Published on Mar 03, 2017 Updated 0 Hours ago

एच1बी श्रेणी के गैर प्रवासियों के आश्रित जीवनसाथी को एच4 के तहत दो शर्तों पर काम करने की इजाजत मिलती है।

अमेरिकी एच1बी वीजा धारकों के जीवनसाथी चिंता मे क्यों हैं

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अमेरिका में एच1बी वीजा धारकों के जीवनसाथियों को कभी शर्मिंदा करने के लिए तो कभी किसी दूसरे इरादे से ये सवाल अक्सर पूछा जाता रहा है। लेकिन इसका जवाब वे “हां” में तभी दे सके जब वर्ष 2015 में ओबामा प्रशासन ने लाखों एच1बी वीजा धारकों के जीवनसाथियों को अमेरिका में काम कर के कमाने की इजाजत दे दी। छब्बीस साल पहले जॉर्ज डब्ल्यू. बुश की ओर से प्रवासी कानून 1990 पर दस्तखत किए जाने के बाद से भारतीयों के लिए एच1बी वीजा के दरवाजे तो खुल गए, लेकिन एच4 वीजा एक अनावश्यक बोझ भर बन कर रह गया था।

आज, एच4 वीजा वाले फिर से बेहद चिंतित हैं। दो साल ही बीते हैं जब ओबामा ने यह विदाई उपहार सौंपा था लेकिन ट्रंप के आने के बाद इसके भविष्य को ले कर कई तरह की बातें हवा में मंडराने लगी हैं। खास कर ट्रंप के प्रेस सचिव शीन स्पाइसर की व्हाइट हाउस में हुई एक ताजा प्रेस वार्ता के दौरान कही गई बात से इसको और बल मिला है।

एच4 वीजा पाने वाले चिंतित हैं तो उसकी वजह है। ट्रंप कार्यालय के कर्मचारियों के लिए जो साफ तौर पर हनीमून सीजन है, उसी दौरान स्पाइसर ने यह टिप्पणी की है, “एच1बी और दूसरे वीजा के मामले में यही कहा जा सकता है कि यह प्रवासियों के संबंध में व्यापक सुधारों का हिस्सा है जिसके बारे में राष्ट्रपति अपने कार्यकारी आदेश और कांग्रेस के साथ काम के जरिए बताते रहेंगे।”

स्पाइसर ने कहा, “प्रवासियों को ले कर पहले से ही काफी कुछ किया जा चुका है और जीवनसाथी को मिलने वाले वीजा को ले कर कुछ होगा या नहीं यह कहने की बजाय मैं समझता हूं कि इन सभी कार्यक्रमों के बारे में व्यापक स्तर पर गौर करने की जरूरत है।”

2015 की गर्मियों तक एच4 वीजा हासिल करने वाले कानूनी रूप से अमेरिका में भुगतान हासिल करने वाला काम नहीं ले सकते थे। ओबामा काल के बिल्कुल अंत में यह बदल गया और अमेरिका में रह रहे भारतियों को जश्न मनाने का मौका मिला। अब ट्रंप सत्ता में हैं और ओबामा का वह दौर जा चुका है जब प्रवासियों को ले कर किए जा रहे ऐतराज को कोई तवज्जो नहीं दी जाती थी। ऐसे में भले ही कुछ ना बदले लेकिन एच4 वालों के लिए चिंतित होना लाजमी है।

एच1बी श्रेणी के गैर प्रवासियों के आश्रित जीवनसाथी को एच4 के तहत दो शर्तों पर काम करने की इजाजत मिलती है। इसमें भी ज्यादा अहम यह है कि आई-140 फॉर्म को मंजूर करने का मुख्य लाभ एच1बी वीजा धारक को मिलेगा। यह फॉर्म, ‘इमिग्रेशन पेटीशन फॉर एलियन वर्कर’ एच1बी वीजा का हल्का सा उन्नत स्वरूप है जिसके आधार पर आईटी में काम करने वाले अमेरिका में दाखिल होते हैं।

वर्ष 2015 की गर्मियों में जब एच4 नियमों में बदलाव प्रभावी हुए तो अंतिम नियमों से संबंधित कागजात में स्पष्ट किया गया था कि नई इजाजत के पीछे मुख्य रूप से एच1बी वीजा धारक के कौशलयुक्त और पर्याप्त शिक्षित जीवन साथी के नुकसान को ले कर जताई जाने वाली चिंता और इससे होने वाली सामाजिक व पारिवारिक समस्याएं ही हैं।

यह नियम इस उद्देश्य से लाया गया है कि बहुत से एच1बी वीजा धारक और उनके परिवार के सदस्यों को रोजगार आधारित प्रवासी वीजा में संभावित लंबी प्रतिक्षा की वजह से लॉफुल परमानेंट रेसिडेंसी (एलपीआर) मान्यता जारी रखने का नुकसान समाप्त किया जा सके। यह नियम एलपीआर के लिए पहले ही कदम उठा चुके एच1बी गैर प्रवासियों को प्रोत्साहित करेगा कि वे यह सोच कर अपने प्रयास बंद नहीं करें, कि उनके एच4 आश्रित जीवन साथी काम नहीं कर सकते। यह नियम एच1बी गैर प्रवासियों को एलपीआर बनने की कोशिश जारी रखने के लिए प्रोत्साहित कर आवेदन करने वाले अमेरिकी रोजगार प्रदाताओं को होने वाले नुकसान को कम करेगा। इसके अतिरिक्त योग्य एच4 आश्रित जीवन साथी अगर श्रम बाजार में भाग लेंगे तो उन्हें वित्तीय लाभ मिल सकेंगे। डीेचएस को यह भी उम्मीद है कि एच4 आश्रित जीवन साथी को श्रम बाजार में भाग लेने की छूट मिलने की वजह से एच1बी परिवार को होने वाले सामाजिक-आर्थिक लाभ के कारण उन्हें अमेरिकी समुदाय और अर्थव्यवस्था में बेहतर तालमेल बनाने में मदद मिलेगी।

हालांकि एच4 नियमों के भी आलोचक रहे हैं। इसके विरोध में भी काफी तेज और मजबूत आवाजें उठी थीं। सदर्न कैलिफोर्निया एडिसन के पूर्व कर्मचारियों ने एच4 वीजा धारक जीवन साथियों को ‘एंप्लायमेंट ऑथराइजेशन डॉक्यूमेंट (ईएडी)’ के लिए आवेदन करने की छूट देने वाले नए नियमों के खिलाफ कानूनी सुनवाई करने और इसे रोकने के लिए अमेरिका के आंतरिक सुरक्षा विभाग (डीएचएस) के खिलाफ मुकदमा दायर किया था। संघीय जिला अदालत ने सितंबर, 2016 में यह कहते हुए याचिका खारिज कर दी कि याचिकाकर्ता का इस मामले में कानूनी तौर पर कोई पक्ष नहीं बनता। एच4 की वजह से पूरे अमेरिका में रोजगार गए हैं, लेकिन इसके खिलाफ चाहे तब उठाया गया अड़ंगा हो, या अब हो रहा ताजा हमला यह उसी खास शक्तिशाली सामाजिक-आर्थिक तत्व से जुड़ा है जिसने ट्रंप को व्हाइट हाउस तक पहुंचाया है और वह है अति राष्ट्रवाद।

ट्रंप की जीत के बाद वही याचिकाकर्ता नए संकल्प के साथ जुट गए हैं। बताया जाता है कि वे उस मामले को ठुकरा दिए जाने के खिलाफ नए सिरे से याचिका देने की तैयारी में हैं। इसी तरह अमेरिका के प्रवास संबंधी कानूनी सलाह देने वाले फर्मों के पास इन दिनों ऐसे लोगों की कतार लगी हुई है जो यह जानना चाहते हैं कि क्या लंबित कानूनी मामले के जरिए ट्रंप प्रशासन एच4 रोजगार मंजूरी को समाप्त कर सकता है।

कुछ सामान्य तर्क यहां भी लागू होते हैं। अमेरिकी कांग्रेस की जटिल प्रक्रिया से पारित हुए किसी कानून को समाप्त करना या पूरी तरह संशोधित करना उतना आसान नहीं है। चाहे ट्रंप के प्रेस सचिव कुछ भी कह रहे हों और चाहे इस संबंध में कोर्ट में मामला लंबित हो।

गैर प्रवासी श्रमिकों की चिंता सिर्फ ट्रंप के कठोर रवैये और तरीकों की वजह से ही नहीं है, उनकी चिंता इस बात को ले कर भी है कि रिपब्लिकन पार्टी के लोग अमेरिकी कानून बनाने वाले दोनों सदनों कांग्रेस और सीनेट पर काबिज हो गए हैं।

मुस्लिमों के अमेरिका में आने पर रोक लगाने वाले ट्रंप के पहले बड़े आदेश पर रोक लगा कर सिएटल के एक न्यायाधीश ने जिस तरह राष्ट्रपति को शर्मिंदा किया है, उसके बाद से ट्रंप भी न्यायपालिका पर अपना प्रभाव करने को आतुर हैं।

एच1बी वीजा धारकों के एच4 वीजा धारक जीवन साथियों की जिंदगी और ज्यादा उलझन भरी हो गई है, क्योंकि इन्हें ना तो आइटी के कोड तैयार करने में महारथ हासिल है और ना ही ये मेलेनिया ट्रंप की तरह एच1बी वीजा पर आई फैशन मॉडल हैं।

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