनिया भर में कोरोना के टीकों की क़रीब 8 अरब ख़ुराक दी जा चुकी थी. लेकिन, इनमें से महज़ तीन फ़ीसद डोज़ ही अफ्रीकी देशों को दी गई थी, और केवल आठ प्रतिशत अफ्रीकी जनता को ही वैक्सीन की दोनों डोज़ लगाई जा सकी थी. इसकी तुलना में बहुत से अमीर देशों की 60 प्रतिशत से ज़्यादा आबादी को कोरोना के दोनों टीके लग चुके थे’.
24 दिसंबर 2021 तक ‘दुनिया भर में कोरोना के टीकों की क़रीब 8 अरब ख़ुराक दी जा चुकी थी. लेकिन, इनमें से महज़ तीन फ़ीसद डोज़ ही अफ्रीकी देशों को दी गई थी
हालांकि, छह जनवरी 2021 को अफ्रीका सेंटर फॉर डिज़ीज़ कंट्रोल के निदेशक जॉन एनकेंगासॉन्ग ने कहा कि, अफ्रीकी महाद्वीप में लगभग दस प्रतिशत आबादी को कोरोना के दोनों टीके लगाए जा चुके हैं. अब जबकि वैक्सीन की आपूर्ति बढ़ रही है, तो कई अफ्रीकी देशों की सरकारें अपने नागरिकों को टीके लगाने के लिए काफ़ी मशक़्क़त कर रही हैं और कई मामलों में तो ये कोशिशें बहुत तेज़ कर दी गई हैं.
कीनिया
दक्षिण अफ्रीका द्वारा ओमिक्रॉन वैरिएंट मिलने की घोषणा करने से कुछ दिनों पहले केन्या की सरकार ने एलान किया था कि 21 दिसंबर 2022 से लोगों को सरकारी सेवाएं हासिल करने, रेस्टोरेंट, बार और होटल में में प्रवेश करने, सार्वजनिक परिवहन सेवा का इस्तेमाल करने और यहां तक कि खेलने कूदने के मैदानों में जाने के लिए इस बात का सबूत देना होगा कि उन्होंने कोरोना के टीके लगवा लिए हैं. इसके कुछ हफ़्तों बाद जब ओमिक्रॉन वेरिएंट का पता चल चुका था और छुट्टियों का सीज़न शुरू हो गया था, तब केन्या में कोरोना वायरस का संक्रमण बढ़ने लगा. इसके बाद कोर्ट द्वारा इस आदेश पर पाबंदी लगाने के बावजूद, केन्या की सरकार ने कहा कि वो न सिर्फ़ अपने इस आदेश को लागू करेगी, बल्कि ये भी कहा कि किसी भी सार्वजनिक स्थान जैसे कि सुपरमार्केट या किसी आयोजित कार्यक्रम जैसे कि शादियों, वर्कशॉप या अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए भी वैक्सीन सर्टिफिकेट दिखाना अनिवार्य होगा. 5 जनवरी 2022 तक केन्या में कोरोना के दोनों टीके लगवाने वाले वयस्क लोगों की संख्या कुल आबादी का 15.9 प्रतिशत थी. वहीं, कीनिया की सरकार ने अपने यहां बूस्टर डोज़ देने की शुरुआत का भी एलान कर दिया है.
युगांडा
कीनिया के पड़ोसी देश युगांडा में राष्ट्रपति मुसेवेनी ने 31 दिसंबर 2021 को राष्ट्र को संबोधित किया. इसमें उन्होंने कोविड-19 की पाबंदियों से कुछ रियायतें देने का एलान किया. ये प्रतिबंध कोरोना महामारी शुरू होने के समय से ही लगे हुए थे. मुसेवेनी ने 10 जनवरी से देश के स्कूल खोलने की घोषणा की. युगांडा में मार्च 2020 से ही सभी स्कूल बंद थे; स्कूल खुलने के दो हफ़्ते बाद युगांडा में बार, खेल के मैदान और आयोजन, कला क्षेत्र से जुड़े कार्यक्रम को भी शुरू करने की इजाज़त दे दी गई. इसके साथ साथ शाम सात बजे से सुबह पांच बजे तक लगने वाला कर्फ्यू भी हटा लिया गया. ओमिक्रॉन वेरिएंट के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए, इन रियायतों का ऐलान हैरानी वाली बात थी. लेकिन, मुसेवेनी ने जनता को चेतावनी दी कि अगर अस्पताल भरने लगे, तो ये क़दम वापस ले लिए जाएंगे. इसके अलावा, उन्होंने अपने यहां के नागरिकों से कोरोना का टीका लगवा लेने की अपील की और उसके कुछ दिनों बाद ख़ुद अपनी बूस्टर डोज़ लगवा ली. युगांडा में 50 साल या उससे ज़्यादा उम्र के कमज़ोर लोगों के लिए बूस्टर डोज़ उपलब्ध हैं.
दक्षिण अफ्रीका
अपने यहां ओमिक्रॉन वेरिएंट की पहचान करने के बाद से ही दक्षिण अफ्रीका पूरी दुनिया में सुर्ख़ियां बटोर रहा है. अमेरिका और ब्रिटेन जैसे पश्चिमी देशों ने कोविड19 के इस नए वेरिएंट ओमिक्रॉन का पता चलने के कुछ दिनों बाद ही दक्षिण अफ्रीका आने जाने की उड़ान पर अतार्किक ढंग से पाबंदी लगा दी थी. निश्चित रूप से इसका असर देश के पर्यटन उद्योग पर हुआ है. दिसंबर के पहले हफ़्ते में दक्षिण अफ्रीका के स्वास्थ्य मंत्री जो फाला ने कहा कि उनके देश में कोरोना वायरस की चौथी लहर चल रही है. 25 नवंबर 2021 को जहां दक्षिण अफ्रीका में इस महामारी के 2465 केस थे. वहीं, एक हफ़्ते बाद ही संक्रमित लोगों की तादाद 11,535 पहुंच गई.
16 दिसंबर तक दक्षिण अफ्रीका में कोरोना वायरस का संक्रमण लगातार ऊपर ही जाता रहा था. हालांकि देश के अधिकारियों ने ब्लूमबर्ग को बताया कि, ‘इस लहर में लोगों को अस्पताल में भर्ती होने की ज़रूरत बहुत कम पड़ रही है’. इसका मतलब ये है कि ओमिक्रॉन वैरिएंट कम घातक है. इसी लेख में ब्लूमबर्ग ने वैज्ञानिकों के हवाले से चेतावनी दी कि, ‘हो सकता है कि अन्य देशों को ओमिक्रॉन से निपटने का अलग तजुर्बा देखने को मिले क्योंकि विकसित देशों की तुलना में दक्षिण अफ्रीका की आबादी अधिक युवा है. एंटीबॉडी सर्वे के मुताबिक़, देश के 70 से 80 प्रतिशत लोगों को पहले ही वायरस का संक्रमण हो चुका था इसका मतलब ये कि उन लोगों के अंदर पहले ही कोरोना वायरस से कुछ इम्युनिटी विकसित हो चुकी थी’.
दक्षिण अफ्रीका में संक्रमित लोगों की संख्या भले ही ज़्यादा बनी रही हो, लेकिन वहां की सरकार ने सख़्त लॉकडाउन लगाने से परहेज़ किया और प्रतिबंधों की अपनी व्यवस्था के पहले चरण को ही लागू किया. इसके बजाय दक्षिण अफ्रीका के अधिकारी लोगों को वैक्सीन लेने के लिए प्रोत्साहित करते रहे. वहां की सरकार ने पहले ही 12-17 उम्र वालों के लिए टीकाकरण अभियान खोल दिया है. दक्षिण अफ्रीका, किशोर उम्र वालों को कोरोना का टीका लगाने वाले शुरुआती देशों में से एक है. इसके अलावा दक्षिण अफ्रीका ने 24 दिसंबर 2021 से बूस्टर डोज़ देने की शुरुआत भी कर दी.
30 दिसंबर 2021 को सरकार ने एक बयान जारी करके ऐलान किया कि, ‘सभी संकेत ये बता रहे हैं कि देश कोरोना वायरस की चौथी लहर से पीक से उबर चुका है.’ आंकड़े बता रहे थे कि 25 दिसंबर 2021 को समाप्त हुए हफ़्ते में कोरोना के मामलों में 29.7 फ़ीसद की गिरावट दर्ज की गई. इन आंकड़ों के आधार पर दक्षिण अफ्रीका की सरकार ने आधी रात से सुबह चार बजे तक लगने वाले कर्फ्यू को हटा लिया. हालांकि दक्षिण अफ्रीकी सरकार ने ज़ोर देकर कहा कि मास्क लगाना अनिवार्य बना रहेगा और कई और पाबंदियां भी लागू रहेंगी.
ज़िम्बाब्वे
वहीं, दक्षिण अफ्रीका में ओमिक्रॉन वैरिएंट का पता लगने के एक हफ़्ते बाद, उसके पड़ोसी देश ज़िम्बाब्वे की सरकार ने रात 9 बजे से सुबह 6 बजे तक कर्फ्यू लगाने का ऐलान किया. रेस्टोरेंट को सात बजे बंद करने और नाइट क्लबों और बार में केवल टीका लगवा चुके लोगों के प्रवेश की इजाज़त जैसे आदेश भी जारी किए गए.
इस लहर में लोगों को अस्पताल में भर्ती होने की ज़रूरत बहुत कम पड़ रही है’. इसका मतलब ये है कि ओमिक्रॉन वैरिएंट कम घातक है.
31 दिसंबर को ज़िम्बाब्वे के राष्ट्रपति एमर्सन मंगागवा ने कहा कि चूंकि उनका देश ‘ओमिक्रॉन वेरिएंट के चलते चौथी लहर की चपेट में है’, ऐसे में दूसरे लेवल का लॉकडाउन अगले 14 दिनों के लिए बढ़ाया जा रहा है. इसके अलावा उन्होंने ये भी कहा कि स्कूल खोलने का फ़ैसला अभी टाल दिया गया है. ज़िम्बाब्वे के राष्ट्रपति ने अपनी जनता से अपील की कि लोग जल्द से जल्द कोरोना के टीके लगवा लें.
वैसे तो ज़िम्बाब्वे में वैक्सीन को लेकर कोई अनिवार्य आदेश नहीं जारी किया गया है. लेकिन, सितंबर 2021 में ज़िम्बाब्वे की सरकार ने एक नोटिस जारी करके कहा था कि सभी सरकारी कर्मचारियों को कोविड-19 का टीका लगवाना होगा वरना उन पर अनुशासनात्मक कार्रवाई होगी; एक महीने बाद ज़िम्बाब्वे की सरकार ने ऐलान किया कि टीका न लगवाने वाले सरकारी अधिकारियों को काम पर आने की इजाज़त नहीं होगी और चूंकि वो काम नहीं करेंगे, तो उन्हें तनख़्वाह भी नहीं मिलेगी.
आगे की राह
दक्षिण अफ्रीका, ज़िम्बाब्वे, युगांडा और केन्या, अफ्रीका के 54 में से इन चार देशों ने ही कोविड-19 महामारी की शुरुआत के बाद से इससे जुड़े अलग अलग प्रतिबंध लगाए हैं. इन सभी देशों में एक बात आम थी कि वो सभी अपने नागरिकों को टीका लगवाने के लिए प्रेरित कर रहे थे. ख़ास तौर से ओमिक्रॉन वेरिएंट का पता चलने के बाद इसमें और तेज़ी लाई गई. यहां ये साफ़ दिखता है कि जो भी फ़ैसले लिए जा रहे हैं, उनका पूरा ज़ोर अर्थव्यवस्था पर है. ऐसे में दक्षिण अफ्रीका और युगांडा जैसे देशों ने अपने यहां प्रतिबंधों में ढील देने का विकल्प चुना.
दक्षिण अफ्रीका का तजुर्बा तो ख़ास तौर से लॉकडाउन की उपयोगिता पर कई सवाल खड़े कर रहा है. 6 जनवरी 2021 को अफ्रीका महामारी नियंत्रण केंद्र के निदेशक डॉन एनकेंगासॉन्ग ने कोविड-19 पर अपनी साप्ताहिक प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि, ‘अब संक्रमण रोकने के लिए सख़्त लॉकडाउन लगाने का समय निकल चुका है. आज जब टीकाकरण बढ़ रहा है, तो हमें अब इस बात पर ज़ोर देना चाहिए कि किस तरह से सार्वजनिक स्वास्थ्य व्यवस्था और सामाजिक उपायों को अधिक सावधानी और संतुलित तरीक़े से इस्तेमाल करें.’
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